त्रेता युग में सीता का अपहरण हुआ द्वापर युगमें द्रोपदी का चीर हरण हुआ सच्चाई तो यह है की आज भी महिलाएं सुरक्षित नहीं है दुष्कर्म की शिकार महिलाएं आजीवन इस त्रासदी को झेलती है या फिर आत्महत्या तक कर लेती हैआज स्थिति यह है की महिलाएं ना तो घर में सुरक्षित है और ना ही बाहर। तो स्वयं कुछ सावधानियां बरतनी होगी। हर वक्त सतर्क और सावधान रहें अपने आसपास कोई भी संदिग्ध व्यक्ति नजर आए तो पुलिस को सूचना दें। अपने आप को कमजोर ना समझे हर परिस्थिति में हिम्मत और हौसला बनाए रखें।
हो सके तो जूडो कराटे का प्रशिक्षण लेने यह प्रत्येक स्थिति में आपका सहायक होगा। व्यवहार में दृढ़ता बनाए रखें ताकि किसी की हिम्मत ना हो कि वह आप पर नजर डाल सके अक्सर महिलाएं अपने किसी परिचित रिश्तेदार या पड़ोसी द्वारा ही दुष्कर्म की शिकार हो जाती है इसीलिए रिश्तो में कुछ दूरी बनाए रखें अनजान व्यक्ति के साथ खुलकर बात ना करें और नहीं जल्दी से किसी पर विश्वास करें किसी भी पराए व्यक्ति के साथ सुनसान जगह पर अकेले न जाए। सन 2012 में दिल्ली कोर्ट की अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कामिनी लारु ने दुष्कर्म के आरोपियों का बंध्याकरण करने की अपील तक कर दी थी पर बाद मैं इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। इसीलिए अपराधियों के हौसले बुलंद है।
लेखिका : लता अग्रवाल, चित्तौड़गढ़, (राजस्थान)