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भीलवाड़ा। शहर के शांति भवन में चातुर्मासरत पूज्य समकितमुनिजी म.सा. ने कहा कि भीतर कामना की आग जलने पर राख भी पीछे नहीं बचती। कामना जलाती तो है लेकिन जलते हुए दिखाई नहीं देता है। आनंद की भरपूर अनुभूति करनी है तो कामना कम करनी होगी। विजयादशमी पर्व के महत्व की चर्चा करते हुए कहा कि रावण के मन में कामना की आग जलने से ही उसने सीता को उड़ाने की सोची। इस आग में वह ऐसा जला की आज भी जल रहा है। आगमकार कहते है कामनाओं को कमजोर करने पर दुःख भी कम हो जाएंगे। ऐसा नहीं करने पर रावण ही क्यों न हो उसकी दुर्गति पक्की है। रावण के पास ताकत, ज्ञान सब कुछ था लेकिन कामना की आग ऐसी जली कि पीछे राख भी नहीं बच पाई। इस आग के चलते ही कई बार जो हमे आबाद करना चाहता है हम उसे ही बर्बाद कर देते है।
नवपद आयंबिल ओली की आराधना जारी
नवपद आयंबिल ओली की आराधना भी शांतिभवन में जारी है। ये नौ दिवसीय आराधना एक अक्टूबर से शुरू हुई थी। नवपद ओली तप आराधना के लाभार्थी डूंगरवाल परिवार के विजया देवी अमर सिंह डूंगरवाल ने बताया कि करीब 90 श्रावक-श्राविकाएं ओली आयंबील आराधना का लाभ ले रहे है। ओली तप करने वाले कई तपस्वी नियमित प्रवचन समाप्ति के बाद पूज्य समकितमुनिजी म.सा. के मुखारबिंद से श्रीपाल-मैना सुंदरी चरित्र का भी श्रवण का रहे है।