भारत में 2020 में परिवार नियोजन कार्यक्रमों की गति में 15-23 प्रतिशत गिरावट की संभावना
कोविड 19 प्रभाव:  वर्ष 2020 में राजस्थान में 1,66,217 अनचाहे गर्भधारण, 58,319 असुरक्षित गर्भपात और 122 मातृ मृत्यु होने की संभावना

(डे लाइफ डेस्क) 


जयपुर। फाउंडेशन फॉर रिप्रोडक्टिव हेल्थ सर्विसेज़ इंडिया के अध्ययन से खुलासा हुआ है कि वर्ष 2020 में संपूर्ण भारत के परिवार नियोजन कार्यक्रमों की गति में 15-23% गिरावट आएगी।  25 मार्च से संपूर्ण भारत में लॉकडाउन घोषित होने का न चाहा हुआ परिणाम यह हुआ कि लाखों महिलाएं चाहते हुए भी अपने पसंदीदा गर्भनिरोधन हासिल करने में असफल रहीं। इस लॉकडाउन के कारण गर्भनिरोधन हासिल करने और उसके प्रयोग में काफ़ी हद तक गिरावट देखी गई। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के आदेशानुरूप सार्वजनिक हेल्थ सेंटरों ने नसबंदी और आईयूसीडी (IUCD) प्रदान करने के कार्यों को अगली सूचना तक निलंबित कर दिया है। आने जाने पर रोक लगने के कारण बिना डॉक्टर के पर्चे पर मिलने वाली गर्भ निरोधक दवाई, कंडोम, ओसीपी (OCP) और ईसीपी (ECP) हासिल करने में लोगों को काफ़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इसके प्रभाव को समझने के लिए, शीर्ष गैर-सरकारी संगठन और भारतीय निजी/गैर-सरकारी क्षेत्र में सबसे ज़्यादा क्लिनिकल परिवार नियोजन सेवाएं प्रदान करने वाली संस्था - फाउंडेशन फॉर रिप्रोडक्टिव हेल्थ सर्विसेज़ इंडिया (ऍफआरएचएस (FRHS) इंडिया) ने नीति संबंधी सूचना जारी की है जिसमें इस लॉकडाउन के परिमाणस्वरुप सेवा प्रदान करने की क्षमता में गिरावट और संपूर्ण भारत और तीन राज्य - बिहार, राजस्थान तथा उत्तर प्रदेश के परिवार नियोजन कार्यक्रम पर इसके प्रभाव का अनुमान लगाया गया है।


ऍफआरएचएस (FRHS) इंडिया ने स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली (हेल्थ मैनेजमेंट इन्फॉर्मेशन सिस्टम) (एचएमआईएस) (HMIS), सोशल मार्केटिंग आंकड़ें और रिटेल ऑडिट जैसे बाहरी स्रोतों का प्रयोग कर वर्ष 2020 में बिक्री में संभावित घाटे और सेवाओं की कमी के कारण स्वास्थ्य पर प्रभाव के आंकड़ों का पता लगाया है। ये आंकड़ें निराशाजनक हैं। राष्ट्रिय स्तर पर, इस बात की सबसे ज़्यादा संभावना है कि लॉकडाउन अवधि के दौरान और उसके बाद संपूर्ण सामान्य स्थिति यानी कि सितम्बर महीने तक 25.6 लाख लोग परिवार नियोजन सेवाएं हासिल करने में असफ़ल रहेंगे (यह अनुमानित आंकड़ा निम्न दो संभावनाओं पर आधारित है: यदि वर्ष 2020 के सितम्बर महीने से क्लिनिकल परिवार नियोजन सेवाएं संपूर्ण रूप से शुरू हो जाएं और चरणबद्ध तरीके से बिना पर्चे पर मिलने वाली गर्भ निरोधक दवाई की बिक्री मई के महीने के तीसरे हफ़्ते से शुरू हो जाए)। इससे 2.38 लाख अतिरिक्त अनचाहे गर्भधारण, 679,864 अतिरिक्त बच्चों का जन्म, 1.45 लाख अतिरिक्त गर्भपात (834,042 असुरक्षित गर्भपात सहित) और 1,743 अतिरिक्त मातृ मृत्यु होने की संभावना है।


ऍफआरएचएस (FRHS) इंडिया के अनुमान के अनुसार, राजस्थान राज्य में 1.60 लाख जोड़े गर्भ निरोधन प्राप्त करने में असफ़ल होंगे। इसके परिणाम स्वरूप 1,66,217 अनचाहे गर्भधारण, 47,539 जीवित बच्चों का जन्म, 1,01,062 गर्भपात (58,319 असुरक्षित गर्भपात) और 122 मातृ मृत्यु होंगी। वर्ष 2020 में, 57,757 ट्यूबल लीगेशन, 92,040 आईयूसीडी (IUCD), 56,382 इंजेक्शन द्वारा गर्भनिरोधन, 1.21 लाख ओसीपी (OCP), 54,007 ईसीपी (ECP) सेवाएं रद्द होंगी और 25.49 लाख कंडोम का प्रयोग नहीं होगा यदि ऐसे ही ज़्यादा दिनों तक चलता रहा तो इसका प्रभाव और भी भयानक होगा। सबसे ख़राब स्थिति में राजस्थान राज्य में 2,04,301 अनचाहे गर्भधारण, 58,431 जीवित जन्म, 1,24,217 असुरक्षित गर्भपात और 150 मातृ मृत्यु हो होने की संभावना है। सबसे खराब स्थिति यानी कि धीरे और कम मात्रा में परिवार नियोजन सेवाएं उपलब्ध होने पर राजस्थान राज्य में कुल 1.67 जोड़े परिवार नियोजन सेवाएं प्राप्त करने में असफ़ल होंगे।


