लेखक : रामजी लाल जांगिड
वरिष्ठ पत्रकार, लेखक एवं विभिन्न मामलों के ज्ञाता
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भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालय भारतीय जन संचार संस्थान को अपने प्रशिशुओं को अलग अलग कामों के लिए प्रशिक्षण देने का दायित्व सौंपते रहे हैं।
पर्यटन मंत्रालय ने कुछ प्रशिक्षुओं को छह मास के लिए जापानी भाषा सिखाने के लिए संस्थान में भेजा, जिसमे वे जापान में होने वाले समारोह में भारत की छवि प्रभावी ढंग से रख सकें। इसका उद्घाटन भारत में जापानी राजदूत श्री अतुसुशी उयामा ने 22 फरवरी 1971 को किया था।
विदेश मंत्रालय ने 12 प्रशिक्षु 17 मई से 5 जून 1971 तक के लिए भेजे। जिससे वे मांट्रीयाल में भारत द्वारा लगाई जाने वाली प्रदर्शनी में कलाकार और गाइड के रूप में काम कर सकें।
कोलम्बो योजना के अंतर्गत विदेशी पत्रकारों को संस्थान में भेजा जाता है। विकासशील देशों के पत्रकारों को प्रशिक्षण देने वाले तीसरे स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम (1971-72 ) में दस देशों के 16 प्रशिक्षु और छह भारतीय प्रशिक्षु थे। चौथे पाठ्यक्रम (1972-73) में 11 देशों के 24 प्रशिक्षु और पाँच भारतीय प्रशिक्षु थे। हर पाठ्यक्रम में देशों की संख्या बढ़ रही थी।
वर्ष 1971 में भारत के समाचारपत्रों की प्रसार संख्या पर नज़र डालने से पता चलता है कि बंगला दैनिक "आनंद बाजार पत्रिका" की लोकप्रियता 3, 08,376 की प्रसार संख्या पाने से देश भर में सबसे ज्यादा थी। 1970 में ही इसकी प्रसार संख्या सबसे ज्यादा (2,48, 517) हो गई थी। पत्रिकाओं की प्रसार संख्या की दृष्टि से तमिल पत्रिका 'कुमुदम' देश भर के दैनिकों से आगे (3,74, 373) थी। वह 1970 में ही देशभर के दैनिकों से आगे (3,48,628) निकल गई थी। कई जगहों से छपने वाले दैनिकों में अंग्रेजी दैनिक 'इंडियन एक्सप्रेस' सबसे आगे (4,62,009) था। इससे स्पष्ट है कि आज़ादी से पहले आगे रहने वाले अंग्रेजी दैनिकों और पत्रिकाओं से भारतीय भाषाओं के दैनिक तथा पत्रिकाएं आजादी के बाद प्रसार संख्या की दृष्टि से तेजी से आगे निकल गए थे।
जनवरी 1974 में प्रेस परिषद ने एक महत्वपूर्ण फैसला किया। उसने समाचार पत्रों को विज्ञापन और समाचार इस तरह से छापने को कहा कि वे अलग अलग दिखाए दें। प्रेस परिषद् ने विदेशी दूतावासों द्वारा छपवाए गए विज्ञापनों के नीचे उनके द्वारा किए गए भुगतान की राशि छापने का भी आदेश दिया ओर कहा कि दूतावासों से उसी दर से भुगतान लिया जाए, जिससे और लोग भुगतान करते थे। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार है)