हरिकेश मौर्य (धावक) तैयार है भारत का परचम लहराने के लिए...!


इन्हें दुःख है कि मुझे सरकार द्वारा कोई सरकारी मदद और न ही प्रोत्साहन मिल रहा है  


प्रतिभा नही  एक शख़्सियत की कहानी सुना रहा
कर्म संग मेहनत के मिलन का रंग दिखा रहा
वीर भूमि भारत की यह पहचान है
इस धरती पर जन्म लेते नित नए जवान है....!


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लख़नऊ। भारत मे विशाल प्रतिभा है, इस प्रतिभा को सजाने के लिए, इसका विकास करने की, उन्हें सुविधायें प्रदान करने की चुनौती आज भी हमारे सामने है। इसके लिए चहुमुखी प्रयास की आवश्यकता है।


आज का समय हमारे खिलाड़ियों के लिए उचित समय है कि वे कोरोना से बचाव के  साथ इससे लड़ते हुए भविष्य मे होने वाले खेल प्रतियोगिताओं जैसे ओलिंपिक खेलो के लिए तैयार हो जाये। सभी भारतवासियों का देश हित मे यह स्वपन होता है हमारा राष्ट्रीय ध्वज सबसे ऊंचाई पर दिखना चाहिए अपने देश को विश्वस्तर पर गौरव का अनुभव कराने के लिए हमें अभी बहुत कुछ पाना है।



कहते है... सपने देखने के लिए एक रात सोना जरूरी है और उसे पूरा करने के लिए बहुत सी राते जागना बहुत जरूरी। कुछ ऐसा ही स्वप्न एक छोटे किसान परिवार में जन्मे हरिकेश ने भी देखा जिन्होंने तमाम बाधाओं को पार कर सफलता का परचम लहराया।


उत्तर प्रदेश के गोरखपुर मैं स्थित सरदार नगर क्षेत्र के हरिकेश मौर्य परिवार में संसाधनो के अभाव मैं न ठीक से शुरुआती शिक्षा ग्रहण कर पाए न ही अपनी रुचि "दौड़" धावक बनने के प्रति कुछ कर पा रहा था 13 वर्ष की छोटी उम्र मैं उस बच्चे का दिमाग इसी उलझन मैं अपने घर अपने परिवार को छोड़कर दौड़ पड़ा अपने सपनों को पूरा करने के लिए।



गोरखपुर से शुरू हुआ सफर हैदराबाद, गोवा, गुजरात, अहमदाबाद से होता हुआ केन्या, भूटान की यात्रायें खेलों में मेडलों की जीत के साथ करता हुआ आज अमेरिकन सरकार की स्कालरशिप की मदद से ओलिंपिक खेलों की तैयारी मैं जुटा है और तैयार है विश्व मंच पर भारत का परचम लहराने के लिए।


लेकिन इसके साथ दु:ख सिर्फ इस बात का की हमारे भारत सरकार द्वारा न केंद्र, न राज्य सरकार द्वारा इस प्रतिभा को कोई सरकारी मदद और न ही प्रोत्साहन मिल सका। 


लेखक : पीयूष शर्मा