हिन्दी सिनेमा से अच्छा सीखें

लेखिका : रश्मि अग्रवाल

नजीबाबाद। 9837028700

आधुनिक युग में सिनेमा का तात्पर्य सिर्फ हीरो-हीरोईन की नुमाइश पटकथा की प्रक्रिया ही नहीं वरन, इसे इतने प्रभावी अन्दाज़ में सजा-संवारकर पेश करना है, व इनके भव्य सैट, उन पर परिवर्तित होते रंग-रूप, सिर्फ दर्शकों का मनोरंजन करने के लिए ही नहीं बल्कि पैसे की झड़ी लगाने जैसा और एक-दूसरे से अधिक कमाई करने की होड़ जैसा भी है। फिर भी सिनेमा को दो घन्टे का खेल समझकर देखें तो जो भी देखें, समझें, उसे मनोरंजन समझ वहीं भूल आएँ पर सिनेमा को गम्भीरता से व उसकी सारगर्भित चरित्रों को समझें तब उसे जीवन में उतारें ताकि हिन्दी सिनेमा सिर्फ अश्लीलता व भोड़ेपन के लिए ही न हो, इससे कुछ अच्छा सीखने की प्रवृत्ति भी मिले।