राम मंदिर निर्माण : बस कुछ कदम का फासला

राम मंदिर निर्माण (दूसरी क़िस्त)



daylife.page 


अयोध्या में राम मंदिर शिलान्यास (निर्माण) से सम्बंधित जानकारी इंदौर के नामी वरिष्ठ पत्रकार नवीन जैन ने अपने स्तर पर daylife.page के लिए जुटाई। हम उनके सहयोग को सराहनीय प्रयास मानते हुए, अपने माध्यम से यह मैटर साझा करने का प्रयास कर रहे हैं और जिसको क्रमवार हम आप तक पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं :


करोड़ों के दिलों पर राज कर रहे प्रभु श्रीराम का मंदिर कल्पित करने वाले चन्द्रकान्त सोमपुरा के अनुसार मंदिर 268 फुट लंबा, ऊँचा,140 फुट चौड़ा एवं 129 ऊंचा होगा। निर्माण के लिए गुजरात, मिर्जापुर तथा राजस्थान से सैकडों आए कारीगरों ने पहली मंजिल तो तैयार भी कर दी है। जहां विशेषकर बचपन के रामलला वीराजमान किए जाएंगे। उक्त विशाल, भव्य, दर्शनीय मंदिर को उत्तर भारत की नागर शैली में बनाया जा रहा है। पहली मंजिल 106 तथा दूसरी भी 106 फुट ऊँची होगी। जो सभी स्तंभ बन रहे हैं उनमें पहले तल पर 16 फुट छह इंच और दूसरे पर 14 फुट छह इंच स्तम्भ होंगे।



सम्पूर्ण मंदिर के निर्माण में फिलहाल राजस्थान के भरतपुर से लाल बुलावा पत्थरों की  एक लाख़ 75 हज़ार घन फुट की जरूरत पड़ेगी। जिनमें से एक लाख घन फुट पत्थरों को तराश लिया गया है। बद्रीनाथ की मिट्टी, अलकनन्दा, नर्मदा और शिप्रा जैसी पवित्र पावन सलिलाओं का जल उपयोग में लाया जाएगा। मंदिर इसलिए भी मन भावन और यादगार बन रहा है, क्योंकि जगह-जगह रामायण के प्रसंगों को उत्कीर्ण करने का कार्य प्रगति पर है। अभी से रोशनी की जगमग में नहाने को आतुर प्रभु श्रीराम के मंदिर से इसके परिसर से लगी ऐतिहासिक पुण्य सरयू नदी सावन के इस महीने में बड़े मोहक अंदाज़ में मुस्कानों की लड़ियाँ सजा रही है।


लगता है मंज़र कुछ ऐसा होगा कि लोग एक बारगी तो इसकी खूबसूरती पर ऐतबार ही नहीँ करेंगे। चन्द्रकान्त सोमपुरा के पुत्र आशीष ने एक शीर्ष अखबार को चौकाने वाली जानकारी दी है कि श्रीराम मंदिर स्थापत्य कला के अदभुत उदाहरण के रूप में इस तरह कल्पित किया जाएगा कि आठ से दस रिक्टर स्केल का भूकंप भी इसे थर्रा नहीँ पाएगा। यह मंदिर एक हज़ार वर्ष तक हिमालय की अदा में तनकर हर भक्त को आर्शीवाद प्रदान करता रहेगा। इसके लिए करीब दो सौ फुट तक ज़मीन की खुदाई करके मिट्टी की जांच परख की गई है।


सिर्फ धर्म भवन में एक बार में दस हज़ार भक्त रामलला के दर्शन कर पाएंगे। मंदिर निर्माण में गारे, ईटें एवं स्टील का उपयोग नहीँ किया जा रहा है, बल्कि सफेद सीमेंट तांबे की धातु वगैरह का उपयोग किया जा रहा है। ज़रूरत के मुताबिक चंदन की लकड़ियों का स्तम्भों में तथा संगमरमर का उपयोग फर्श निर्माण में किया जाएगा। चारों दिशाओं में लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न एवं मैया सीता के द्वार निर्मित होकर रावण पर श्रीराम की विजय का प्रतीक विजय स्तम्भ आकर लेगा। वीर हनुमान की विशाल प्रतिमा भी अदभुत होगी। यदि कभी पानी रिसाव या रंग फीके पड़ने की समस्या पैदा हुई तो केमिकल कोडिंग का इस्तेमाल अभी से किया जा रहा है। प्रथम माले पर कथा कुंज नाट्य शाला स्टाफ क्वार्टर मेडिटेशन सेंटर संत निवास वगैरह लगभग निर्मित हो चुके हैं। (लेख में लेखक का अपने विचार हैं) अगली क़िस्त में राम दरबार के बारे में चर्चा । क्रमशः



लेखक : नवीन जैन


इंदौर (एम.पी.)