शैलेश माथुर की रिपोर्ट
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सांभरझील (दूदू)। सीतासागर गार्डन में लेडिस क्लब की ओर से लहरिया महोत्सव का आयोजन किया गया। इसमें सभी सदस्य महिलाओं ने भाग लिया। इस मौके पर सांस्कृतिक गतिविधियों का भी आयोजन किया गया।प्रवक्ता रेखा जाजू व रोमा जाजू ने बताया की हरी-भरी धरती के रंग में रंग जाने की कामना महिलाओं को होती है तो वे हरे रंग के परिधान पहनती हैं, ठीक उसी तरह राजस्थान में यह परिधान रंग-बिरंगा हो जाता है।
पारंपरिक तौर पर यहां रंगरेज इस लहरिया को तैयार करते हैं जो पूरी तरह से हस्तकला है। रंगरेजों की भाषा में कहा जाए तो लहरिया वही तैयार कर सकता है, जिसकी चुटकियों में ताकत हो। इस बात को गौर से समझा जाए तो साफ है कि कपड़े को मोड़कर चुटकी-दर-चुटकी उस पर एक डिजाइन तैयार किया जाता है, जो लहरों के उठने-गिरने जैसा लगता है।