एक स्टूल पर चाय रखकर दूसरी स्टूल पर हम बैठे थे । तोताराम ने आते ही हमें खड़ा कर दिया और चाय चबूतरे पर एक तरफ़ रख दी । इसके बाद दोनों स्टूलों को दोनों हाथों में उठाकर ऊँचा कर दिया । स्टूलें गिरने लगीं तो हमने उन्हें थामकर एक तरफ़ रख दिया और कहा- यह क्या तमाशा है ? कहीं कंधे में झटका लग गया तो मुश्किल हो जायेगी । बुढापे में हड्डियाँ बड़ी मुश्किल से जुड़तीं हैं । तोताराम झुँझलाकर बोला- इस समय बुढापे की बातें करके मेरा मनोबल मत गिरा । अगर हड्डी टूट भी गई तो कोई बात नहीं । बस, एक बार चुनाव जीतने के बाद एम्स किसलिए है । पड़े-पड़े इलाज करवाते रहेंगें । पर चुनावों में एक बार मेरे सिक्स पैक जनता को दिखा लेने दे । अस्सी साल के ऊपर के बुड्ढे भी जब बाल रंग कर (यदि बचें हों तो) शक्तिवर्धक दवाएँ खाकर, जिम में डमबल्स उठाकर फ़ोटो खिंचवा रहे हैं कि कहीं सत्ता सुन्दरी उनकी जवानी पर फ़िदा होकर वरमाला ही डाल दे । वैसे भी जब से अमरीका में ओबामा आया है, सब तरफ़ जवानी-जवानी की गुहार लगी है । अभी मेरी उम्र ही क्या है ? वरिष्ठ नागरिक बने मात्र दो ही साल तो गुज़रे हैं । अस्सी साल पार के भी जब मुँह निकाल रहे हैं तो मैं क्या बुरा हूँ ।
हमने कहा- तोताराम, राजा और सेठ कभी बूढ़े नहीं होते । नाचने-गाने वाले तो खैर मेकप करते ही हैं । गरीब की ज़वानी बड़ी ज़ल्दी जाती है । बुढ़ापा बड़ी ज़ल्दी आता है । गरीबी का जीवन भी ज़्यादा लंबा नहीं होता । गरीब को ये नाटक शोभा नहीं देते । जब बड़े आदमी जवान दिखने का नाटक करते है तो उनके चारों तरफ़ बीसों आदमी होते हैं संभालने के लिए । यदि आज मैं नहीं पकड़ता तो दोनों स्टूलों का और तेरा कबाड़ा हो जाता ।
पर तोताराम कहाँ मानाने वाला था, बोला- चाहे जवानों की लाख गुहार मची हो पर भाजपा और कांग्रेस दोनों के उम्मीदवार संन्यास आश्रम में पहुँच चुके हैं । उधर करुणानिधि, बाल ठाकरे आदि कौनसे जवान हैं ? पुराना चावल, पुरानी शराब, पुराना घी और पुरानी प्रेमिका- इनकी बात ही कुछ और है । हमने उसे ताऊ भग्गू का किस्सा याद दिलाया जो बुढापे में बच्चों के साथ कूदने का कम्पीटीशन करके पैर में स्थायी मोच खाकर आज नब्बे साल की उम्र में लंगड़ा कर चलने को मज़बूर हैं । पर उसने हमारी एक न सुनी । जिसके सिर पर मौत या इश्क सवार हो जाते हैं वह किसीकी नहीं सुनता । तोताराम ने कुरते की बाहें ऊँची करके अपने जैसे भी थे सिक्स पैक दिखाए । पर उसे पता नहीं कि दुनिया सिक्स पैक से आगे निकल कर सिक्सटी पैक तक पहुँच गयी है ।
हमने भी तोताराम को पैक करके चाय की प्याली उठायी और तोताराम के बिना ही चीयर्स करके पी गए ।
(व्यंग्यकार/लेखक के अपने विचार है)
रमेश जोशी
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