हमारे चाहने वाले हजार हैं

रोशनी हजार 

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हम सोचते हैं हमारे चाहने वाले हजार  हैं 

पर  मुखोंटो के पीछे  बड़े किरदार हैं

जोआज हमे देख कर गुल से खिलते है

उनके दिए नस्तर आज भी हमे चुभते हैं

पर  साहब  तकदीर का खेल भी कमाल है

एक धूल का गुबार  आसमान पे सवार है

किसी की किस्मत का कौन  पहरेदार है

सोचिएगा  जरूर यह चुभता हुआ सवाल है

जिंदगी की खूबसूरती  बेमिशाल है

पलकों के अन्धेरो में रोशनी हजार है

लेखिका : ममता सिंह  राठौर

गाजियाबाद