अफगान तालिबान और केरल...!

लेखक : लोकपाल सेठी

वरिष्ठ पत्रकार, लेखक एवं रानजीतिक विश्लेषक) 

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जिन दिनों अफगानिस्तान के तालिबान लड़ाके देश की राजधानी काबुल पर कब्ज़े के नज़दीक थे उन्हीं दिनों एक क्लिप वायरल हुआ था। यह क्लिप तकरीब दस सेकंड का था। इसमें दो तालिबानी आंतकवादी केरल की  भाषा मलयालम में बातचीत करते सुनाई दे रहे थे। कुछ लोगों ने इस क्लिप पर अपनी टिप्णियों में लिखा केरल के कुछ मुस्लिम कट्टरपंथी न केवल ईरान की आईएसआई के साथ वहाँ इस्लामिक स्टेट बनाने के लिए लड़ रहे बल्कि वे अफगानिस्तान भी पहुच गए है। उनका कहना था अगर केरल, असाम और पश्चिम बंगाल में बढ़ती मुस्लिम कट्टरपंथी तत्वों पर अंकुश नहीं लगाया तो ये आने वाले समय में इस्लामिक स्टेट बनाने की मुहीम शुरू कर सकते है। 

केरल से कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने इस पर अपनी टिप्पणी में कहा कि दोनों तालिबानी जिस भाषा में बातचीत कर रहे है वह मलायलम जैसी ही लगती है लेकिन शायद मलयालम नहीं है। उनका कहना था कि अफगानिस्तान के कुछ अफगान कबीलों में ऐसी भाषा  बोली जाती है जो मलयालम सहित कुछ अन्य दक्षिण भाषी राज्यों में बोली जाने वाली भाषायों से मिलती जुलती है। 

देश की सुरक्षा एजेंसिया काफी वर्षों से केरल में मुस्लिम कट्टरपंथी संगठनों पर नज़र रख रही है। कुछ वर्ष पूर्व इन एजेसियों ने केद्र सरकार को यह रिपोर्ट दी थी कि ईरान में में कम से कम डेढ़ दर्ज़न केरल के मुस्लिम युवा इस्लामिक स्टेट के लड़ाकों के साथ मिलकर लड़ाई कर रहे है। इन एजेंसियों के अधिकारियों ने इन युवकों के परिवारों वालो के माध्यम से उन पर दवाब बनाया कि वे वापिस लौट आयें लेकिन इसमें अधिक सफलता नहीं मिली क्योंकि इनका इतना अधिक ब्रेनवाश हो चुका था कि उन्होंने किसी की भी सुनाने से इंकार कर दिया। अजेसियों को यह रिपोर्ट भी मिली थी कि ईरान के इस्लामिक स्टेट के लड़ाकों के साथ केरल मूल के कई कट्टर पंथी मुस्लिम युवक अफगानिस्तान के तालिबानों को सहयोग देने के लिए उनके साथ सरकार का तख्ता पलटने के की लडाई लड़ने पहुँच गए है। 

जून के महीने में अफगानिस्तान की सरकार ने भारत सरकार को सूचित किया कि उनकी जेलों में चार भारतीय युवतियां बंद है जो अपने पतिओं के  साथ  तालिबानों का साथ देने के लिए यहाँ  2016 और 2019 की बीच इराक से  अफानिस्तान पहुच थी। इन चारों के पतिओं की लडाई में मौत हो गयी थी लेकिन इनको गिरफ्तार कर लिया था। ये चारों की चारों केरल के केसारगोड जिले कि हैं  इनमें से एक के पास छोटा बच्चा है  जबकि एक अन्य गर्भवती है .अफानिस्तान सरकार चाहती थी कि भारत सरकार इनको अपने देश वापिस बुला ले लेकिन केंद्र सरकार इस पर कोई निर्णय नहीं कर पाई। कुछ संगठनों का  कहना था कि इनको यहाँ लाकर इनके खिलाफ देशद्रोह अथवा आंतकवादी गतिविधियों के अधीन मुकदमा चलाया जाये। लेकिन कुछविधि  विशेषज्ञ इस राय के थे इनके खिलाफ ऐसे कोई मुकदमे नहीं चलाये जा सकते। 

केरल एक ऐसा राज्य है जहाँ सबसे पहले कथित लव जिहाद के मामले आये थे। कुछ कट्टरपंथ  मुस्लिम युवक हिन्दू युवतियों को अपने योजनाबद्ध तरीके से प्रेमजाल में फंसाकर शादी कर लेते थे तथा बाद में उन्हें जबरदस्ती इस्लाम कबूल करवा लेते थे। एक मामले में तो यह पाया गया कि एक मुस्लिम युवक शादी के बाद न केवल अपनी हिन्दू पत्नी को जबर्दस्ती मुस्लिम बनाया बल्कि इस्लामिक स्टेट की लडाई लड़ने के लिए अपने साथ ईराक भी ले जाने सफल हुआ। 

अफगानिस्तान की जेलों में बंद केरल की चारों युवतियाँ भी या तो हिन्दू थी या ईसाई। शादी के बाद उनसे  इस्लाम कबूल करवाया गया फिर वे उन्हें अपने साथ  अफानिस्तान भी ले गए। जेल में बंद  फातिमा के पास एक छोटी बच्ची भी है। इसकी माँ  श्रीमती संपत पिछले काफी समय से केद्र सरकार पर दवाब  डाल रही है किन उनकी बेटी और उनकी दौहती को किसी ने किसी तरह भारत लाया जाये। उनका कहना है कि उनकी बेटी को एक मुस्लिम डॉक्टर ने पहले अपने प्रेमजाल फंसाया और फिर शादी करके उससे इस्लाम कबूल करवा लिया। श्रीमती संपत हिन्दू संगठनो से जुडी हुयी है तथा के एक हिन्दू मंदिर के ट्रस्ट की सदस्य है। जब भारत सरकार ने इस मामले कोई ठोस उत्तर नहीं दिया तो उन्होंने केरल हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर अपनी बेटी को भारत लाने की  गुहार लगाई। कोर्ट ने इस मामले में   भारत सरकार को नोटिस जारी कर सही वस्तु स्थिति से अवगत करवाने के लिए कहा है। 

उधर अफगानिस्तान में तालिबानों की सरकार बन जाने के बाद स्वाभावकि है वह जेलों में बन्द  बंद  तालिबानियों  देर सवेर रिहा कर  दिया जायेगा। अब देखना यह है यह की फातिमा तथा अन्य तीन युवतियां वापिस भारत लौटती है या नहीं। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार है)