जयपुर। हाल ही में आरजेएस - 2021 के साक्षात्कार का परिणाम घोषित हुआ जिसने कई अभ्यर्थियों के ही नहीं अपितु उनके परिवार वालों के सपनों को भी पूरा कर उनके चेहरों पर अद्वितीय खुशी की छटा बिखेर दी। सफलता की मुस्कान लिए उन्हीं चेहरों में से एक चेहरा जोधपुर की होनहार बेटी कार्तिका गहलोत का है जिसने प्रथम प्रयास में ही इस परीक्षा में ऑल राजस्थान 66वीं रैंक हासिल कर माता-पिता सहित अपने गुरुजनों का भी मान बढ़ा दिया। उत्कर्ष क्लासेस की ऑनलाइन विद्यार्थी के रूप में उत्कर्ष एप से आरजेएस की तैयारी कर अपने सपने को पहले ही प्रयास में हकीकत की उड़ान देने वाली कार्तिका ने उत्कर्ष से साझा की अपनी सफलता की कहानी।
छोटी उम्र में ही देख लिया था काले कोट का सपना; पिता बने सबसे बड़ी प्रेरणा
23 वर्षीय कार्तिका ने अपनी इस स्वर्णिम सफलता का श्रेय सबसे पहले अपने पिता को दिया जो स्वयं 31 वर्षों से हाईकोर्ट जजों के लिए बतौर ड्राइवर नौकरी करते हैं। जेएनवीयू से एलएलबी करते हुए वह अक्सर अपने पिता से लॉ विषय पर चर्चा करती और पिता भी बरसों से जजों के प्रत्यक्ष संपर्क में रहने के कारण प्राप्त विधि के व्यावहारिक ज्ञान एवं अनुभव से उसे प्रेरित करते रहते थे। कार्तिका के पिता राजेन्द्र गहलोत के अनुसार “उन्होंने अपनी बेटी में एक भावी न्यायाधीश तभी देख लिया था जब उसने छठी कक्षा में बालपन से ही सही मगर काला कोट पहनने का इरादा जता दिया था।”
खुद आगे ड्राइवर की सीट पर बैठते थे लेकिन सपना था बेटी को पीछे की सीट पर देखना
इस वाकिए के बाद से ही पिता राजेन्द्र गहलोत हमेशा ड्राइवर की अपनी भूमिका निभाते हुए जजों को कार से उनके गंतव्य तक लाने ले जाते समय यह अटूट विश्वास अवश्य रखते थे कि एक दिन इसी कार की पिछली सीट पर उनकी बेटी न्यायाधीश बनीं बैठी दिखेगी। उत्कर्ष से अपनी इस खुशी को व्यक्त करते हुए उन्होंने यह जाहिर किया कि उनके इस सपने को बहुत से लोगों ने हैसियत का हवाला देते हुए दबाने की कोशिश भी की मगर वे अपने इस सपने को हकीकत में बदलते देखने के लिए पूरी तरह निश्चिंत थे और न्यायाधीशों के साथ बिताए हर एक पल की सकारात्मक ऊर्जा को रोजाना सहेज कर घर ले आते जिसकी तरंगों के संपर्क में आकर दिनों-दिन कार्तिका का आत्मविश्वास परवान चढ़ता गया।
“सफलता के लिए खुद पर विश्वास रखे और निरंतर सीखते रहे”- कार्तिका गहलोत
2020 में एलएलबी के अंतिम पड़ाव से पहले ही आरजेएस प्री परीक्षा के लिए आवेदन कर दिया था लेकिन दिल और दिमाग में तैयारी साक्षात्कार तक की चल रही थी। अपनी तैयारी को मुकाम-दर-मुकाम ले जाते हुए प्री के बाद मुख्य परीक्षा और फिर आखिरकार पहले ही प्रयास में साक्षात्कार स्तर पर भी कामयाबी हासिल की। दृढ़ निश्चय और विश्वास से निरंतर प्रतिदिन कम से कम 4-5 घंटे पढ़ाई करना दिनचर्या का हिस्सा था। इसके अलावा परीक्षा पाठ्यक्रम की तैयारी को व्यवस्थित तरीके से विभाजित कर हिन्दी-इंग्लिश के अध्ययन को विशेष रूप से केंद्र में रखते हुए अपने लेखन स्तर को धार दी। इसके अतिरिक्त कार्तिका ने एमसीक्यू प्रश्नों व टेस्ट सीरीज के निरंतर अध्ययन को भी प्राथमिकता में रखने पर जोर दिया।