भीख के कटोरे का नया व्याकरण

लेखक :  नवीन जैन  

स्वतंत्र पत्रकार (इंदौर म. प्र.) 

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यदि लोगों को निठल्ला, आलसी, यहां तक की भीख का कटोरा लेकर घूमने वाला बनाना हो तो इसका नया व्याकरण आम आदमी पार्टी उर्फ़ आप पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल से मिला जा सकता है। वैसे भीख का कटोरा लेकर घूमने वाला पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान ख़ान को उनकी ही  विदेश मंत्री हिना कौसर ने कभी कहा था। जब देश में मोदी लहर के बहकावे में आकर लाखों युवाओं को काम धाम मिलने की भी लहर चली थी, तब जल्दी ही पता चल गया कि पी.एच.डी.तक हो चुके बंदे चपरासी की नौकरी ढूंढते ढूंढते थक गए।

अब आप पार्टी के तमाम उत्साही लाल कह रहे हैं कि रेवड़ी बांटने से उनकी सफलता का कारवां गुजरात में भी डेरा डाल सकता है। राजनीति में कभी भी कुछ भी हो सकता है, लेकिन चूंकि अरविंद केजरीवाल खड़गपुर से आईआईटी हैं, तो वे इतना तो जानते ही होंगे कि ब्रिटेन की सरकार का दीवाला क्यों निकला? यदि प्रचार कार्य में व्यस्त रहने के कारण उनकी नजरों से यह खबर नहीं गुजरी हो तो कृपया वे जान लें कि कोरोना की अल्प प्रलय बेला में ब्रिटेन के वर्तमान पीएम ऋषि सुनक तत्कालीन सरकार में वित्त मंत्री थे। लगभग पूरा यूरोप घरों में कैद था। लंबे समय तक जब काम धंधे पटरी पर नहीं आए तो ऋषि सुनक ने अपने देश ब्रिटेन के लोगों को  घर बैठे वेतन दिया था। इसी कारण वहां के लोगों की आंखो के वे नूर तो बन गए, लेकिन सरकारी खजाना खाली होने लगा।

ब्रिटेन तो क्या उस समय लगभग पूरी दुनिया के घरों के बाहर मौत खड़ी थी। तब तो सरकार ही अपने नागरिकों की पालनहार थी, लेकिन अरविंद केजरीवाल जरा सोचें की मुफ्त की बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि तो दे देगें, लेकिन उससे सरकारी तिजोरी में जो सेंध लगेगी उसे पेच अप करने का दूसरा कौन सा उपाय है उनके पास? पंजाब में केजरीवाल की पार्टी के जीतने का प्रमुख कारण रेवड़ी ही रहा जबकि वहां सरकारी खजाने की हालत यह है कि लगभग अस्सी फीसद पैसा तो पेंशन, वेतन और कर्ज उतारने में ही चला जाता है। बचे बीस प्रतिशत में कौनसा विकास करके नया पैसा जनरेट किया जाएगा? अरविंद केजरीवाल दिल्ली, पंजाब और अब गुजरात में मुफ्त शिक्षा और स्वास्थ्य की बात करके वोट मांग रहें हैं। 

मान लिया कि वे नए स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटीज, अस्पताल आदि खुलवा देंगें लेकिन इनमें काम करने वाले विशेषज्ञ कहां से लायेंगे। क्या मोहल्ला क्लीनिकों में झोलाछाप डॉक्टरों को नियुक्ति दी जाएगी। नोट करें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 1000 की आबादी पर 1 डॉक्टर होना चाहिए जबकि भारत में 11000 की जनसंख्या के पीछे एक ही चिकित्सक उपलब्ध है। लाइफ सेविंग ड्रग्स और उपकरण के अलावा सामान्य मानक स्तर की दवाओं का प्रबंध कैसे किया जा सकता जा सकेगा? गुजरात में गत ,27सालों से भाजपा की सरकारें  सरपट दौड़ रही हैं। युवाओं में आप पार्टी के प्रति फिलहाल आकर्षण दिख रहा है, लेकिन कुल 182 सीटों वाले इस सूबे में पूर्व पत्रकार और टीवी एंकर रहे इसूदान गढ़वी को आप द्वारा मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाने के पीछे हिंदू कार्ड भी बताया जाता है। खुद गढ़वी ने एक राष्ट्रीय चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा है वे अपने चैनल पर महाभारत और रामायण पर लंबे समय तक शो बनाते रहे, जिसके कारण वे गुजरात के घर घर में मशहूर हो गए। वे उस ओबीसी समुदाय से भी आते हैं जो गुजरात की कुल जनसंख्या में लगभग बराबरी के हिस्सेदार हैं। रही सही कसर उनकी नायाब भाषण  कला पूरी कर देती है। जो हो, अरविंद केजरवाल ने भारतीय राजनीति का नया व्याकरण रच दिया है। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार है)