प्रार्थना की शक्ति



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मुम्बई।। प्रार्थना को अभिव्यक्ति का एक माध्यम माना जाता है; जिसके साथ जुड़ी होती है असीम श्रद्धा, उचित ज्ञान, चैतन्य, अभ्यास और इच्छा। इसका परिणाम मनवांछित और चमत्कारिक हो सकता है। 'वर्ल्ड डे ऑफ प्रेयर' के मौके पर एण्डटीवी के कुछ कलाकारों ने उनके रोजमर्रा के जीवन में प्रार्थना की शक्ति के बारे में बताया। उन कलाकारों में 'संतोषी माँ सुनाएं व्रत कथाएं' से ग्रेसी सिंह (संतोषी माँ), तन्वी डोगरा (स्वाति) और आशीष कादियान (इंद्रेश), 'येशु' शो से सोनाली निकम (मेरी) और आर्या धरमचंद कुमार (जोसेफ), 'भाबीजी घर पर हैं' के रोहिताश्व गौड़ (मनमोहन तिवारी), 'हप्पू की उलटन पलटन' से कामना सिंह (राजेश सिंह) और 'गुड़िया हमारी सभी पे भारी' से सारिका (गुड़िया) शामिल हैं। 

ग्रेसी सिंह उर्फ संतोषी माँ कहती हैं, मैं एक आध्यात्मिक इंसान हूँ। मेडिटेशन पर मेरा भरोसा है और मुझे इससे दुनिया के लिए एक उम्मीद मिलती है। ब्रह्मकुमारी कम्युनिटी का हिस्सा होने की वजह से मेरी लाइफस्टाइल ऐसी है जिससे मुझे अपने शारीरिक इंद्रियों पर नियंत्रण करने में काफी मदद मिलती है। मेरी मान्यता का आधार बड़ा ही सामान्य सा है, मैं मानती हूँ कि प्रार्थना के सफल होने के पीछे आपकी मंशा साफ होनी चाहिये। 'वर्ल्ड डे ऑफ प्रेयर' के मौके पर मैं सभी लोगों की अच्छी सेहत और शांति की कामना करती हूँ।

तन्वी डोगरा यानी स्वाति कहती हैं, प्रार्थना की ताकत आपको ऊर्जा देती है और यह चमत्कारिक होती है। इसका अभ्यास करने वालों को शांति और सुकून महसूस होता है। यह एकाग्रचित्त बनाती है, जीवन में स्पष्टता लेकर आती है और नकारात्मक विचारों को दूर करने का काम करती है। मैं हर दिन घर से बाहर निकलने से पहले प्रार्थना करना पसंद करती हूँ। यह मेरी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा है।



आशीष कादियान उर्फ इंद्रेश कहते हैं, हमेशा से ही मेरा विश्वास अस्पष्ट रहा है। कुछ समय पहले मेरा एक भयानक एक्सीडेंट हो गया था, लेकिन मुझे बिलकुल भी चोट नहीं आई। मुझे बहुत ज्यादा हैरानी हुई और मैं इस बात को पचा नहीं पा रहा था कि मैं जिंदा बच गया हूँ। वह एक तरह का चमत्कार ही था और मुझे लगता है कि यह मेरी माँ की प्रार्थना का ही असर है। उन्होंने मुझे जीवनदान दिया है। इससे मेरी सोच काफी बदल गई है।

सोनाली निकम उर्फ मेरी कहती हैं, सच्ची प्रार्थना ना तो मानसिक अभ्यास होती है ना ही मंत्रों का जाप। यह इससे कहीं ज्यादा गहन है, जिसके बाद आध्यत्मिक बदलाव होता है। प्रार्थना अभिव्यक्ति का एक सशक्त माध्यम है, जब किसी को शक्ति के उस स्रोत से बहुत बड़े चमत्कार की उम्मीद और आशा होती है कि वह सुन रहा है। प्रार्थना ऊर्जा का एक शक्तिशाली अस्त्र है जिसका इस्तेमाल स्पष्ट सोच, मंशा और विश्वास के साथ किया जाना चाहिए। मेरे लिए प्रार्थना शांति देने वाली और आत्मा को संतोष देने वाली चीज है, जो कि पाॅजिटिव एनर्जी लेकर आती है।

आर्या धरमचंद कुमार उर्फ जोसेफ कहते हैं, एक विचारशील प्रार्थना फलदायी होती है। 'वर्ल्ड डे ऑफ प्रेयर' के मौके पर मैं दुनिया की शांति और खुशहाली के लिए प्रार्थना करता हूँ। औरों के लिए प्रार्थना करना अपने लिए प्रार्थना करने जैसा है। सबके प्रति दया और करुणा रखें और उनका भला सोचें।

रोहिताश्व गौड़ उर्फ मनमोहन तिवारी कहते हैं, मेरे पेरेंट्स ने मेरे अंदर विश्वास और आस्था की मजबूत नींव डाली है। मैं नियमित रूप से अपने पेरेंट्स और परिवार के साथ मंदिर जाता हूँ। प्रार्थना के बिना मेरा दिन अधूरा होता है। प्रार्थना आपकी इच्छा बताने और आभार व्यक्त करने का जरिया होती है। यह मुझे जमीन से जुड़े रहने में मदद करती है, मैं अपने आपको सुरक्षित महसूस करता हूँ। इससे मुझे शांति, उम्मीद और पाॅजिटिविटी का अहसास होता है।



कामना पाठक उर्फ राजेश सिंह कहती हैं, मुझे लगता है कि प्रार्थना में मंशा एक अहम भूमिका निभाती है। हमारी मंशा हमारी इच्छाओं का प्रतीक होती हैं। मुझे लगता है कि सभी चीजें अच्छी होने के लिये आपकी मंशा भी साफ होना बेहद जरूरी है। हम जो देते हैं वही हम पाते हैं। तो आइए सबके बीच और भी ज्यादा खुशियां, शांति, करुणा और अच्छाइयां फैलाएं।

मनमोहन तिवारी उर्फ पप्पू कहते हैं, विश्वास है तो सब है। हमारा विश्वास ही हमें रास्ता दिखलाता है और हमें जीवन जीने की दिशा देता है। प्रार्थना हमारी कामनाओं और इच्छाओं को पूरा करने का एक आवश्यक माध्यम है। प्रार्थना कृतज्ञ होने और अपनी खुशकिस्मती के बारे में विचार करने के बारे में भी है। यदि हमारा विश्वास है, हमारा इरादा सही है तो अभ्यास करते हुए हमें सबसे मुश्किल चुनौतियों से लड़ने का रास्ता मिल जाता है। 'वर्ल्ड डे ऑफ प्रेयर' के मौके पर मैं सभी लोगों की खुशहाली, अच्छी सेहत और शांति की कामना करता हूँ।