लेखिका : लता अग्रवाल, चित्तौड़गढ़, (राजस्थान)
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भारत की गौरवशाली संस्कृति व नैतिक मूल्यों का ठोस आधार है जन-जन में व्याप्त ईश्वर सत्ता और धर्म के प्रति अट्टू विश्वास है धर्म के प्रति अत्यधिक लगाव हो जाता है तो वहां उन्माद का रूप धारण कर लेता है और इसी वजह से जब वह किसी भी क्षेत्र में असफल होने लगता है तो चमत्कार की आशा में कथित धर्म संतो के जाल में फंस जाता है। जनता की भेंट व चढ़ावे से यह साधु संत अपने ऐशो आराम का सामान जुटाते हैं। समाज में अंधविश्वास फैलाने में कथित साधु संतों का बड़ा योगदान होता है। विगत कई वर्षों से बड़े-बड़े संत जेल में बंद है। समाज को चाहिए कि वह अपना अमूल्य समय व धन गरीब, नि:शक्तजन, बेसहारों के हित में लगाए तो समाज का उत्थान भी होगा व ईश्वर भी आपकी इस नेकी से प्रसन्न होगा।