कांग्रेस व भारत की एकता का निर्माण : डॉ. सत्यनारायण सिंह

लेखक : डॉ. सत्यनारायण सिंह

लेखक रिटायर्ड आई.ए.एस. अधिकारी हैं

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15 सितम्बर 1931 को महात्मा गांधी ने लन्दन में फैडरल स्टक्चर कमेटी के समक्ष अपने भाषण के दौरान कहा था ”कांग्रेस मूलतः भारत के 7 लाख गांवो में बसे मूक, अद्यभूखें करोड़ों लोगों का प्रतिनिधित्व करती है।“ मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं कि कांग्रेस इन्सानों के लिए हर हित बलिदान कर देगी। कांग्रेस नेता देश में राजननीतिक, सामाजिक, आर्थिक परिवर्तन लाने के महान क्रांन्तिकारी प्रयास में दिलों दिमाग से व्यस्त रहें। कांग्रेस एक ऐसा संगठन है जिसकी विचार धारा कट्टर मतवाद पर आधारित नहीं थीं। महात्मा गांधी के नेतृत्व में सत्याग्रह और अंहिसा पूर्ण उपायों द्वारा देश की स्वतंत्रता प्राप्त कर विश्व में अनोखा उदाहरण विश्व इतिहास को दिया। कांग्रेस नेताओं की कुरबानियो का अप्रतिभतम प्रभाव हुआ। 

15 अगस्त 1947 को भारत स्वाधीन हुआ तब भारत में 9 प्रांतों के अलावा 584 रियासतें थी। आजादी के 2 वर्ष के भीतर ही 584 रियासतों का 588000 वर्ग मीटर क्षेत्रफल और 10 करोड़ की आबादी, भारत का आन्तरिक भाग बन गयी। परिणाम यह हुआ कि भारत भर में पूर्ण प्रजातंत्र स्थापित हो गया और 1952 का निर्वाचन सम्पूर्ण देश में बालिग मताधिकार के आधार पर समान रूप से हुआ। 

आजादी के समय मुल्क में अनाज की कमी थी। भारी कीमत चुकाकर बाहर से आयात करना पड़ता था। आर्मी, नेवी, एयरफोर्स मजबूत नहीं थी। उद्योग व व्यवसाय की कमी, बेरोजगारी, अकाल की स्थितियां, मुल्क में आर्थिक साधनों पर विश्व युद्ध का प्रभाव, आजादी से पूर्व की आटोक्रेसी, सत्ता का दुरूपयोग, पूरे देष में शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव था। हिन्दुस्तान में कोई चीज नहीं बनती थी, न अनाज पूरा मिलता था। कपड़ा पूरा नहीं मिलता था, जिंदगी की जरूररतों की पूरी चीजें नहीं मिलती थी। देश में धर्मनिरपेक्ष राज्य की स्थापना हुई। जनता से किये वायदे के अनुरूप मजबूत व आदर्ष संविधान बनाया गया। 200 सालों से गिरे पड़े हिन्दुस्तान को उठाने के लिए मजबूत फौज, मजबूत सेन्ट्रल गवर्नमेंट कांग्रेस के नेतृत्व में बनी। आजादी के कुछ ही माह में मुल्क को आगे बढ़ाने का काम प्रारम्भ हुआ। हमारे नेताओं के अथक प्रयासों से लोकतंत्र मजबूत हुआ। 

विश्व का बेहतरीन संविधान निर्मित हुआ। 26 जनवरी 1950 को देश में संविधान लागू हुआ, देश ने स्वतंत्रता लोकतंत्र व तरक्की की इबारत लिखी। 1950 में योजना आयोग की स्थापना हुई और योजनाबद्ध विकास कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। बड़े-बड़े उद्योग स्थापित करने, इस्पात, भारी मषीनों का उत्पाद करने का कार्य प्रारंभ हुआ। दुर्गापुरा, भिलाई, राउलकेला में बड़े-बडे़ प्लांट स्थापित हुए। सरकार विज्ञान व तकनीकी विकास की पक्षधर रही। अणुषक्ति का विकास प्रारंभ हुआ, वैज्ञानिक प्रयोगषालाएंे स्थापित हुई। विषेषज्ञ उच्च स्तरीय षिक्षा की सुविधा प्रारंभ हुई। सिंचाई एवं विद्युत उत्पादन की वृद्धि के लिये बड़े-बडे़ बांधों का निर्माण हुआ। सभी व्यक्तियों को समान अधिकार मिलें। प्रजातांत्रिक गणतंत्र की स्थापना के साथ सामाजिक, आर्थिक न्याय का अधिकार प्राप्त हुआ। भारत के विष्व षांति के लिए किये गये प्रयासों से संपूर्ण विष्व में प्रतिष्ठा बढ़ी है। सामुदायिक विकास कार्यक्रम एवं पंचायतीराज योजना से ग्रामीण क्षेत्र में सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक क्रांति प्रारंभ हुई। भूमिसुधार कार्यक्रम प्रांरभ हुआ। 