वी.एस. चन्द्रशेकर,चीफ़ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर, फाउंडेशन फॉर रिप्रोडक्टिव हेल्थ सर्विसेज़ इंडिया द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार “कपल इयर्स ऑफ़ प्रोटेक्शन के क्षेत्र में वर्ष 2019 के मुकाबले वर्ष 2020 में परिवार नियोजन कार्यक्रम पर -15% से -23% तक बुरा प्रभाव होगा।” चन्द्रशेकर आगे कहते हैं, “लॉकडाउन के दौरान परिवार नियोजन सेवाओं में रुकावट आने के कारण लॉकडाउन हटने या उसमें ढील आने पर नसबंदी और गर्भपात सेवाओं की मांग बढ़ोतरी आएगी। इससे हमारी स्वास्थ्य व्यवस्थाओं पर अधिक दबाव पड़ सकता है और इन मांगों को पूरा करना मुश्किल हो सकता है।


ऍफआरएचएस (FRHS) इंडिया के अनुसार इस बुरे प्रभाव से निपटने के लिए निम्न सुझाव अपनाए जा सकते हैं: a) परिवार नियोजन और गर्भपात की उच्च मांग को पूरा करने के लिए सार्वजनिक और निजी स्वास्थ्य व्यवस्थाओं में बेहतर तैयारी सुनिश्चित करना। b) काविड 19 के प्रकोप के चलते स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने में ज़रूरी बदलाव लाते हुए बेहतर प्रक्रिया का विकास करना और ज़रूरी आपूर्ति, सामान, दवाई आदि प्राप्त करना c) राज्यों द्वारा एमए (MA) दवाइयों की बिक्री पर मौजूद गैर-ज़रूरी प्रतिबन्ध हटाकर दवाखानों में खुले तौर पर इन दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित करना। d) सार्वजनिक क्षेत्र में इम्प्लान्ट्स उपलब्ध कराकर लोगों को परिवार नियोजन संबंधी ज़्यादा विकल्प प्रदान करना। e) बिना पर्चे पर मिलने वाली गर्भ निरोधक दवाई खासकर ईसीपी (ECP) और कंडोम के विज्ञापन पर लगे प्रतिबन्ध को हटाना f) सामाजिक विपणन संगठन और सेवाएं प्रदान करने वाली निजी/गैर-सरकारी संस्थाओं की चुनौतियों पर ध्यान देना और उनके घाटों को कम कर उनकी भागीदारी को और मजबूती प्रदान करना। चंद्रशेकर के अनुसार “अगर पहले ही सुधारात्मक कदम न उठाए गए तो संपूर्ण भारत और राजस्थान राज्य में आबादी नियंत्रण और मातृ मृत्यु में जो कमी हासिल हुई है उसे गवाना पड़ सकता है।” परिवार नियोजन सेवाओं का न मिलना और इन्हें प्राप्त करने में असफ़लता से परिवार नियोजन कार्यक्रम पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है और इसलिए सरकार को इस ओर ध्यान देकर इससे निपटने की ज़रूरत है।


फाउंडेशन फॉर रिप्रोडक्टिव हेल्थ सर्विसेज़ इंडिया के बारे में


वर्ष 2009 से गैर-सरकारी संगठन फाउंडेशन फॉर रिप्रोडक्टिव हेल्थ सर्विसेज़ इंडिया महिलाओं और लड़कियों को अपने प्रजनन अधिकार और इस बारे में स्वयं निर्णय लेने की क्षमता हासिल कराने की ओर कार्यत है। ऍफआरएचएस (FRHS) इंडिया ने गैर-सरकारी और निजी क्षेत्र में परिवार नियोजन सेवाएं प्रदान करने में नंबर 1 स्थान हासिल किया है। राजस्थान, बिहार और उत्तर प्रदेश की राज्य सरकारों के साथ सार्वजनिक-निजी भागीदारी स्थापित कर ऍफआरएचएस (FRHS) इंडिया राज्यों की परिवार नियोजन सेवा में सुधार लाता है और उच्च गुणवत्ता परिवार नियोजन सेवाएं उपलब्धता कराता है। वर्ष 2019 में, ऍफआरएचएस (FRHS) इंडिया ने 1,40,344 क्लाइंट को नसबंदी सेवा, 20,093 क्लाइंट को आईयूसीडी (IUCD) और 824 क्लाइंट को सुरक्षित गर्भपात सेवाएं प्रदान की। वर्ष 2019 में, ऍफआरएचएस (FRHS) इंडिया ने 1,82, 513 क्लाइंट को परामर्श सेवाएं प्रदान की और 82,464 अनचाहे गर्भधारण, 29,406 असुरक्षित गर्भपात और 64 मातृ मृत्यु रोके।