अरशद शाहीन
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टोंक। एक्स्ट्रा एन आर्गेनाइजेशन के संयुक्त तत्वावधान में कम्युनिटी थिएटर के द्वारा राजकुमार रजक के निर्देशन में नाटक "द डेथ ऑफ़ गैलीलियो" का मंचन अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन में किया गया।
‘गैलीलियो की मृत्यु’ नाटक का मुख्य कथानक रात के समय का है जो भोर तक चलता है, तयशुदा तरीके से म्यूजियम को इस एक ही रात में ज़मींदोज़ करना है और इस काम के अंतिम क्षणों में ही बहके युवाओं के इस समूह में तनाव आरंभ हो जाता है गैलीलियो के क़िस्से के कारण और भोर होते - होते इस कहानी कहक युवा का खात्मा हो जाता है।
बेर्टोल्ट ब्रेष्ट का नाटक गैलीलियो का जीवन, गैलीलियो के नज़रबंद होने और उसके गृह कारावास की कहानी है जहां वो अपनी पुस्तक लिखते हैं और चुपके से उसे इटली के बाहर भेजते हैं, आखिर क्यों गैलीलियो को नज़रबंद किया गया। इन्होने समूचे आकाश को नए सिरे से देखने की प्रेरणा दी पर वहीं रिलीजन की आंतरिक मान्यताओं को ठेस लगी और महान चर्च की नाराज़गी से निपटने के लिए गैलीलियो गैलीली आखिर दम तक कई तरकीब लगाते रहे। कभी धर्म न्यायालय में माफी मांगी और कभी लेख लिखे पर गैलीलियो नज़र बंदी से आज़ाद नहीं हो पाये उन्होने जीवन के अंतिम दिन इस हालात में बिताए पर उनकी पृथ्वी आज भी आज़ाद अपनी धुरी पर घूम रही है और उनका चाँद वैसा ही खुरदुरा और चमकदार है। इसी धरातल पर नाटक ‘गैलीलियो की मृत्यु’ का रूपान्तरण बन पड़ा है जो हम सब के विवेक की तात्कालिक कथा है जहां गैलीलियो के ज़िक्र से ही सामने वाला व्यक्ति उग्र भीड़ के अवतार में तब्दील हो जाता है और ज़िक्रदारों को खत्म कर देता है। यह नाटक अंधेरे गलिहारों में विवेक की कानाफूसी है और हमारे समय के साथ अन्तः संवाद का आह्वान है।
“द डेथ ऑफ गैलीलियो” नाटक में मंच पर गैलीलियो का मुख्य किरदार रामरतन गुगलिया, सूत्रधार एवं विजय के पात्र में आशीष धाप, योगिंदर और हिटलर का किरदार आफताब नूर, बलवीर एवं सन्यासी चितरंजन नामा, ध्यान और पादरी नीलेश तसेरा, विहान और एस्ट्रोनॉमर शुभम मेघवंशी, एंड्रिया, पॉप एवं जर्नलिस्ट का पात्र मोहित वैष्णव, अमन तसेरा ने ब्रूनो तथा रायना राहा रजक के द्वारा ब्रूनो की मां काकिरदार निभाया। इसके साथ ही नाटक का संगीत गर्वित गिदवानी के द्वारा कंपोज तथा इसे सुपरवाइज सिलीगुड़ी के संगीतकार सायन ने किया। नाटक की प्रकाश व्यवस्था में गंगेश्वर तिवारी और आशीष चावला, प्रॉप्स फिरोज़ आलम और रवि पाठक, विंग्स सहायक भूपेंद्र तसेरा और जगदीश ग्वाला, एवं नेपथ्य की भूमिका में रिया बंसल, दीपक कुमार, रवि चावला, अरविंद जोधा, अंजलि शेखावत, अरिजित सेन रहे। इस नाटक का निर्देशन राजकुमार रजक द्वारा किया गया है। वहीं प्रस्तुति में सहायक भूमिका अज़ीम प्रेमजी फ़ाउंडेशन के देवेंद्र जोशी, दिनेश भदौरिया, जीतू, कुलदीप आदि का रहा।
नाट्य प्रस्तुति में स्थानीय साहित्यकारों, पत्रकार, शिक्षक, कलाकार एवं स्थानीय साथी उपस्थित रहे। नाट्य प्रस्तुति में अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन टोंक, जनसरोकार मंच टोंक एवं टोंक टेल्स का स्वेच्छिक सहयोग रहा। वहीं नाट्य प्रस्तुति से संबंधित गतिविधियों को निरंतर स्थानीय समुदाय से साझा करने के लिए इंस्टाग्राम पेज टोंक वाले और टोंक सिटी का सोशल मीडिया पार्टनर के रूप में सहयोग रहा।