रोशनी हजार
http//www.daylife.page
हम सोचते हैं हमारे चाहने वाले हजार हैं
पर मुखोंटो के पीछे बड़े किरदार हैं
जोआज हमे देख कर गुल से खिलते है
उनके दिए नस्तर आज भी हमे चुभते हैं
पर साहब तकदीर का खेल भी कमाल है
एक धूल का गुबार आसमान पे सवार है
किसी की किस्मत का कौन पहरेदार है
सोचिएगा जरूर यह चुभता हुआ सवाल है
जिंदगी की खूबसूरती बेमिशाल है
पलकों के अन्धेरो में रोशनी हजार है
लेखिका : ममता सिंह राठौर
गाजियाबाद