राजस्थान में ग्रामीण पर्यटन प्रगति और संभावनाऐं

लेखक : डाॅ. सत्यनाराण सिंह

(लेखक रिटायर्ड आई.ए.एस. अधिकारी है)

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पर्यटन देश में सबसे महत्वपूर्ण आर्थिक क्षेत्रों में गिना जाने लगा है। पर्यटन आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक शैक्षिक विकास में महत्वपूर्ण है, कलाकारों, कुशल, अर्ध-कुशल दस्तकारों, श्रमिकों के रोजगार में वृद्धि करता है। देश व प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यटकों को लुभाने के लिए बहुत कुछ है। कला, शिल्प संस्कृति, ऐतिहासिक स्थलों में समृद्ध ग्रामीण क्षेत्र, युवा पीढ़ी जिन्हें पारम्परिक जीवनशैली, कला व शिल्प लुभाते हैं, के आकर्षण का केन्द्र बन सकते हैं।

राजस्थान प्रदेश नैसर्गिक रूप से विविध सम्पदा का धनी है। राजस्थान में न केवल विश्व का सबसे सुन्दर मरूस्थल है, सम्पूर्ण प्रदेश में विविध प्रकार के आकर्षण एवं उत्पाद फैले हैं। ऐतिहासिक धरोहर जिसमें दुर्ग, महल, मंदिर, पुरा सम्पदायें पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण हैं। प्रदेश पर्यटन उत्पादों को प्रारम्भ करने में अग्रणी रहा है। देशी-विदेशी पर्यटकों की आवाजाही 2001 में 84 लाख थी, अब 2018 में बढ़कर 5 करोड़ 20 लाख पहुॅच गई है। प्रदेश की नैसर्गिक, ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक विरासत राज्य के आर्थिक विकास और आजीविका के अधिकाधिक अवसर, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्र में सृजन कर सकती है।

नवीन पयर्टक उत्पादों एवं सेवाओं, जो विशेषकर ग्रामीण क्षेत्र में अवस्थित है, उन तक सड़क, रेल, हवाई आवागमन साधनों में सुधार, ग्रामीण क्षेत्रों में आवास सुविधाओं का विस्तार, सुखद एवं सुरक्षित वातावरण, विशेषकर महिला पर्यटकों के लिए उपलब्ध कराने, ग्रामीण प्रशासनिक ढ़ांचे को सुदृढ़ सशक्त एवं पर्यटन फ्रेंडली करने व बेहतर सुविधांए, टिकटिंग/गाईड/आडियो विज्यूअल गाईड्स आदि तथा इन स्थलों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम व रात्री बाजार आयोजित करने से आकर्षण बढ़ सकता है।  

ग्रामीण विकास समितियों को ग्रामीण स्थलों की उचित देखभाल करने हेतु सक्षम बनाया जाय। राजस्थान में अनेक गांव है जो हेरिटेज स्थल व हेरिटेज होटल से सम्पन्न है। प्रसिद्ध कलाओं एवं हथकरघा उत्पादों सम्बन्धी कार्य होता है। गांव के उन्नयन के लिए मास्टर प्लान बनाया जाय व स्वच्छता, सड़क, पेयजल, विद्युत, स्वास्थ्य का उचित प्रबन्ध किया जाय। मरू साहसिक खेल, हार्स, जीप, केमिल सफारी, डैजर्ट कैम्प से प्रोत्साहित किया जाय। मरूस्थलीय शूटिंग हेतु मरूस्थल आकर्षक स्थल है, साहसिक पर्यटक हेतु गतिविधियों की पहचान की जाय। राज्य में वन्यजीव व परिस्थितिकी पर्यटन को बढ़ाने की काफी गुंजाइस है। इन क्षेत्रों में सुचारू होटल, रेस्त्रों व पर्यटन इकाईयाॅं स्थापित की जाये। राज्य में सांस्कृतिक पर्यटन की और अधिक भावना है। हेरीटेज स्थलों, स्मारकों को सांस्कृतिक केन्द्रों के रूप में विकसित किया जाय। सांस्स्कृतिक परम्पराओं और लोक कलाओं से भरे गांवों को चिंहित किया जाकर प्रोन्नत किया जाय। नये मेले व उत्सवों को प्रोत्साहित किया जाय। सरकारी, गैर सरकारी संग्रहालयों को स्थापित करने के प्रसास हों, मेले व उत्सवों का आयोजन पर्यटकों की रूचि अनुसार किया जाये।

राजस्थान में शिल्प व व्यंजन पर्यटन से सतत आजीविका प्रोत्साहन व स्वरोजगार सृजन किया जा सकता है। हस्तशिल्प कला उत्पादों का आयोजन की विशेष व्यवस्था हो। धार्मिक सर्किट्स में आवश्यक व्यवस्था सुधार हो तथा ग्रामीण धार्मिक स्थलों को अधिक आकर्षित बनाया जासकता है। यहां पर आवासीय सुविधाओं का विस्तार आवश्यक है। राजस्थान में वैवाहिक व आरोग्य पर्यटन में ग्रामीण पर्यटन के विकास के लिए अत्यन्त उपयोगी सिद्ध हो सकते है।

ऐसे गांव जो अपने परम्परागत हस्तकलाओं, संगीत, नृत्य कला, व्यंजन, हैण्डीक्राफ्ट, हथकरघा, ग्रामीण जीवनशैली, विश्ष्टि प्राकृतिक परिस्थितियां संभाले है, उन्हें चिन्हित कर विकसित यिका जाये। इनका सड़क समपर्क, होम स्टे, आवश्यक सुविधायें, आवास सुविधा, पेयजल, सुरक्षा, विद्युत सुविधा, इंटरनेट सुविधा का विकास किया जाये। युवाओं हेतु कौशल विकास कार्यक्रम व हस्तशिल्प का स्वरोजगार कार्यक्रम को बढ़ावा दिया जाये।

भौतिक आधारभूत संरचनात्मक विकास, आवश्यक सुविधायें सुनिश्चित की जाये। स्वच्छ शौचालय, कैफेटेरिया, पंहुच मार्ग, प्रदूषण मुक्त जोन, पर्यटकों को आवश्यक सूचना उपलब्ध कराने की व्यवस्था, स्मारकों तथा स्थलों के संरक्षण व जीर्णोद्वार का कार्य किया जाये। आवास सुविधा अत्यन्त आवश्यक है। पर्यटन एवं आथित्य क्षेत्र में अकूत रोजगार के अवसर है। ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यटक सुरक्षा अत्यन्त महत्वपूर्ण है। खाद्य सुरक्षा व उत्पादों का चुनाव एवं व्यवस्था भी आवश्यक है।

प्रदेश में पर्यटन अधिकतर चन्द पारम्परिक शहरों व कस्बों तक सीमित रहा है जो ऐतिहासिक स्थापत्य और सांस्कृतिक अभिरूचि के केन्द्र है परन्तु अनेक शानदार स्थल अज्ञात है अथवा जिन्हें कम महत्व मिला है, ऐसे स्थलों के बुनियादी ढांचे और संचार साधनों की कमी व प्रोत्साहन को दूर कर पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सकता है। राज्य में ग्रामीण पर्यटन पर ध्यान देने की जरूरत है जो पर्यटन के साथ राज्य की प्रगति का भविष्य है। बड़े पैमाने पर आर्थिक क्षेत्र में विकास व उत्पादक रोजगार पैदा करने की क्षमता है। इससे शहरों की ओर पलायन रूकेगा, कृषि पर भार कम होगा। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार है)