देष में आजादी के बाद हर क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए है और उसी की बदौलत आज हम विकसित देशों की गिनती में गिने जाने लगे हैं। वर्ष 1947 में 1237 मेगावाट बिजली उत्पादन होता था जो वर्ष 2014 में 167 गुना बढ़कर 2.28 लाख मेगावाट हो गया। पूरे देश में विद्युतीकरण मात्र 3000 गांवों का था जो बढ़कर साढ़े पांच लाख से अधिक गांवों तक हुआ। देशभर में केवल  2 लाख विद्यालय थे जो 10 गुना बढ़कर 20 लाख, उच्च षिक्षा के लिए 20 विष्वविद्यालय और 500 महाविद्यालय थे जिनमें केवल एकलाख छात्र पढ़ते थे। जो बढ़कर 700 विष्वविद्यालय 35000 महाविद्यालय हो गए, आईआईटी, आईआईएम, एआईआईएमएस आदि प्रसिद्ध षैक्षणिक संस्थाओं की स्थापना हुई। 

साक्षरता दर 12 प्रतिषत थी जो बढ़कर 74 प्रतिषत हो चुकी है। देश में 5 करोड़ टन खाद्यान्न उत्पादन होता था जो कि हरित क्रांति व सिंचाई योजनाओं के कारण 5 गुना बढ़कर 250 करोड़ टन हो गया। 1950 में देश में चार लाख किलोमीटर सड़क का निर्माण था जो 2014 में 40 लाख किलोमीटर हो गया, रेल लाईन 53596 किमी. से दुगुनी बढ़कर 115000 किमी. हो गई है। मात्र 80000 टेलीफोन थे जिनकी संख्या आज 100 करोड़ मोबाइल एवं टेलिफोन की हो चुकी है, सूचना तकनीक के क्षेत्र में भारत 100 अरब डालर का निर्यात कर पूरे विश्व में प्रथम स्थान पर है, सीमेंट उत्पादन के क्षेत्र में द्वितीय और स्टील उत्पादन क्षेत्र में विष्व का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक हैं। 1947 में औसत आयु 32 वर्ष थी, स्वास्थ्य सेवाओं में लगातार वृद्धि के कारण 2014 में 66 वर्ष की हो गई। इसप्रकार जीवन की प्रत्याशा बढ़ी, जो एक बड़ी उपलब्धी है।

वर्ष 1950 में सकल घरेलु उत्पाद जीडीपी का 2.8 लाख करोड़ था जो 2014 में बढ़कर 57.42 लाख करोड़ हो गया था, विदेशी मुद्रा भण्डारण 2 अरब डालर से बढ़कर 300 अरब डालर, देश का कुल निर्यात 1.2 अरब डालर से बढ़कर 312 अरब डालर हो गया। भारत आज दूध, फल और सब्जी उत्पादन में पूरे विष्व में प्रथम स्थान पर है। 1947 में देष में प्रति व्यक्ति आय 250 रूपये से बढ़कर 74920 रूपये हो चुकी है। अंतरिक्ष विज्ञान हेतु इसरो की स्थापना कर 104 उपग्रहों को एकसाथ छोड़ा जा चुका है। बैंकों का राष्ट्रीयकरण, प्रिवीपर्सो की समाप्ति, पंचायतीराज की स्थापना, 18 वर्ष की आयु में मतदान का अधिकार, रोजगार का अधिकार, सूचना का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, मनरेगा का शुभारम्भ, शिक्षाका अधिकार आदि महत्वपूर्ण योगदान है, इस सदी की देन है। 

भारत विकासशील से विकसित होता देश अन्न व अनेक औद्योगिक उत्पादन में आत्मनिर्भर हुआ है। शिक्षा के क्षेत्र में आलम यह हुआ कि दुनियाभर में बहुराष्ट्रीय कंपनियों की कमान भारतीयों के हाथों में है। लोकतंत्र में धर्मनिरपेक्षता, सामाजिक सहिष्णुता, सामाजिक न्याय, सामाजिक समरता, सामाजिक समानता इस देश की पहचान बन गई।

पंडित नेहरू ने लोकतंत्र को मजबूत किया, विदेशों में भारत की साख जमाई, बुनियादी कारखाने, बहुउद्देश्य ऊर्जाव सिंचाई परियोजनाएं, वैज्ञानिक संस्थानों स्थापना की। शास्त्री जी ने 1965 का युद्ध जीता। इन्दिरा जी ने इतिहास ही नहीं भूगोल बदल दिया, बंगलादेश बना। बीमा, बीस सूत्री कार्यक्रम, जनजाति अधिकार, दलित अधिकार, हरित क्रांति, गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम, बैंक राष्ट्रीयकरण हुयें, खालसा आन्दोलन की समाप्ति हुई। राजीव गांधी ने पंचायतराज में महिला आरक्षण, कम्प्यूटराइजेशन, अीवी, मोबाइल, एशियाड का आयोजन, श्रीलंका व आसाम में शांति, दो प्रधानमंत्री, एक मुख्यमंत्री की कुर्बानी हुई। क्षेत्रवाद, जातिवाद, साम्प्रदायवाद को रोका। सोनिया गांधी के नेतृत्व में शिक्षा का अधिकार, सूचना का अधिकार, खाद्य का अधिकार, नरेगा जैसी योजनाओं से सामाजिक आर्थिक हालत बेहतर हुए। आज भी कांग्रेस ही एकमात्र ऐसा राष्ट्रीय दल है जो धर्म निरपेक्षता की नाकियों पर चल रहा है, देश समाज व जनता की सेवा कर सकता है विकास के आयाम स्थापित कर सकता। विपरीत स्थितियों में सजग, सबल, परिपक्व विपक्ष की भूमिका अदा कर सकता है। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार हैं)