संदेह एक बीमारी

लेखिका : रश्मि अग्रवाल

नजीबाबाद, 9837028700

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इस ओर दृष्टिपात करें तो संदेह हमारे जीवन के ताने-बाने में बारीकी से गुथा है। इसलिए इस बीमारी को पहचान पाना सरल नहीं। कुछ व्यक्ति रिश्तों में संदेह करने पर आपसी संवाद नहीं बना पाते, जिसके कारण आधी अधूरी सुनी-सुनाई बातों पर विश्वास कर, सच्चे संबंधों पर भी कैंची चलवा देते और स्वयं मन ही मन घुटते व पश्चाताप भी करते कि सच्चाई जाने-समझे बिना या शक्की लोगों के तंज सुनकर ऐसा क्यों किया? पर एक बार का संदेह, सर्वथा के लिए कसक बन जाता है। इसलिए बहुत सोच-समझकर व खुलकर पक्ष जानने का प्रयास करें ताकि जीवनभर पछताना न पड़े।