प्रेम का एक और रूप
लेखक : नवीन जैन 

(लेखक, वरिष्ठ पत्रकार)     

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पिछले दिनों प्यार पर बनी और देखी लगभग बीस मिनट की शॉर्ट फ़िल्म की याद आई। इस तरह के मुख्य किरदार सितारा अभिनेता नसीरुद्दीन शाह जैसों पर ही फबते हैं। अभिनेत्री स्ट्रगलर है शायद, लेकिन अदाकारी अच्छे भविष्य की प्रस्तावना भी हो सकती है। मात्र एक कॉफी शॉप में शूट की गई है पूरी फिल्म। क़रीब चालीस साल बाद दोनों उक्त कॉफी हाउस में अचानक मिल जाते हैं। युवती तो अब थक रही है। चेहरे से उदास, क्लांत और बुझी बुझी सी है बहुत। कॉफी हाउस बंद होने को है, और अचानक नसीरुद्दीन वहां आ जाते हैं। दोनों कॉलेज की अंतिम मुलाकात के बाद भी एक दूसरे को इस तरह पहचान जाते हैं, जैसे एक दूसरे का इंतज़ार ही कर रहे थे। 

चहकती आवाज़ में नसीरुद्दीन से वो पूछती है, अरे, तुम यहाँ ? हाँ ,हमें एक दिन तो फ़िर से मिलना ही था। तुम बताओ? कैसी हो तुम? मैं, न कॉलेज के बाद ही विदेश चली गई थी। सालों वहीं रही। क़रीब तीन साल पहले मेरे पति का देहांत हो गया। तत्काल ही दोनों बच्चे भी अपने अपने रास्ते निकल गए। अकेली मैं वहाँ क्या करती। वापस इंडिया आ गई। यहीं अब एक किताब लिखने का सोच रही हूँ। और, तुमने शादी कब  की थी। तुम्हारा पूरा परिवार कैसा है? नसीरुद्दीन, एक जबर्दस्ती लाई मुस्कान के साथ कहते हैं, नहीं मैंने शादी नहीं की अब तक। हाँ,गर्ल फ्रेंड्स, तो आज भी कुछ। नकली नाराज़गी भरा ताना सुनने को मिलता है, तुम सुधरे नहीं न अब तक। नसीरुद्दीन कहते हैं, तुमने मौका ही नहीं दिया। 

फिर, एक पॉज के बाद संवाद शुरू होता है, मैं कल की फ्लाइट से नैनीताल चली जाऊँगी। वहाँ मेरी एक फ्रैंड मुझे स्कूल में इंग्लिश की टीचर शिप दिलवा देगी। खाली समय मे किताब पर काम शुरू कर दूँगी। नसीरुद्दीन कहते हैं, अरे वाह! इतनी जल्दी डिसीजन ले लिया आगे के लिए। कॉलेज में ही इसी तरह जल्दी से निर्णय ले लेना चाहिए था न। दोनों कॉफी पीते हैं। फिर नसीरुद्दीन कहते हैं, कॉलेज में, तो तुम्हारी ही  मान ली थी मैंने, लेकिन आज मेरी ही चलेगी। तुम नैनीताल या कहीं और नहीं जा रही हो। यहीं मुंबई के किसी अच्छे स्कूल में अंग्रेजी पढ़ाना, और क़िताब भी लिखना। अरे, लेकिन..। 

कुछ नहीं सुनना है मुझे। मगर मेरी ,तो नैनीताल की एडवांस्ड टिकट बुक है। मेरे सब पैसे डूब जाएंगे। नसीरुद्दीन कहते  है अभी भी उतनी ही मासूम हो। एडवांस्ड टिकट के पूरे पैसे नहीं डूबा करते। जो कटेंगे वो मुझ से वसूल लेना देवी। चलो ,तुम्हें मुंबई की सबसे अच्छी पानी पूरी खिलाता हूँ। वे उसका हाथ पकडकर बाहर  आते है। वो , बोलती है कॉफी का बिल चुकाया नहीं।ये, कॉफी शॉप इस ग़रीब ने ही सालों पहले खोल ली थी। दोनों उस पार जाते हैं, और फ़िल्म समाप्त .......!!!