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सांभरझील। न्यायिक मजिस्ट्रेट ऋचा कौशिक ने करीब 9 साल पुराने मामले में फैसला देते हुए दहेज प्रताड़ना के आरोपी पति सहित सास ससुर को संदेह का लाभ देते हुए दोष मुक्त कर दिया। इस मामले में परिवादिया द्वारा मालचंद्र पुत्र रतनलाल, रतनलाल पुत्र रामकिशन, संतरा देवी पत्नी रतनलाल निवासी वार्ड नंबर 13, दूदू जिला जयपुर के विरुद्ध दहेज प्रताड़ना के मामले में धारा 498 ए, 406 भारतीय दंड संहिता के तहत मुकदमा दर्ज कराया था।
न्यायालय ने विचारणीय बिंदु रखा की क्या अभियुक्त ने 28 अप्रैल 2015 को परिवादिया कोमल का विवाह मालचंद खटीक से होने के पश्चात से ही दहेज के रूप में प्लाट व कार की मांग आपूर्ति हेतु उसे शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताड़ित किया तथा उसके स्त्री धन का दुरुपयोग किया? जबकि इस मामले में परिवादिया के भाई ने ही यह बयान दर्ज कराया था की शादी के दिन से ही प्लाट और कार की मांग की गई है, जबकि खुद परिवादिया व उसकी माता ने ऐसी कोई बात नहीं बताई थी।
इस प्रकार समस्त गवाहों के बयानों के अवलोकन से यह तथ्य प्रकट होता है कि अभियुक्तगण पर धारा 498ए, 406 भा.दं.सं. के आरोप के संबंध में किसी भी गवाह ने कोई प्रत्यक्ष साक्ष्य नहीं दी है। किसी भी गवाह ने अभियुक्तगण को परिवादिया के साथ दहेज की मांग को लेकर मारपीट करते हुए नहीं देखा। पत्रावली पर संलग्न मेडिकल संबंधी पर्चियों के अवलोकन से उन पर कोई वर्ष तथा अस्पताल का नाम व जारी करने वाले अस्पताल की सील अंकित नहीं होना स्पष्ट है जिससे उक्त पर्चियां प्रमाणित नहीं पाई गई है।
प्रकरण में अभियुक्तगण को दोषसिद्ध करने हेतु अपराध व अभियुक्त के मध्य की समस्त कड़ियां स्पष्ट रूप से जुड़ी होना आवश्यक है, जो कि प्रकरण में परस्पर जुड़ी होना प्रकट नहीं होती है। अभियुक्तों की ओर से न्यायालय में सांभर के एडवोकेट हेमराज कुमावत व पवन कुमावत ने पैरवी कर दोष मुक्त किए जाने का निवेदन किया।