सार्वजनिक शौचालयों में नियमित सफाई का अभाव

खुला कचरा डिपो से बीमारी फैलने का अंदेशा

शैलेश माथुर की रिपोर्ट 

www.daylife.page 

सांभरझील। यहां पर्यटन नगरी में सार्वजनिक शौचालयों मैं नियमित रूप से धुलाई और साफ सफाई का अभाव है। सुलभ शौचालयों में पानी की टंकियां निर्माण के समय से ही खाली है। नया बस स्टैंड डाक बंगला के बाहर, पुरानी धानमंडी, गोला बाजार, पुरानी तहसील के नजदीक बने शौचालय साफ सफाई को तरस रहे हैं। इसी प्रकार सबसे ज्यादा दुर्दशा पांच बत्ती चौराहा स्थित सुलभ शौचालय वह नेहरू बालोद्यान में बने शौचालय की है। इन दोनों ही शौचालय में स्थिति इतनी खराब है की नाक दबाकर अंदर घुसना पड़ता है। 

उद्यान की शौचालय का लोहे का दरवाजा करीब साल भर से टूट करके लटक गया है और गंदगी की वजह से जंग लगकर जर्जर हो चुका है। इस शौचालय में करीब 50 से अधिक देसी शराब के  खाली पव्वे रखे हैं, गंदगी इतनी कोई सहजता से उपयोग में नहीं ले सकता। रोचक बात यह है इसके नजदीक अन्नपूर्णा रसोई संचालित हो रही है। अंदाजा लगाया जा सकता है की इस स्थिति में इंदिरा रसोई का संचालन होना अजीब सी स्थिति है। गार्डन में बच्चे, महिलाएं सुबह-शाम आते हैं और शौचालय इस स्थिति में है की कोई भी देखकर शर्मसार हो जाए। 

यूनानी औषधालय की बिल्डिंग के बाहर नाम मात्र की दीवार खड़ी करके नाले के ऊपर जो शौचालय बना हुआ है उसमें घुसने से पहले नाले की पट्टी टूटी हुई है और लोगों को इसके इस्तेमाल में इसलिए भी प्रॉब्लम होती है की अंदर गंदगी इतनी भरी हुई है की निकासी का नाला जाम पड़ा है, भयंकर बदबू आती रहती है इसके नजदीक ही निजी वाहन पार्किंग स्टैंड बना रखा है शौचालय के बाहर भी खुला कचरा डिपो जले पर नमक छिड़कने का काम कर रहा है। तेली दरवाजा रोड पर ट्रांसफार्मर के नीचे शौचालय कई सालों से यथास्थिति में था। आज भी उसमें कोई तनिक  भी सुधार नहीं हुआ है और न ही किसी ने शौचालय की दुर्दशा को सुधारने के लिए कोई प्रयास किया। 

गोला बाजार के व्यापारी शौचालय के नजदीक जिनकी दुकानें हैं वह भी इसकी स्थिति को बेहतर बनाने के लिए कई दफा अनुरोध कर चुके हैं। सफाई व्यवस्था में भी कोई सुधार हुआ हो जिस पर पर्यटक नगरी के लोग गर्व कर सकें ऐसा विगत दो-तीन सालों में देखने में नहीं आया है। सभी जिम्मेदार अपनी आंखों पर पट्टी बांधकर बैठे हैं। सोशल मीडिया तक सिमट करके यहां के जिम्मेदार लोग अपनी भूमिका अदा कर रहे हैं, जबकि धरातल पर कोई काम करा पाने में वे नाकाम ही है। बारिश का भी मौसम है गंदगी अत्यधिक है बीमारी फैलने का अंदेशा रहता है मच्छर पनप रहे हैं दवा छिड़काव का कोई इंतजाम आज तक नहीं हुआ है।