काला धन

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कभी हमारा देश सोने की चिड़िया कहलाता था। यह प्राकृतिक भू संपदा का धनी देश था। यहां की गौरवशाली सभ्यता और संस्कृति का विश्व में उच्च स्थान है। आजादी के बाद देश काले धन के अंधकार में डूब गया। अपने ही देश के नेताओं ने अपने ही देश की गरीब जनता को लूटकर विदेशी बैंकों में  धन जमा करना शुरू कर दिया। जब नेताओं का पैसा विदेशी बैंकों में जमा हो तो काले धन को वापस देश में लाने की बात करना बेमानी है। सरकार आम जनता की मेहनत की कमाई पर कर लगाती है इसे विवश होकर जनता अपनी मेहनत की कमाई को छुपाती व बचाती है इससे काला धन उपजता है। सरकार को चाहिए की सारे कर हटा दे। काला धन हमारी व्यवस्था में इस कदर रच बस गया है की उससे मुक्त होना नामुमकिन है। काले धन व भ्रष्टाचार के विरोध कोई आवाज उठाता है तो उसकी आवाज को दबा दिया जाता है। आंदोलन  चलता है तो उसे अनैतिक तरीके से खदेड दिया जाता है। काले धन का मुख्य कारण हमारी खर्चीली चुनाव प्रणाली है। चुनाव में बेहद पैसा खर्च होता है। चुनाव वही जीत सकता है जिसके पास काला धन हो। काले धन के सहारे वह संसद तक पहुंच जाता है और खर्च किए हुए धन को वसूलने की जुगाड़ में लग जाता है यह सतत प्रक्रिया जारी रहती हैं। अगर विदेश में जमा काला धन वापस लाया जाये तो हमारी अर्थव्यवस्था विश्व में प्रथम स्तर तक पहुंच सकती है। युवाओं को रोजगार मिलेगा, हर व्यक्ति को रोटी कपड़ा और मकान उपलब्ध होगा। लेकिन यह सब सरकार की प्रबल राजनीतिक दृढ़ इच्छा शक्ति व संकल्प से ही संभव हो सकता है। 

लेखिका : लता अग्रवाल, चित्तौड़गढ़ (राजस्थान)।