हमें नाज़ है.... अपने देश के वीर जवानों पर


फाइल फोटो


26 जुलाई 1999 कारगिल युद्ध, आॅपरेशन विजय के नाम से जाना जाता है ।


कारगिल की शौर्यगाथा- राठ के वीरों की पताका, अलवर अगूठा गाँव राठ के जवानों की शौर्यगाथा। 100 से अधिक शहीद हुए, जिसमें 44 सैनिक कारगिल और अन्य आॅपरेशन में सेवा सहित बीएसएफ, सीआरपीएफ व अन्य बलों के 25 हजार के लगभग पूर्व सैनिक तथा सेना में 11 हजार सैनिक वर्तमान में दमखम दिखा रहे हैं। अन्य बलों में लगभग 13 हजार जवान सेवारत, अनेक परिवारों से दो से तीन सदस्य सीमा की रक्षा कर रहे। गाँवों में मुख्य मार्गों अन्य मार्गों व सार्वजनिक स्थलों पर लगी शहीदों की प्रतिमाएँ व शहीद स्मारक उनके शौर्य की कहानी कहते नज़र आ रहे हैं। ऐसे ही सोमलपुर की माटी को सलाम, शहीदों के गाँव के रूप में है प्रदेश की पहचान। 50 जवान, आज भी भारतीय सेवा की शान बढ़ा रहे, 150 सेवानिवृत्त भावी सैनिक तैयार कर रहे, और शहीद हुए रणबांकुरों के स्मारक, यहाँ के युवाओं को देश सेवा के लिए प्रेरित कर रहे हैं। (लेखिका के अपने विचार हैं) 


हमें नाज़ है.... अपने देश के वीर जवानों पर।


 


लेखिका : रश्मि अग्रवाल
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