लेखक : रमेश जोशी
व्यंग्यकार, साहित्यकार एवं लेखक, प्रधान सम्पादक, 'विश्वा', अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति, यू.एस.ए., स्थाई पता : सीकर, (राजस्थान)
ईमेल : joshikavirai@gmail.com, ब्लॉग : jhoothasach.blogspot.com सम्पर्क : 94601 55700
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तोताराम ने आते ही प्रश्न किया- यह क्या नाटक हो रहा है ?
हमने कहा- ज़िंदगी एक नाटक है। हम नाटक में काम करते हैं। जिसको निर्देशक जो काम कहता है वह वही काम करता है। कोई हीरो, कोई हीरोइन, कोई जोकर, कोई भिखारी, कोई जेबकतरा। एक्शन कहते ही शुरू और कट कहते हैं खत्म।
बोला- मैं ये हवाई बातें नहीं कर रहा हूँ। मैं कह रहा हूँ यह लोकतंत्र की गरिमा ऐसे कब तक गिराई जाएगी।
हमने कहा- कोई किसी की गरिमा नहीं गिराता। सब अपने शब्दों, अपने कर्मों से अपनी औकात बताते हैं।
बोला- मैं आंबेडकर के अपमान की बात कर रहा हूँ।
हमने कहा- महान व्यक्ति मान-अपमान, हानि-लाभ से ऊपर उठे हुए होते हैं। आंबेडकर को इस कुंठित समाज ने सम्मान दिया ही कब था। गाँधी को क्या ट्रेन से धक्का देकर किसी ने सम्मानित किया था ? लेकिन उन्होंने इसे अपना व्यक्तिगत अपमान नहीं माना। उन्होंने इसे समाज की कुंठा माना और भविष्य को ध्यान में रखकर उसका इलाज खोजा। ईश्वर का कोई क्या अपमान कर सकता है। हाँ, छोटे आदमी का अभिमान बहुत बड़ा होता है।
बोला- फिर भी अमित शाह को आंबेडकर का अपमान नहीं करना चाहिए था।
हमने कहा- वे वैष्णव जन हैं, भले आदमी हैं। वे किसी अपमान कर ही नहीं सकते।
बोला- तो फिर ये लोग उनसे इस्तीफा क्यों माँग रहे हैं ?
हमने कहा- यह तो एक सामान्य राजनीतिक तमाशा है। स्मृति ईरानी भी तो जोर जोर से सोनिया गाँधी से इस्तीफा माँग रही थी कि नहीं ? ऐसे कोई इस्तीफा देता है भला। वैसे वे बहुत संवेदनशील व्यक्ति हैं। लोग ज्यादा पीछे पड़ेंगे तो वे इस्तीफा दे भी देंगे लेकिन यह तो सोच देश के पास उनका विकल्प कहाँ है? बड़ी मुश्किल से देश में आतंकवाद समाप्त हुआ है, कानून-व्यवस्था सुधरी है। सब जगह अमन-चैन है । उन्होंने खुद दूरबीन से देखकर बताया था कि एक सोलह साल की लड़की, गहने पहने, स्कूटी पर सुरक्षित जा रही है। और क्या चाहिए।
बोला- उन्होंने कहा है- अभी एक फैशन हो गया है अंबेडकर.. अंबेडकर.. अंबेडकर.. अंबेडकर.. । इतना नाम अगर भगवान का लेते तो 7 जन्मों का स्वर्ग मिल जाता है । क्या इससे आंबेडकर का अपमान नहीं हुआ?
हमने कहा- इसमें आंबेडकर का कोई अपमान नहीं हुआ। इसमें तो दो नामों के फल और प्रभाव का अंतर समझाया गया है। क्या तुम देख नहीं रहे कि किस प्रकार राम के नाम से भाजपा का सात जन्मों क्या, अनंत काल के लिए संसार के सभी सुखों और ऊपर वाले स्वर्ग का भी इंतजाम हो गया। कैसे राम के नाम से भाजपा 2 से 180 और फिर स्पष्ट बहुमत में आ गई और अब लगातार राम के नाम के बल पर लगातार चुनाव जीतती जा रही है। और आंबेडकर के नाम से मायावती के उत्तर प्रदेश के एक दो चुनाव जीत लिए लेकिन उसके बाद फुर्र फुस्स। न यूपी में, न दिल्ली में।
यह तो अमित जी की महानता और सज्जनता है जो जनहित में चुनाव जीतने का गुप्त नुस्खा विरोधियों को फ्री में बता रहे हैं । यह समझ ले कि जिस प्रकार तुलसीदास जी की पत्नी रत्नावली ने उन्हें समझाया था कि मेरे चक्कर में पड़े रहने की बजाय अगर राम का नाम लेते तो तुम्हारा उद्धार हो जाता। अब यह और बात है कि विपक्ष में कोई तुलसीदास जितना संवेदनशील है ही नहीं जो सत्ता का लालच छोड़कर शाह जी की सलाह माने और राम को भजे।
हमारे हिसाब से तो यह 21 वीं सदी का रत्नावली का अवतार है जो माया-मोह में फँसे इस देश का उद्धार करने के लिए हुआ है।
तुलसी ने क्या ऐसे ही कहा है- राम न सकहिं नाम गुण गाई । अरे सीधा तो सीधा, उलटा नाम जाप तक से भी चमत्कार होता है-
उलटा नाम जपत जग जाना।
बाल्मीकि भए ब्रह्म समाना॥
बोला- यह बात तो है। तभी मोदी जी जहाँ भी जाते हैं लोग मोदी, मोदी चिल्लाते हैं। शायद इसीलिए यूपी विधान सभा के एक चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार जो स्थानीय व्यापार मण्डल के अध्यक्ष भी थे, की चुनाव सभा में एक व्यक्ति ने 1 मिनट के भाषण में 60 बार मोदी मोदी बोलने का रिकार्ड बनाया।
पुराणों में भी तो आता है कि अजामिल ने पुकारा तो अपने बेटे नारायण को लेकिन यमदूतों ने उसे विष्णुभक्त समझकर परेशान नहीं किया। वैसे ही जैसे आजकल ट्रेन में जयश्री राम का नारा लगाने पर टीटी टिकट माँगने का साहस नहीं कर सकता। (लेखक का अपना अध्ययन, नज़रिया एवं अपने विचार है)