खुशहाल जीवन के लिए ज्ञान रूपी अमृत का करे रसपान

ब्रह्माकुमारी दीदी ने बताया सावन मास का आध्यात्मिक महत्व

अरशद शाहीन 

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टोंक। पूरे वर्ष में सावन का महीना परमपिता परमात्मा शिव को याद करने का विशेष महीना माना जाता है। वास्तव में यदि हम शिव के यथार्थ स्वरूप को जानकर उससे अपने मन के तार जोड़ ले अर्थात अपनी मन–बुद्धि को शिव में लगा दे तो सचमुच हमारे जीवन में हमेशा के लिए सावन आ जाएगा।  उपरोक्त उद्गार प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की राजयोग शिक्षिका ब्रह्माकुमारी ऋतु दीदी ने कंकाली माता मंदिर के पास खलियानों की बगीची में स्थित हनुमान मंदिर में बोल रहे थे। 

उन्होंने कहा कि आज मनुष्य शिव को प्रसन्न करने के लिए जल और बेलपत्र चढ़ा रहे है, व्रत उपवास इत्यादि कर रहे हैं,परंतु इसका वास्तविक अर्थ है जब हम परमपिता परमात्मा शिव द्वारा दिए गए ज्ञान अमृत की धारा में हम स्वयं को नहलाते है अर्थात ज्ञान को जीवन में धारण करते है तो हमारा मन शांत होता है, बुद्धि निर्मल और संस्कार श्रेष्ठ बन बन जाते है। 

उन्होंने आगे कहा की शिव को तीन पत्ती वाला बेलपत्र चढ़ाते हैं इसका वात्विक अर्थ है तन, मन और धन से शिव पर समर्पित हो जाना। अर्थात संपूर्ण समर्पण होना। सावन के इस पवित्र महीने में आंक धतूरे अर्थात अकड़पन, धूर्तपन जैसे संस्कार हमेशा के लिए शिव को अर्पित कर देना है, साथ ही वो बाते भी अर्पित कर देनी है जिसने आपको और आपके परिवार को या अन्य किसी भी व्यक्ति को दुःख मिल रहा है। वास्तव में हमे खुश रहकर खुशी बाटने का दृढ़ संकल्प रूपी व्रत करना है और उपवास से तात्पर्य है उप माना समीप और वास माना रहना इसलिए सदा शिव के समीप रह ज्ञान रूपी अमृत का रसपान कर खुशियों से भरपूर आनंदमय जीवन जीना है।