ई-मित्र संचालक के बेटे ने नीट-यूजी 2022 में हासिल किया मुकाम; एससी कैटेगरी में ऑल इंडिया चौथी रैंक
सूर्यनगरी के इन होनहारों ने साबित कर दिया कि कड़ी मेहनत का कोई विकल्प नहीं होता : डॉ. निर्मल गहलोत
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जयपुर। उत्कर्ष नीट जेईई क्लासेस में मेडिकल एंट्रेस एग्जाम की तैयारी कर रहे दो भाइयों मुकेश राठौड़ और पंकज राठौड़ द्वारा नीट-यूजी 2022 के फाइनल परीक्षा परिणाम में एक साथ सफलता हासिल करने और मुकेश राठौड़ द्वारा 720 में से 690 अंक प्राप्त कर एससी कैटेगरी में ऑल इंडिया चौथी रैंक हासिल किए जाने से उनके परिवार के साथ-साथ संस्थान भी उत्साहित है। इसी को ध्यान में रखकर उत्कर्ष ने समस्त विद्यार्थी वर्ग को इस सफलता से प्रेरणा प्रदान करने के उद्देश्य से दोनों भाइयों के संघर्ष की कहानी को सबके सामने रखने का निर्णय लिया और संस्था निदेशक डॉ. निर्मल गहलोत सहित उत्कर्ष नीट जेईई क्लासेस के प्रमुख दिनेश वैष्णव और कुमार गौरव ने पूरे परिवार से बात की और जानी उनके संघर्ष की कहानी।
वर्तमान भले ही छोटा हो पर माता-पिता ने बच्चों के भविष्य का सपना हमेशा बड़ा देखा।
जोधपुर के प्रताप नगर में स्थित एक आम मध्यम परिवार जिसकी हर सुबह की शुरुआत रोजाना की तरह सामान्य जीवन संघर्ष के साथ होती है। परिवार के मुखिया लादूराम राठौड़ जीवनयापन के जरिए के रूप में एक ई-मित्र कियोस्क का संचालन करते हैं और उनकी सहभागिनी उषा राठौड़ भी सिलाई का काम कर घर चलाने में उनका सहयोग करती है। इस दंपति ने वर्तमान के संघर्ष को नजरअंदाज करते हुए अपने बेटों को डॉक्टर बनाने का सपना न केवल सँजोए रखा बल्कि उसे पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास किया और उन्हें बेहतर से बेहतर संस्था से शिक्षा दिलवाने में कोई कसर नहीं रखी। इसी का परिणाम रहा कि बीते गुरुवार की सुबह दंपति के लिए वास्तव में एक यादगार खुशी का झोंका बनकर आई जिसने एक माँ की ममता और दुलार का वास्तविक मोल चुका दिया और पिता का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया। नेशनल टेस्टिंग एजेन्सी द्वारा नीट-यूजी 2022 का फाइनल परीक्षा परिणाम बुधवार रात्रि को घोषित हुआ और इस परिवार में उल्लास और खुशी की लहर दौड़ पड़ी। दंपति के दो बेटे मुकेश राठौड़ और पंकज राठौड़, दोनों ही एससी कैटेगरी के तहत नीट-यूजी 2022 की परीक्षा में अपना परचम फहराने में कामयाब हुए।
पिता को विश्वास था कि अच्छे दिन नहीं, अच्छा जमाना आएगा
कोई संदेह नहीं कि अपने बेटों की सफलता पर लादूराम राठौड़ की खुशी की सीमा क्या होगी और हो भी क्यों न, आखिर उनके बेटों ने उनके इस विश्वास को सच कर दिखाया कि “अच्छे दिन नहीं बल्कि मुझे विश्वास है कि एक दिन अच्छा जमाना आएगा।“ वहीं माँ उषा राठौड़ के गर्व को महसूस करने का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि किसी जमाने में उनका खुद का सपना डॉक्टर बनने का था लेकिन उनके उसी सपने का एक महत्त्वपूर्ण पड़ाव आज उनके दोनों बेटों ने एक साथ पार कर लिया।
कोचिंग और सेल्फ स्टडी के साथ पिता के काम में भी मदद करना दिनचर्या का हिस्सा था
उत्कर्ष नीट जेईई क्लासेस से कोचिंग लेते और अपने माता-पिता के सपनों को उड़ान देने की तैयारी करते दोनों भाई मुकेश राठौड़ और पंकज राठौड़ के संघर्ष की डोर का दूसरा सिरा उनके माता-पिता के संस्कार और सीख से बंधा है। सीख यहीं कि जीवन-स्तर की तुलना करके कभी अपने सपनों की उड़ान की ऊँचाई तय नहीं करनी चाहिए। इसलिए कोचिंग और अपने छोटे से कमरे में रखी ढेरों किताबों से सेल्फ स्टडी में जूझने के बाद अपने पिता के कियोस्क के संचालन में भी सहयोग करना दोनों भाइयों की दिनचर्या का अहम हिस्सा था।
लंबे समय बाद जोधपुर से किसी विद्यार्थी को मिलेगा दिल्ली एम्स से एमबीबीएस करने का मौका
उत्कर्ष के संस्थापक व निदेशक डॉ. निर्मल गहलोत ने मुकेश राठौड़ की मेहनत के सफलता में बदलने पर अपने विचार रखे और स्पष्ट किया कि जोधपुर से बहुत वर्षों के बाद किसी श्रेणी में किसी विद्यार्थी को सिंगल डिजिट में रैंक हासिल हुई है। यह बहुत बड़ी बात है कि मुकेश ने एससी कैटेगरी में ऑल इंडिया चौथी रैंक अपनी 12वीं की पढ़ाई करते-करते हासिल की है। समस्त गुरुजनों के साथ-साथ उसकी अपनी मेहनत और लक्ष्य के लिए समर्पण का ही फल है कि लंबे समय बाद जोधपुर से किसी विद्यार्थी को दिल्ली एम्स से एमबीबीएस करने का मौका मिलने की प्रबल संभावना है।