बेटी पीहर लौट आई थी ससुराल कभी वापस ना जाने के लिए


सांकेतिक फोटो 


(डे लाइफ डेस्क)


पांच साल ससुराल रहने के बाद बेटी पीहर लौट आई थी ससुराल कभी वापस ना जाने के लिए। पिता की आँखों में सवाल थे। माँ के पास तमाम सवालों के जवाब पर पिता बेटी से ही सुनना चाहते थे। बेटी ने पिता का पर्दा किया और तमाम सवालों के जवाब दिये। किस तरह ससुराल में दूधमुहि बेटी को छोड़ खेतों में काम करने के बाद भी बेटी को गले नहीं लगा सकती।काम का बोझ, उस पर भी ढोर डंगर की जिम्मेदारी भी उसी की। उस पर भी सासू जी के ताने छलनी करते हैं। उपेक्षा का दंश झेलने के बावजूद प्यार के दो बोल के लिए तरस जाती है वो।


इसमें नया क्या है बेटा, हमने भी यही सब किया है, हर औरत यही करती है। तुम कोई नवेली तो हो नही जो तुम्हारे साथ कुछ अलग होगा? माँ ने घूँघट की ओट से कहा। पिता कुछ पल सोचते रहे। फिर बेटी के ससुराल फ़ोन लगाया। आपसे बात करनी है, जितनी जल्दी आ सकें जवाई जी के साथ पधारिये। बेटी का पति, सास और ससुर हाजिर थे। बहू अगर घर का काम न करे, खेत पर न जाए, ढोर डंगर की देखभाल, दूध निकलना ना करे तो क्या उसे आलिये में बैठा के पूजा करें उसकी। सास का सवाल था।


ऐसा तो नहीं कहा उसने कि पूजा कीजिये उसकी। मगर कम से कम उसे इंसान तो समझिए। उसकी बच्ची से पूरा दिन उसे दूर रहना पड़ता है, आखिर दूध पीती बच्ची है अभी उसकी पर आप लोग उसे बहू  कम नौकरानी ज्यादा समझ रहे हैं। कमरे में क्षण भर चुप्पी छा गई।


अब मेरी बेटी आपके साथ नहीं जाएगी। उसके नाम से जमीन का चौथा हिस्सा और मकान कीजिये। और आप चाहें तो दूसरी शादी करने को स्वतंत्र हैं। पिता ने फैसला सुनाया। खाना खाकर पधारें आप...पिता ने हाथ जोड़े और दरवाजे से निकल गए। बेटी दरवाजे की ओट से सब सुन रही थी। पिता ने बेटी के सर पर हाथ रखा। शादी ही की है, इसका ये मतलब नहीं कि तुझे अकेला छोड़ दिया है। अब भी मेरा गुरुर है तू। पिता ने बेटी के सर पर हाथ फेरा। आँखे दोनों की छलछला रहीं थी। 


संकलन : एस.एन. खण्डेलवाल