सूरज कुमार बौद्ध ने सिंघू बॉर्डर पर हुई दलित की हत्या पर गहरा रोष प्रकट किया

 मामला संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त तक पहुंचा  

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नई दिल्ली। आज़ाद समाज पार्टी के प्रवक्ता सूरज कुमार बौद्ध ने दिल्ली सीमा पर स्थित सिंघू बॉर्डर पर महीनों से चल रहे किसान आंदोलन के कार्यकर्ताओं द्वारा एक दलित मजदूर की गई नृशंस हत्या पर कड़ा रोष प्रकट किया। इस संबंध में बौद्ध ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त के कार्यालय को पत्र लिखा है, जिससे अब यह मामला अंतरराष्ट्रीय हो चला है। बौद्ध ने एक दलित के मानवाधिकारों के गंभीर हनन के लिए तुरंत हस्तक्षेप करने की मांग की है। मृतक अनुसूचित जाति का है, जिसे पहले के समय में अछूत माना जाता रहा है।

गौरतलब है कि 15 अक्टूबर को एक 35 वर्षीय मजदूर पर धार्मिक ग्रंथ छूने का आरोप लगाते हुए हिन्दू और सिख समाज के ऊंची जाति एवं ऊंचे वर्ग के लोगों ने उसकी पीट-पीट कर हत्या कर दी। उस मजदूर का एक हाथ और एक पैर काट दिया गया था और आतंक फैलाने के उद्देश्य से उसे सार्वजनिक रूप से पुलिस बैरीकेड से लटका कर उसकी हत्या कर दी गई। मृतक अनुसूचित जाति का है, जिसे पहले के समय में अछूत माना जाता रहा है।

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त को लिखे अपने पत्र में आज़ाद समाज पार्टी के प्रवक्ता श्री बौद्ध ने कहा है कि उक्त दलित मजदूर की नृशंस हत्या जातिगत भेदभाव के आधार पर की गई है, जिसकी कड़ी निंदा की जानी चाहिए और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए।

बौद्ध ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त से इस घटना का संज्ञान लेते हुए, भारत सरकार से बात करने की अपील की है और इस संबंध में संयुक्त राष्ट्र की एक फैक्ट-फाइंडिंग टीम भी गठित करने की मांग की है, ताकि स्थिति की सही समीक्षा हो सके। उन्होंने भारत में हर तरफ व्याप्त जातिगत भेदभाव के मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र जनरल असेम्बली में भी उठाने और जातिगत भेदभाव को दंडनीय अपराध घोषित करते हुए अंतराष्ट्रीय कानून बनाने की भी मांग की है।   

अंतरराष्ट्रीय समुदाय से सॉलिडेरिटी की अपील करते हुए, बौद्ध ने बताया कि इस घटना से पूरे भारत के एसी/एसटी के लोगों में भय का माहौल व्याप्त है और इस नृशंस हत्या ने उनकी चेतना एवं आत्मविश्वास को झकझोर कर रख दिया है। कई वीडियो और विजुअल्स के बावजूद अभी तक सिर्फ एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है, जबकि कानून-व्यवस्था को ताक पर रखते हुए की गई इस जघन्य हत्या में कई लोग शामिल हैं।

इस घटना के कई वीडियो वायरल हो चुके हैं, जिनमें से एक वीडियो में हिंसा करने वाले एक व्यक्ति कहता नजर आ रहा है कि उक्त दलित युवक ने हमारे पवित्र धर्मग्रंथ को छुआ था इसलिए उसे सबक सिखाना जरूरी था, ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी यह सबक बने।

राज्य मशीनरी की आलोचना करते हुए, बौद्ध ने कहा कि राष्ट्रीय मनवाधहिकार आयोग, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग एवं गृह मंत्रालय ने इस पर कोई कारवाई नहीं की है, जैसाकि एसी/एसटी के मामलों में हमेशा ही होता रहता है। देखा गया है कि संवैधानिक अथॉरिटी अनुसूचित जाति के लोगों पर हुए गंभीर से गंभीर अत्याचारों पर चुप्पी साधे रहती हैं और घटना पर शत्रुतापूर्ण तरीके से प्रतिक्रिया व्यक्त करती हैं। इस तरह भारत में एससी/एसटी के लोगों की सुरक्षा के मामले में राज्य मशीनरी और घरेलू उपाय पूरी तरह से विफल हैं, जिनकी जनसंख्या 2011 की जनगणना के अनुसार क्रमश: 166.6 मिलियन और 84.3 मिलियन है।

बौद्ध ने बताया कि भारत में अनुसूचित जातियों और अन्य दलित समुदायों के मानवाधिकारों का हनन जो आए दिन होता रहता है, वो कल्पना से परे है। उनकी हत्या की जाती है, उनकी महिलाओं से बलात्कार होता है। लेकिन सबसे दुखद है कि ऐसे मामलों में दोषियों को कोई सजा नहीं होती है और वे समाज में उन्मुक्त होकर घूमते पाये जाते हैं। ऐसे मामलों के 99 प्रतिशत आरोपी अदालत से भी बरी हो जाते हैं।