लेखक : डाॅ. सत्यनारायण सिंह
(लेखक रिटायर्ड आई.ए.एस. अधिकारी है
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नई अर्थनीतियां लागू होने के बाद गांव, किसान, गरीब उपेक्षित महसूस कर रहे थे। किसान की सुविधा, ग्रामीण विकास, गरीब को राहत व रोजगार के अवसर बढाने के लिए अलग कृषि बजट पेश करने की मांग की जा रही थी। लम्बे समय पश्चात गहलोत सरकार ने वित्तीय बजट में कृषि विकास को प्रधानता देकर कृषि बजट से शिकायत दूर करने का प्रयास किया है। बीते तीन वर्षो में कृषि व संबंधित कार्य व्यवसाय पर पूर्व आवंटन की तुलना में अच्छी खासी बढ़ोतरी की है। बजट की दिशा को किसानों और गांवों की ओर मोड दिया है। आवंटित राशि पिछले वर्षो में कृषि पर किये गये आवंटन की तुलना में सर्वाधिक है। गांवों को रोजगारोन्मुख बनाने की योजनाओं को खास तरजीह दी है। किसान और कृषि का ख्याल रखने की जिम्मेदारी सरकार ने ले ली है। आगामी वर्षो में किसानों की आमदनी बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है और उपेक्षित क्षेत्र को सुधार के रास्तों पर लाने के लिए भागीरथ प्रयास किये है।
गांवों में प्रदेश की साठ फीसदी आबादी रहती है। बजटीय भाषण में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने किसान, सिंचाई, फसल, पशुपालन संबंधित व्यवसायों पर जोर दिया है और वंचितों तक सुविधा पंहुचाने का जिक्र किया है। किसानों की आय में प्रति एकड उपज बढ़ाने, किसानों को उत्पादों का उचित मूल्य दिलाने, पशुधन, डेयरी, मत्स्य व मधुमक्खी पालन के साथ प्रदेश की प्रमुख फसल ज्वार बाजरा को बढ़ावा देना, कृषि शिक्षा अनुसंधान एवं कृषि बागवानी, फल, साग सब्जी व वन विस्तार को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता जाहिर की है।
मध्यम व छोटे किसान, जमीन गिरवी रखकर, बेचकर आजीविका के लिए शहरों में मजदूरी के लिए घूमते है और रोजगार बढ़ाने के लिए सड़कों व नहरों का जाल बिछेगा। इंदिरा गांधी नहर योजना, चम्बल कमाण्ड क्षेत्र विकास योजना, पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना, आदिवासी क्षेत्रों की नहर योजनाओं पर काम होगा। पशु चिकित्सा योजनाओं में विस्तार होगा, झुंझुने में पशु चिकित्सा विज्ञान महाविद्यालय खोला जायेगा। राजकीय पशु चिकित्सालयों को बहुद्देशीय चिकित्सालयों में क्रमोन्नत किया जायेगा। तीन हजार पशु चिकित्सा संस्थाओं में 15 करोड रूपये की लागत से मरम्मत व उन्नयन कार्य होंगे। पशु उत्पादकों को प्रोत्साहित करने हेतु 2 रूपये प्रति लीटर दुग्ध अनुदान बढ़ाकर 5 रूपया प्रति लीटर किया जायेगा। इससे लगभग 5 लाख दुग्ध उत्पादकों को 550 करोड़ रूपये की राशि प्राप्त होगी।
कृषि आधारित एमएसएमई ईकाईयों को लघु उद्योग प्रोत्साहन योजना के तहत इन्टैस्ट सब्सिडी मिलेगी। मंडी प्रांगण में आवंटित भूखण्डों पर निर्माण प्रारम्भ होगा, कृषक कल्याण शुल्क में छूट, एमनेस्टी योजना के तहत छूट मिलेगी। ग्रामीण क्षेत्रों में रूरल टयूरिज्म स्कीम लागू की जा रही है जिसके अन्तर्गत स्टाम्प डयूटी में छूट, एसजीएसटी में रियायत तथा मुख्यमंत्री लघु उद्योग प्रात्साहन योजना के अन्तर्गत 25 लाख रूपये तक के ऋण पर 8 प्रतिशत के स्थान पर 9 प्रतिशत ब्याज अनुदान दिया जायेगा। सौ वर्ष पुरानी संपत्तियों को हेरिटेज मानते हुए स्टाम्प डयूटी में रियायत दी जा रही थी, अब 1950 से पूर्व निर्मित संपत्तियों में संचालित होटल्स को हेरिटेज होटल्स की श्रेणी में मानते हुए रियायत प्रदान की जायेगी। भू-रूपांतरण शुल्क में 75 प्रतिशत रियायत दी जायेगी।
