नारी संस्कार देने वाली शक्ति है : डॉ. सोहन राज तातेड़

लेखक : प्रोफेसर (डॉ.) सोहन राज तातेड़ 

पूर्व कुलपति सिंघानिया विश्वविद्यालय, राजस्थान

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नारी भारतीय संस्कृति में बहुत ही पूजनीय है। वेदो में नारी को पूजनीय माना गया है। नारी करुणा की प्रतिमूर्ति होती है। उसके लिए कहा गया है- 

जननी  जन्मभूमिश्च  स्वर्गादपि  गरीयसी।

अपि स्वर्णमयी लंका न मे लक्ष्मण रोचते।।

जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी महान् है। इस तथ्य को भगवान् श्रीराम ने लक्ष्मण से कहा है। संतान को जन्म देने वाली नारी होती है। नारी के अनेक रूप है। बालपन में वह कन्या के रूप में होती है। बड़ी होने पर वह किसी की पत्नी के रूप में होती है। पुत्र या पुत्री के उत्पन्न होने पर वह मां कहलाती है। इस प्रकार हर रूप में उसका सम्मान है। नारी ही संस्कार देने वाली वह शक्ति है जो बच्चे को संस्कार देकर महापुरुष बना देती है। शिवाजी को शिवाजी बनाने वाली उनकी मां ही थी। नारी का संसार में सबसे ऊंचा स्थान है कोई भी क्षेत्र हो हर क्षेत्र में नारी अग्रणी हो रही है। सफलता में नारी पुरुष से किसी भी रूप में कम नहीं है। नर और नारी गृहस्थ रूपी रथ के दो पहिये हैं। दोनों के संयोग से सृष्टि चलती है। नारी आजकल ऊंचे-ऊंचे पदों पर अपने परिश्रम और बुद्धिबल से आरुढ़ होकर सुशोभित कर रही है। नारी की लक्ष्मी, दुर्गा, सरस्वती अनेक रूपों में पूजा होती है। इसीलिए कहा गया है- 

यत्र  नार्यस्तु  पूज्यन्ते  रमन्ते  तत्र देवताः।

यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राक्रियाफलाः।।

अर्थात् जहां नारी की पूजा होती है वहां देवता निवास करते है और जहां पर नारी की पूजा नहीं होती वहां पर सब क्रियाएं निष्फल सिद्ध होती है। दुर्गा के रूप में नारी सिंह का नियमन करती है। सिंह इस संसार का सबसे शक्तिशाली पशु माना जाता है। सबसे शक्तिशाली पशु का नियंत्रण करने के कारण यह दिखाया गया है कि नारी यदि अपने स्वाभाविक रूप में आ जाये तो वह क्रूर दानवी शक्ति का नियंत्रण कर सकती है। लक्ष्मी के रूप में नारी गृहलक्ष्मी है। लक्ष्मी धन की अधिष्ठात्री देवी मानी जाती है। नारी घर की सम्पूर्ण व्यवस्था को चलाती है, सुव्यस्थित रखती है और आवश्यकता पड़ने पर अपने परिवार का संचालन भी करती है। सरस्वती को विद्या की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। बच्चे में संस्कार देना, प्रारंभिक शिक्षा देना, बच्चे को पढ़ाना-लिखाना, सिखाना आदि कार्य जितना मां करती है उतना परिवार का कोई भी सदस्य नहीं करता। 

इसीलिए नारी को सरस्वती का रूप माना गया है। भौतिक और आध्यात्मिक समृद्धि का ताना-बाना नारी ही बुनकर तैयार करती है। समय परिवर्तनशील है। मध्यकाल में जब भारत पर यवनों का शासन था तो उस समय नारी पर बहुत से अत्याचार हुए, जिसका दुष्परिणाम यह रहा कि भारत में पर्दा प्रथा का प्रचलन प्रारंभ हो गया। नारी की स्थिति धीरे-धीरे कमजोर होती चली गयी। कमजोर स्थिति के कारण नारी दयनीय अवस्था मंे पहुंच गयी। नारी को केवल चूल्हे चक्की तक ही सीमित कर दिया गया। अन्य कार्यों में नारी का कोई विशेष योगदान नहीं रहा। नारी को केवल भोगविलास की वस्तु समझा जाने लगा। अनेक प्रकार के अत्याचार नारी पर किये जाने लगे। सती प्रथा का प्रचलन, बाल-विवाह का प्रचलन आदि कुरीतियां समाज में पनपने लगी। इसके कारण नारी की स्थिति खराब हो गयी। नारी की स्थिति को पुनः ऊंचा उठाने के लिए समाज सुधारकों ने बहुत प्रयास किया। 

स्वामी दयानन्द सरस्वती, राजा राममोहन राय, केशवचन्दसेन आदि समाज सुधारकों ने सती प्रथा और बाल-विवाह का घोर विरोध किया और समाज में एक नई चेतना फैलायी। विधवा विवाह का पुरजोर समर्थन किया। इस प्रकार नारी को पुनः समाज में उच्च स्थान पर प्रतिष्ठित कराकर उन्हं ऊंचा स्थान दिया गया। आजकल बच्चे और बच्चियों में किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जा रहा है। शिक्षा शालाओं से लेकर सभी महत्वपूर्ण स्थानों पर नारी अपनी शक्ति और बुद्धिवैभव से उच्च स्थान प्राप्त कर रही है। राजनैतिक क्षेत्र में भी नारी ऊंचे-ऊचे पदों पर प्रतिष्ठित है। जीवन के हर क्षेत्र में विकास के लिए नारी आगे आ रही है और पुरुषों से कदम मिलाकर आगे बढ़ रही है। विश्व के प्रायः सभी देशों में नारी राजनैतिक क्षेत्र में आगे बढ़ रही है। 

भारत में सेना, पुलिस, अर्धसैनिक बल, प्रशासनिक सेवाओं, शिक्षा समाज सेवा और विज्ञान के क्षेत्र में ऊंचे-ऊंचे पदो पर नारी आसीन है। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, लोकसभाध्यक्ष, मुख्यमंत्री, मंत्री, सांसद और विधायक जैसे महत्वपूर्ण पदों पर अपनी योग्यता और अनुभव के आधार पर नियुक्त होकर नारी देश के गौरव को बढ़ा रही है। सेना और अर्द्धसैनिक बलों जैसे महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्त होकर नारी देश की रक्षा में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। चाहे समाज सेवा हो या राष्ट्रसेवा हर क्षेत्र में नारी का योगदान सराहनीय है। नारियां भारत में हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही है। नौकरी पेशे वाली स्त्रियां घर में अपना सम्पूर्ण कार्य करती है, बच्चों को समय से स्कूल भेजना, परिवार की देखभाल करना, इसके साथ ही साथ अपने ऑफिस का कार्य करना और जिम्मेदारियों का निर्वाह करना, ये सब कार्य नारी ही कर सकती है। यह सब कार्य करते हुए समाज और राष्ट्र को सशक्त बना रही है। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार है)