राम मंदिर निर्माण : अमेरिका में भी दिवाली जैसा जश्न

पांचवीं क़िस्त


  


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जिन बबलू खान से मिलवाने का कल आपसे किया था, उनका पूरा नाम है, अनीस बबलू खान। ये जनाब स्थानीय ज़िला पंचायत के सदस्य हैं और इतने बड़े राम भक्त हैं कि लम्बे समय से इनके ख्वाबो में भव्य राम मन्दिर ही सजता रहा है। खतरा उन्हें भी है ,ख़ौफ उन्हें  भी है, परेशान वे भी होते हैं क्योंकि  आख़िर है तो आदमी, लेकिन यही आदमी होना उन्हें आदमियत का पैगाम देती है। वे कार सेवा तो कर ही रहे हैं, पिछले दिनों उन्होने मंदिर परिसर में एक सौ पांच बार हनुमान चालीसा  का पाठ किया। वे कहते हैं श्रीराम हमारे लिए पूजनीय हैं और राम मंदिर के निर्माण से वतन में यकजहती, भाई चारे, सद्भावना, आपसी सहयोग एवं सहिष्णुता का वातावरण बनेगा। खास जानकारी है कि मियां बबलू खान पीएम नरेंद्र मोदी के अयोध्या में नींव रखने का स्वागत पांच सौ एक दीये प्रज्ज्वलित करके करेंगे। उनके इस उजले खयाल पर नीरज की दो लाइनें याद आ रही ही हैं "अब इस देश में कोई ऐसा मज़हब चलाया जाए, जिसमें आदमी को फिर आदमी बनाया जाए", खैर।


वहाँ अमेरिका में कोरोना के कहर के बावजूद लगभग पूरे हिन्दू समाज में इस ऐतिहासिक अवसर का आँखों देखा हाल विभिन्न समाचार चैनलों पर देखने के लिए लोगों को तो जैसे अभी से नींद ही नहीं आ रही है। लोग कोरोना की बातें करने की बजाय सिर्फ और सिर्फ मंदिर निर्माण की जानकारियां शेयर कर रहे हैं। यह आचरण देखकर लगता है कि पांच अगस्त को स्वयं अमेरिका का अपना सबसे कोई खास महोत्सव आयोजित तो होने जा रहा है। कई जगह तो नींव के मौके पर दीये प्रज्ज्वलित करने की तैयारी है। सुना है कि कहीं कहीं तो नींव के पत्थर पर पीएम नरेंद्र मोदी का नाम तक अंकित करने का प्रस्ताव है। जब अमेरिका में ये हालात हैं, तो मुमकिन है दूसरे देशों में जहाँ भारत के लोग काम काज को लेकर बसे हुए है। वे भी इस यादगार मौके के चेनलों पर देखकर ही सही, गवाह बने।


जब अमेरिका में ऐसा अवर्णीय जश्न मन रहा है और वहाँ के लोग अयोध्या न आ पाने के कारण मन मसोस कर बैठें हैं। तो भारतीय लोगों की छटपटाहट समझी जा सकती है लेकिन हाय रे इस कोरोना ने न जाने कितने राम भक्तों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। मगर मनोचिकित्सक एवं मनोविश्लेषकों के चिंतन का यह विषय हो सकता है कि क्या राम मंदिर के निर्माण से कोरोना के कारण उपजे आतंक और तनाव से लोग थोड़ी बहुत राहत पा सकते है। क्योंकि सारी सम्भावनाये खत्म होने के बाद आदमी जाता तो भगवान के दरबार में ही। तीन अगस्त से अयोध्या में किसी बाहरी व्यक्ति के प्रवेश पर सख़्त पाबंदी रहेगी। बहुत ही संवेदनशील कैमरों की नज़रें ज़र्रे ज़र्रे पर आंखे गड़ाए रखेंगी। राम ,सीता एवं लक्ष्मण चौदह साल के वनवास के दौरान कहा जाता है कि लगभग दो सौ स्थानों पर रुके थे। अयोध्या में सत्रह कॉरिडोर निर्मित किए जाएंगे  ,जो स्मारक के रूप में विकसित किए जाएंगे। इस राम नगरी में एक निजी कम्पनी विशाल टाउनशिप डेवलप करने का इरादा बना चुकी है। तो दोस्तों आज की मन्दिर गाथा को यहीं आराम। कल फ़िर हाज़िर होता हूँ। अपना और अपनों का भरपूर ध्यान रखें। शुक्रिया। इज़ाज़त। (लेखक के अपने विचार हैं) 



लेखक : नवीन जैन 
वरिष्ठ पत्रकार, इंदौर