शैलेश माथुर की रिपोर्ट
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सांभरझील (जयपुर)। स्वतंत्रता सेनानी व प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य रहे स्वर्गीय बिहारीलाल अग्रवाल ने वर्ष 1950 में जोधपुर की प्रदेश कांग्रेस कमेटी की मीटिंग में सर्वप्रथम सांभर को जिला घोषित करवाये जाने का बीड़ा उठाते हुये इसके लिये अलख जगायी थी। आजादी में खास योगदान देने वाले इस स्वतंत्रता सेनानी का आजादी का सपना तो पूरा हो गया लेकिन सांभर को जिले का दर्जा दिलवाये जाने का उनका सपना अधूरा ही रह गया।
इस संदर्भ में उनके पुत्र प्रोफेसर सुरेशचन्द अग्रवाल से बात करने पर बताया कि मेरे पिता ने उस वक्त जनहित को दृष्टिगत रखते हुये सभी जिलों के पुर्नविभाजन का प्रस्ताव रखा था जो सर्वसम्मति से पारित भी हुआ था। उन्होंने बताया कि तत्कालीन अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डॉ. पट्टाभिरमैया द्वारा भी सांभर को जिला बनाये जाने की अनुशंंसा का एक पत्र उनके कहने पर तत्कालीन मुख्यमंत्री हीरालाल शास्त्री को सौंपा गया था। इसके पश्चात उनकी तरफ से प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री रहे पं. जयनारायण व्यास, टीकाराम पालीवाल व मोहनलाल सुखाडि़या को भी सांभर को जिला बनाये जाने का प्रस्ताव पेश कर पुरजोर तरीके से आवाज उठायी थी, लेकिन चूंकि हीरालाल शास्त्री खुद जोबनेर के निवासी होने के बावजूद वे सांभर को जिला घोषित करवाने में असमर्थ रहे तो इससे उनकी भावनाएं भी काफी आहत इसलिये भी हुयी कि सांभर को गौण करके उसके बाद अनेक नये जिले घोषित कर दिये गये।
लिखने योग्य है कि उसके बाद से समय समय पर व वर्ष 2012 में बार एसोसिएशन की तरफ से सांभर को जिला घोषित करवाये जाने की मुहिम के तहत उनके पुत्र की तरफ से अपने पिता के हस्तलिखित पत्र की प्रति के अलावा स्वतंत्रता सेनानी परिवार के सदस्य होने के नाते उनकी तरफ से सौंपा गया था। आजादी के बाद से सांभर को जिला घोषित करवाये जाने की मांग लगातार अनवरत जारी है तथा क्षेत्र के लोगों को आज भी उम्मीद है कि सरकार सांभर को जिला घोषित कर कई दशकों से चली आ रही इस मांग का पटाक्षेप जरूर करेगी।