नई दिल्ली। भारत के प्रसिद्ध इतिहासकार और विचारक श्री अवनीन्द्र कुमार विद्यालंकार, इतिहास सदन, दिल्ली ने तीन जुलाई 1964 को लिखा "श्री रामजी लाल जांगिड की नई पुस्तक गंभीर, विस्तृत अध्ययन और मनन का फल है। इसका संबंध किसी काल व युग विशेष से नहीं है। इसमें कला भी है, पर वह लेखक के अपने प्रभाव की है। परंतु लेखन दृष्टि व्यापक है। गुप्त युग से क्रेमलिन तक की लंबी दौड़ एक सांस में पूरी करने का सराहनीय प्रयास किया है।
यह एक नई दृष्टि प्रदान करती है और सोचने का पर्याप्त मसाला भी देती है। पुस्तक पठनीय और पास रखने योग्य है। विश्वास है हिन्दीजगत इस कृति का स्वागत करेगा।
दो अगस्त 1964 को दैनिक "नवभारत टाइम्स" नई दिल्ली के पुस्तक समीक्षक ने लिखा कि" प्रस्तुत पुस्तक एक प्रकार का शोध ग्रंथ है, जिसमें लेखक ने काफी परिश्रम कर इतिहास पर बड़ी अच्छी सामग्री दी है। पुस्तक में भारत ही नहीं, अन्य देशों के विभिन्न क्षेत्रों के इतिहास की भी उपयोगी सामग्री दी गई है। इतिहास संबंधी इतनी उपयोगी सामग्री का एक ही जगह मिलना इस पुस्तक से संभव हो सका है। जिसके लिए लेखक और प्रकाशक दोनों ही प्रशंसा के पात्र हैं।
"इतिहास के स्फुट लेख" लेखक - रामजीलाल जांगिड,
पृष्ठ संख्या 228,
मूल्य- 6 (छह) रुपये
प्रकाशक- सुमेर प्रकाशन, दिल्ली 6