हम स्वतंत्र या स्वच्छंद?

स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त पर) विशेष



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क्या-क्या याद करें? वो दिन जब सच बनकर हमारे समक्ष अचानक आ खड़ा हुआ था। जरा याद करिये 15 अगस्त 1947 के वे पल, जिसमें देश के नागरिकों ने स्वतंत्रता की खुली हवा की बयार में, पहली सांस ली होगी। इस देश के अवचेतन में बरसों से ब्रिटिश राज, परतंत्रता के साये, और उनमें तैर रहा आज़ादी की चाहत का सपना, जो सच बनकर जब सामने खड़ा जैसे- सपनों की आज़ादी हमें मिल चुकी थी। आज हम स्वंय के अनुसार एक और स्वतंत्र दस्तक अपनी दहलीज़ पर देख रहे हैं।


क्या ऐसे ही मिली ये आजादी? या असंख्य लालों का बलिदान देकर, हमनें उन सपनों में रंग भरे थे। पर अभी तो ऐसे कई सपनों को गढ़ना शेष, कई संकल्प उठाने हैं जैसे- ‘यत्र नार्यस्तु पूजयन्ते रमन्ते तत्र देवता’ के इस भारत देश में महिला सुरक्षा के प्रश्न? भ्रष्टाचार की जड़ों तक पहुंचने के मार्ग, भूखे को रोटी, व देशभक्तों के सुरक्षा के प्रश्नों का क्या??? (लेखिका के अपने विचार हैं)



लेखिका : रश्मि अग्रवाल


नजीबाबाद


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