क्रिकेट का जुनून

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क्रिकेट का जुनून पूरे देश पर हावी होता जा रहा है खेल को खेल के तरीके से लेना चाहिए पर इस विदेशी खेल ने तो हमारे देश को अपना गुलाम बना लिया है। पूरी युवा पीढ़ी पढ़ाई लिखाई छोड़कर मैच देखने को आतुर रहती है। और अब तो हर हाथ में मोबाइल है। क्रिकेटरों की बोलियां लगाई जाती है। आईपीएल मैचो में करोड़ों रुपए का खर्चा होता है और करोड़ों रुपए की कमाई होती है जो इन क्रिकेटरों को मिलती है यह मात्र व्यवसाय बनकर रह गया है। पूरे वर्ष भर देश में क्रिकेट में चलता रहता है। अगर सरकार इसी प्रकार पुराने पारंपरिक खेलों फुटबॉल, वॉलीबॉल, हॉकी, कबड्डी, कुश्ती जैसे खेलों को भी इसी प्रकार बढ़ावा दे तो अच्छा रहेगा। ग्रामीण प्रतिभाओं को आगे लाने का प्रयास करना चहिए। हॉकी में ध्यानचंद व कुश्ती में दारा सिंह का नाम आज भी सम्मान से लिया जाता है। (लेखिका का अपना अध्ययन एवं अपने विचार है। )

लेखिका : लता अग्रवाल, चित्तौड़गढ़ (राजस्थान)।