तेजा गीत लोक संस्कृति की संजीवनी : सैनी

मेले पर्यटन विभाग में शामिल हो...

अरशद शाहीन 

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दूनी/देवली/टोंक। आवां कस्बे में एक पखवाड़े से धर्म की सरिता बह रही है। ग्राम के प्रमुख मंदिरों से गुजरती लोक देवता तेजाजी के ध्वज की इस शोभायात्रा में श्रद्धा का ज्वार उमड़ रहा है।तेजाजी की समिति के तत्वाधान में तेजा गीतों की मधुर स्वरलहरियों ने परिवेश को पावन व धार्मिक बना दिया है। ध्वज की शोभायात्रा के 16 वें दिन 36 कौमों के सहयोग से जोत व ध्वज को खलियानों के बालाजी के मंदिर परिसर में प्रतिस्थापित किया गया। इस दौरान पूर्व कृषि मंत्री डॉक्टर प्रभुलाल सैनी के पैतृक निवास पर सैकड़ो लोगों की उपस्थिति में अलगोजों की सुरीली धुन,ढोलक की थाप व मंजीरों की तान पर तेजा गीतों की शानदार प्रस्तुति दी गई।जिसमें श्रद्धालु देर रात तक नाचते झूमते रहे।

इस दौरान सैनी ख़ुद भी इनका साथ देते नजऱ आए। सैनी ने ध्वज व ज्योत की पूजा करते हुए सभी लोक परम्पराएं निभाई। सत्संग को सम्बोधित करते हुए पूर्व मंत्री सैनी ने कहा कि मेले व पर्व हमारी संस्कृति को संजीवनी प्रदान करते हैं। तेजाजी हमारी आस्था व श्रद्धा के प्रतीक हैं। तेजाजी गीतों में विभिन्न लोक वाद्य यन्त्रों से निकली दिलकश ध्वनि वातावरण को पवित्र व पावन करने के साथ सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती है।वातावरण में मौजूद हानिकारक, जहरीले व नकारात्मक विषाणुओं और तत्वों का शमन कर शुद्धता व पोषण प्रदान करती है।सैनी ने कहा कि धार्मिक मेले, पर्व व त्योंहार हमारी लोक संस्कृति के वाहक हैं, जो धार्मिक मान्यताओं के साथ वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर भी खरे उतरते हैं।

 भाईचारे, सद्भाव, एकता, समरसता व सामाजिक सौहार्द स्थापित करने वाले इन उत्सवों के संरक्षण व संवर्धन के लिए नव पीढ़ी को दृढ़ संकल्पित होकर आगे आने की जरूरत है। इस अवसर पर मिठाई वितरण करने के साथ लगभग 2 दर्जन तेजा गायकों व समिति के पदाधिकारियों का साफ़ा पहना कर राजस्थानी परम्परा के अनुसार स्वागत किया। उपस्थित जन समुदाय ने इस प्रकार के आयोजनों को राज्य पर्यटन विभाग में शामिल करने की मांग उठाते हुए इनके प्रोत्साहन की अभिलाषा जताई है।