पशु बीमा लाभ देते हुए लगभग 6 लाख पशुपालकों को लाभांवित किया जायेगा। गलवा-बीसलपुर-ईसरदा लिंग, महलपुर बैराज, राजसमंद बैराज के 9 हजार करोड़ के कार्य कराये जायेंगे। पिछडे क्षेत्र विकास योजनाओं के तहत 100 करोड़ रखा गया है। डांग, मेवात आदि क्षेत्रीय योजनाओं को 10 करोड से बढ़ाकर 25-25 करोड़ आवंटित किये गये है। बांसवाड़ा व बांरा में नदियों पर पुल बनेंगे। प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में सड़कों के लिए दस करोड़ के कामों से रोजगार मिलने के साथ सड़क मार्ग से शहर-गांव जुड़ेगे। प्रत्येक जिले की तीन महत्वपूर्ण क्षतिग्रस्त सड़कों की 3 हजार से अधिक राशि में रिपेयर व उन्नयन कार्य कराये जायेंगे। सिंगल लेन सड़कों को डबल लेन में परिवर्तित किया जायेगा। पशुपालन के साथ मत्स्यपालन व मधुमक्खी पालन, बागवानी, सब्जी, फल उत्पादन हेतु भी धनराशि आवंटित की है।
मुख्यमंत्री ने कृषक साथी योजना में राशि का आवंटन बढ़ाकर 5 करोड़ किया था। राजस्थान सूक्ष्म सिंचाई मिशन, राजस्थान जेवीक खेती मिशन, राजस्थान बीज उत्पादन व वितरण मिशन, राजस्थान खाद्य प्रसंस्करण मिशन, राजस्थन मिलेटस प्रोत्साहन मिशन, राजस्थान संरक्षित खेती मिशन, राजस्थान उद्यानिकी मिशन, राजस्थान फसल सुरक्षा मिशन, राजस्थान उर्वरकता मिशन, राजस्थान तकनीक मिशन गठित किये है व आवंटित राशि बढ़ाई है। ऊंट संरक्षण व विकास नीति लागू होगी। कृषि क्षेत्र में अनुसंधान के साथ-साथ प्रशिक्षण एवं क्षमता विकास के कदम उठाये जायेंगे। सहकारी समितियों को संस्थागत विकास एवं सुदृढ़ीकरण हेतु आवंटित राशि से 67 लाख किसान लाभांवित होंगे। देवली (टोंक) में कृषि विज्ञान केन्द्र खोला जायेगा। नाथद्वारा (रासमन्द) में पशुपालक प्रशिक्षण संस्थान खोला जायेगा।
एक लाख किसानों को सोलर पंप स्थापित करने के लिए 60 प्रतिशत अनुदान दिया जायेगा। एससी एसटी वर्ग के कृषकों को अतिरिक्त अनुदान दिया जायेगा। कृषि कनेक्शन शीघ्रता से दिये जाकर दिन में बिजली दी जायेगी। ब्याज मुक्त फसली ऋण वितरण योजना के अन्तर्गत 20 हजार करोड़ रूपये की राशि के ऋण दिये जायेंगे, 650 करोड़ का अनुदान दिया जायेगा। गांवों को सहकारी डेयरी से जोड़ने, रोजगार के अवसर सृजित करने, आय बढ़ाने के लिए प्रत्येक जिले में मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट लगाये जायेगे। 5000 मिल्क बूथ अलाट किये जायेगे जिसमें वंचितों व गरीबों को प्राथमिकता मिलेगी।
अकुशल भूमिहीन बेरोजगारों को रोजगार व अतिरिक्त आमदनी के लिए नरेगा के दिन बढ़ाकर 125 किये गये। शहरी क्षेत्रों में अकुशल बेरोजगारों को नरेगा की तर्ज पर 100 कार्य दिवस के कार्य की गारन्टी दी गई है। इस प्रकार गहलोत सरकार के इस ऐतिहासिक बजट से गांव, किसान, गरीब को राहत व सम्मान मिलेगा। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार है)