लापरवाही का गवाह इंदौर का एक निजी अस्पताल

(इंदौर से नवीन जैन) 


इंदौर। इंदौर कलेक्टर ने कल शहर के नामचीन निजी गोकुलदास अस्पताल के खिलाफ कार्यवाही करते हुए सील कर दिया। साथ ही हॉस्पिटल का लाइसेंस भी निरस्त कर दिया। निरस्त करने का कारण कोरोना के मरीजों के इलाज में घोर लापरवाही की गई , जिससे चार मरीजों की मृत्यु हो गई। मरीज़ों के परिजनों के हंगामे के वीडियो वायरल होने के बाद यह कार्यवाही की गई। कलेक्टर की इस कार्यवाही का समर्थन किया जाना चाहिए कि उन्होंने मौतों के सौदागर और लुटेरे अस्पताल पर कार्यवाही की।
 
गोकुलदास हॉस्पिटल में कोरोना के 19 मरीज भर्ती थे। उनमें से चार की अचानक मौत हो गई। अस्पताल के निदेशक डॉ संजय गोकुलदास को लगातार फ़ोन किए गए , लेकिन घंटी बजती रही , पर कोई मतलब नहीं निकला। इसके चलते परिजनों का हंगामा होने संभागायुक्त ने तीन सदस्यीय डॉक्टरों जाँच दाल गठित कर 8 मई की रात को अस्पताल भेजा। जांच दल को परिजनों से बात करने  पर बताया गया कि इलाज़ में जल्दबाजी की गई , जिससे मौतें हुई है। इस जांच दल में सीएमएचओ डॉ. प्रवीण जड़िया, अपर सीएमएचओ डॉ. माधव हसानी, डॉ. अमित मालाकार थे।


जांच दल की रिपोर्ट के आधार कलेक्टर मनीषसिंह ने स्वास्थ्य विभाग को अस्पताल सील करने के आदेश देते हुए बाकी 14 मरीजों को दूसरे हॉस्पिटल में शिफ्ट करने का कहा । संभवतः देश मे ऐसा पहला मामला होगा जब किसी निजी अस्पताल का का लाइसेंस अस्थाई रूप से निरस्त किया गया हो। मध्य भारत में इंदौर को मेडिकल हब  कहा जाता है। यहां पर कोई 30 से ज्यादा कार्पोरेट अस्पताल है। साथ ही पूरे देश में ख्यात सात मंजिला एमवाय अस्पताल के अलावा 3 सरकारी अस्पताल है। एमवाय अस्पताल के साथ मेडिकल कॉलेज की भी उतनी ही  प्रतिष्ठा है। गोकुलदास अस्पताल में हुई ताज़ा घटना के बाद प्रदेश कांग्रेस ने भी तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि देश के अस्पताल कोरोना का इलाज़ कर रहे है , जबकि मध्यप्रदेश के अस्पताल हत्या कर रहे है। 


ज्ञात हो कि इंदौर के निकटवर्ती मंदसौर कलेक्टर ने भी इंदौर को कलेक्टर को शिकायत पत्र मिला था कि गोकुलदासअस्पताल में मरीजों के इलाज में लापरवाही की जा रही है , जिससे एक मरीज की मौत हो गई। जिन चार मरीजों की मौत हुई , उनमें से तीन की कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आई है। एक की अभी आना बाकी है। सूत्रों की माने तो कारोबारी गोकुलदास अस्पताल कोरोना हॉस्पिटल की सूची से कटने की फिराक में था , इसलिए इस तरह की लापरवाही करके लोगों की जिंदगियों से खेल रहा है। इंदौर कलेक्टर से अपेक्षा थी कि वे कोई बड़ी कार्यवाही इस लुटेरे हॉस्पिटल के खिलाफ करेंगे, वो उन्होंने की। उनका समर्थन है इस कार्यवाही के लिए।