प्रेमचंद ने समाज के दबे कुचले वंचित वर्ग की आवाज उठाई : आफरीदी

प्रेमचंद जयंती पर संपर्क साहित्य संस्थान का आयोजन

www.daylife.page              

जयपुर। संपर्क साहित्य संस्थान के तत्वावधान में हिन्दी साहित्य के अमर साहित्यकार प्रेमचंद की 144 वी जयंती का इटरनल हॉस्पिटल सभागार में समारोह पूर्वक आयोजन किया गया। वरिष्ठ साहित्यकार एवं व्यंग्यकार फारूक आफरीदी की अध्यक्षता और सुप्रसिद्ध उपन्यासकार प्रबोध कुमार गोविल के  मुख्य आतिथ्य में प्रेमचंद की मशहूर कहानियों की समीक्षा के साथ डॉ. नीलम कालरा के काव्य संग्रह 'शब्दों का आशिया'के लोकार्पण किया गया। 

समारोह के अध्यक्ष फारूक आफरीदी ने कहा कि प्रेमचंद ने अपने साहित्य के माध्यम से समाज के दबे कुचले वंचित वर्ग की आवाज उठाई। उन्होंने कथा साहित्य के जरिये समाज एवं साहित्य को दिशा नई देने और हमारे जीवन को परिष्कृत करने का काम किया। उनका साहित्य और विचार सदैव प्रासंगिक रहेगा। उन्होंने विश्व साहित्य में हिन्दी साहित्य को प्रतिष्ठा दिलाई। 

डॉ. प्रबोध गोविल ने बताया कि प्रेमचंद का जीवन बहुत संघर्षमय रहा और उन्होंने जो कुछ जीवन में देखा,अनुभव किया उसी को अपने साहित्य के माध्यम से समाज के समक्ष रखा। विशिष्ट अतिथितिऋत्विक गौड़ ने प्रेमचंद के साहित्य की प्रशंसा करते हुए बताया कि बच्चों को इससे जोड़ा जाना चाहिए ताकि वे संवेदनशील बन सकें। 

'कथा-समीक्षा के आईने में प्रेमचंद' के तहत  डॉ. अंजू सक्सेना ने सज्जनता का दंड, सुनीता त्रिपाठी ने पंच परमेश्वर, हिमाद्री समर्थ ने बड़े घर की बेटी व डॉ. मंजू लता ने मंत्र के साथ ही पुष्पा माथुर ने बड़े भाई साहब, सुशीला शर्मा ने पूस की रात, सरोज चौहान ने दो बहने और शिल्पी पचौरी,ज्ञानवती सक्सेना ने अन्य कहनियों  की समीक्षा की। प्रारम्भ में वरिष्ठ साहित्यकार  प्रबोध गोविल विशिष्ट अतिथि साहित्यकार फारूक आफरीदी एवं कार्यक्रम अध्यक्ष ज्ञान विहार स्कूल के प्रधानाचार्य ऋत्विज गौड़ संस्थान अध्यक्ष अनिल लढ़ा महासचिव रेनू शब्दमुखर ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का विधिवत शुभारम्भ किया।सरस्वती वंदना डॉ मंजुलता भट्ट ने की।

संपर्क साहित्य संस्थान के अध्यक्ष अनिल लढ़ा ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए संपर्क संस्थान के कार्यों का ब्यौरा दिया। इटर्नल हॉस्पिटल के डॉ. अखिल गुप्ता द्वारा स्वास्थ्य संबधी परिचर्चा में मधुमेह से जुड़ी अनेक भ्रांतियों को दूर किया गया।

महासचिव रेनू शब्दमुखर ने संस्थान के साहित्यिक कार्यो की जानकारी दी ।संस्था की वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ आरती भदौरिया ने 'बूढ़ी काकी' कहानी का उदाहरण देते हुए वृद्ध विमर्श की ओर ध्यान आकर्षित किया। उपाध्यक्ष डॉ रेखा गुप्ता और उपाध्यक्ष डॉ कंचना सक्सेना ने भी प्रेमचंद के उपन्यास साहित्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्रेमचंद ने हिंदी कथा साहित्य को विश्व मंच पर प्रतिष्ठित किया है। सीमा वालिया ने कार्यक्रम का संयोजन किया।