लेखिका : लता अग्रवाल चित्तौड़गढ़।
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हमारे समाज का शिक्षा जैसा महत्वपूर्ण क्षेत्र भी आर्थिक विषमता के चलते निजी व सरकारी विद्यालय में बंटा है। सरकार को ठोस योजनायें बनाकर इस पर गंभीरता से विचार करे। सरकारी खर्चे कम किये जाये वीआईपी संसकृति को बन्द किया जाये जो जनता की खून पसीने की कमाई को बेरहमी से न लूटाये। करोड़ों अरबों के ग़ैर जरुरी प्रोजेक्ट पर ध्यान देने की बजाए बेरोजगार डाक्टर इन्जीनियर जो भी शिक्षित युवा पीढ़ी को को रोजगार दे। जितनी भी जनहित की नि:शुल्क योजनाये हे वो लाभार्थी को नहीं मिलता। बिचौलिया का घर भरता है। अगर इस धन से छोटे छोटे लघु, घरेलु कूटीर उद्योग को लगा कर अनपढ़ व गरीब लोगो को रोजगार दे। जिस प्रकार सरकारी कर्मचारी का प्रतिवर्ष मंहगाई भता बढ़ाया जाता है। उसी प्रकार इन उद्योगों के कर्मचारी को भी दिया जाये ताकि इनका भी मनोबल बना रहे। इससे शायद कुछ आर्थिक विषमता में कमी आ जाये।