जयपुर। बच्चों के प्रति अन्याय, शोषणा ,भेदभाव और उपेक्षा का तत्काल अन्त होना ही इस विश्व की रक्षा की गारंटी हो सकता है। वर्ना तो हम सब अपने सामने ही प्रकृति, पर्यावरण, धरती और इस धरती की सबसे अच्छी कृति इन्सान को घुटते,घटते और सिमते सुकुड़ते देखने के लिए अभिशप्त हैं। अगर आगत को लेकर कोई आज आश्वस्त करने की सामर्थ्य रखता है तो वे सिर्फ बच्चे हैं । ये बच्चे ही हैं जहां आज भी रंग,रूप,भाषा, लिंग और सम्प्रदाय का जहर अपना असर नहीं दिखा पाया है।
जाहिर है यह सब की यह साझा जिम्मेदारी है कि हम बच्चों की दुनिया को तहजीब, तमीज़ और जज्बाती तौर पर मजबूत बनाएं। इनके लिए श्रेष्ठ रचें क्योंकि यदि ये बचेगें तो हम भी बच सकेगें। वरिष्ठ बाल साहित्यकार अनेक पुरस्कारों से नवाजे जा चुके रमेश तैलंग पं. जवाहरलाल नेहरू साहित्य अकादमी राजस्थान की प्रेरणा से आयोजित टैगोर पब्लिक स्कूल शास्त्रीनगर जयपुर में आयोजित कथा सुनो सब ध्यान से कार्यक्रम " हुंकारा" में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे। उन्होने कहा भाषाओं का विवाद संवाद में तब्दील होना चाहिए और तकनीक को बच्चों के बचपन को निगलने मत दीजिए। इस अवसर पर बच्चों को कहानी सुनाने के अकादमी के अभिनव प्रयोग की सराहना करते हुए उन्होने कहा बच्चों की कहानी में कथा से भी अधिक महत्वपूर्ण है सुनाने का लहजा और भाषा का लालित्य। आज यहां इस आयोजन में जितनी बहिनों ने कहानियां सुनाई है वे इस मायने में बधाई की हकदार हैं।
कार्यक्रम में अकादमी के अध्यक्ष इकराम राजस्थानी ने कहा बच्चों को कल के लिए तैयार करने और उनमें कोमल भावों के साथ सृजन के संस्कार देने के लिए बाल गीतों, कविताओं, नाटकों और कहानियों की महति भूमिका है । हमारी अकादमी के अगले शिविरों में बाल रचनाकारों यानी बच्चों को आमन्त्रित कर उनको साहित्य रचना कौशल सिखाएंगे।
इस अवसर पर नारी कभी न हारी साहित्य संस्थान की ओर से वरिष्ठ बाल साहित्यकार श्रीमती बीना चौहान, श्रीमती नीलम सपना शर्मा, श्रीमती पूजा उपाध्याय, श्रीमती गीता पारीक, श्रीमती दर्शना उत्सुक, श्रीमती मधु शर्मा ने बच्चों को सीख देने वाली सुन्दर कहानियों सुनाकर बच्चों को आनन्दित कर दिया। तेलगू से हिन्दी में बाल साहित्य का अनुवाद करने वाली वरिष्ठ लेखिका श्रीमती एस. भाग्यम ने अपनी अनुदित कहानियां सुनाई। समाज सेवी और बाल मनोवैज्ञानिक सत्यनारायण पाटोदिया नें संवाद शैली में बच्चों के अटपटे सवालों के चटपटे जवाब दिए।
इस आयोजन की अपूर्व विशेषता थी कक्षा सात की छात्रा कु. जोविका नकवी और इसी कक्षा के छात्र मानस राहर द्वारा प्रत्येक कहानी के बाद समीक्षत्मक टिप्पणी करना। बच्चों की इस प्रत्यक्ष सहभागिता का बाल साथियों ने खूब साथ दिया और तालियों से उनका साथ दिया।
"रंग मस्ताने" नाट्य समूह द्वारा अभिषेक गौतम के निर्देशन में महाभारत के प्रसंग को चुन कर "दोस्त मेरा बराबरी का" पर एक दमदार प्रस्तुति दी गई। नाटक से संदेश दिया गया कि दुर्योधन इतिहास में भले ही खल नायक आंका गया हो लेकिन उसने अपने मित्र कर्ण को बराबरी का दर्जा देने के लिए उसे अंग देश का राजा बना दिया ताकि मित्र को अपनी कमजोर हैसियत का अहसास न हो। कर्ण के प्रति मित्रता के इस भाव के कारण उसे भी याद किया जाता है।
कार्यक्रम में संस्था के निदेशक पी.डी.सिंह ने अकादमी का आभार ज्ञापित किया जिन्होंने इस सुन्दर आयोजन की प्रेरणा और सहयोग प्रदान किया। उन्होंने प्रस्ताव दिया कि संस्था आगले कुछ महिनों में अकादमी के साथ अपनी सभी संस्थाओं में ऐसे आयोजन करना चाहेगी। संस्था की सीईओ डा. रुचिरा सोलंकी ने आगन्तुकों का आभार ज्ञापित किया। इस अवसर पर सभी आगंतुकों को सम्मान पत्र भेंट कर अभिनन्दन किया गया। श्रीमती बीना चौहान ने अपनी लिखित पुस्तकें भी मेहमानों को भेंट की। कार्यक्रम का संचालन अकादमी सचिव राजेन्द्र मोहन शर्मा ने किया।