व्हाट्सअप के ज़रिए बकरे बेचने पर मजबूर


जाफ़र लोहानी 


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मनोहरपुर (जयपुर)। हजरत इस्माइल अलैहिस्सलाम की याद में मनाया जाने वाला ईद उल अजहा का पर्व ज्यों ज्यों नजदीक आ रहा है त्यों त्यों आसपास में बकरे बिकने के लिए आना शुरू हो गए हैं। कमरतोड़ महंगाई और बेरोजगारी के चलते कई बेरोजगारों ने मोटे मुनाफे की उम्मीद पर बकरों का व्यापार शुरू करते हुए इनको अच्छा चारा खिला पिला व पाल पोस कर एक साल से सेवा कर रहे हैं। 


कोरोना कोविड 19 ने इन बकरा पलकों की उम्मीदों पर पानी फ़ेर दिया हैं। मुम्बई, दिल्ली,महाराष्ट्र, आदि प्रदेशों की बकरामंडी में ग्राहकों का टोटा होने और कम कीमतें लगाने से बकरापालको पर संकट के बादल छा गए हैं। अब ये सौच में पड़ गए हैं कि अब ये बकरे कहा पर बेचेंगे। 


लॉक डाउन में घर बैठे रहने से और भी बेरोजगारी बढ़ी हैं इसके चलते इन बकरों के ओने पौने दाम लगने से बकरा व्यवसाइयों के पसीने छूट रहे हैं। बकरा व्यवसाइयों में एक जने ने  वर्तालाब में बताया कि पूरे साल भर बकरों की अच्छी सेवा ये सोच कर की थी कि मेरी जवान बेटी की शादी करूँगा, एक ने बताया कि माताजी का ऑपरेशन करवाना था एक ने बताया कि लोन की किश्तों को उतारना था लेकिन भाव कम लगने से हमको अफसोस ये हो रहा है कि हमारी पूरे साल की मेहनत का अब क्या होगा ? पूरे साल उनकी मेहनत करके खिला पिला कर बड़ा किया और अब लोग कम कीमत लगा रहे है। इससे उन लोगों के सपने पर पानी फिर गया जो लोग मोटा मुनाफा कमा कर अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए बकरे का व्यवसाय शुरू किए थे। 


बकरों व भेड़ो की नस्ले


माजिद कुरैशी खंडेला
पूर्व छात्रसंघ महासचिव


खंडेलवाल कॉलेज ने बकरों व भेड़ो की नस्ल की जानकारी देते हुए बताया कि बकराईद पर बकरा मण्डी में  विभिन्न प्रकार के नस्ल के बकरे व भेड़ बिकने के लिए आते हैं इनमे गुजरी बकरा, देसीबकरा, तोतापुरी बकरा, सोजत बकरा, बरबरी बकरा, यूप बकरा, मेवाती लम्बे कान का बकरा, कोटा नस्ली बकरा, नागोरी नस्ल बकरा, जोधपुरी नस्ल काले रंग का बकरा,पंजाबी नस्ल का बकरा (जिनकी आंख सफेद होती है), देशी भेड, दुम्बी भेड, जमना पारी भेड़ (इसकी दुम लम्बी होती हैं), काटे वाली भेड (यह अक्सर छत्तीसगढ़ में पाई जाती है) 


बकरों की खरीद-फरोख्त के लिए व्हाट्सएप ग्रुप बनाएं 


वैश्विक महामारी के चलते इस बार बकरों की खरीद-फरोख्त के लिए ऑनलाइन बकरा मंडी लगाई जा रही है बकरा ईद पर बकरा मंडी नहीं लगने से बकरा पलकों में मायूसी छाई हुई है। क्योंकि इस दिन के लिए लोग बकरों की अच्छी तरह से परवरिश करके तैयार करते हैं। कोरोना संक्रमण के चलते बकरा मंडी नहीं लगने से मायूसी छाई हुई है लेकिन जो लोग ऑनलाइन बकरों की बिक्री नहीं कर सकते हैं। उनके लिए काफी मुश्किल पड़ गई है। 


कई जगहों पर ऑनलाइन खरीद फरोख्त की जा रही है इन बकरों की खरीद फ़रोख्त के लिए व्हाट्सएप ग्रुप बनाए गए हैं। इस ग्रुप में नई-नई नस्ल के बकरों की फोटो डाल रहे हैं। साथ ही फोटो के साथ बकरे की कीमत भी दर्शायी जा रही है। कोरोना के बचाव के चलते इस बार सोशल मीडिया पर अलग-अलग ग्रुप बनाए गए हैं। साथ ही वीडियो कॉलिंग के जरिये भी लोगों को बकरों की ख़रीद फ़रोख्त की जा रही है। केंद्र सरकार की गाइडलाइन की पालना में इस बार बकरा मंडी नहीं लग रही है।