www.daylife.page
भीलवाड़ा। हमें दिखावे का जैनी नहीं बल्कि विचारों से जैनी बनने की आवश्यकता है। हमारे नाम के साथ जैन जुड़ना ही पर्याप्त नहीं है हमारे कर्म एवं आचरण भी जैनत्व एवं जैन दर्शन के अनुरूप होना चाहिए। ये विचार आगमज्ञाता प्रज्ञामहर्षि डॉ. समकितमुनि ने रविवार को शास्त्रीनगर के अहिंसा भवन में ‘‘जैन तब और अब’’ विषय पर आयोजित विशेष प्रवचन में व्यक्त किए।
मुनिश्री ने 10 जुलाई को शांति भवन में चातुर्मासिक मंगल प्रवेश के बाद 12 से 14 जुलाई तक होने वाले सामूहिक तेला तप आराधना में भी अधिकाधिक सहभागिता का आग्रह किया। चातुर्मासिक नियमित प्रवचन 13 जुलाई से शुरू हो जाएंगे। गायनकुशल जयवंत मुनि एवं प्रेरणा कुशल भावन्त मुनि का भी सानिध्य प्राप्त हुआ। धर्मसभा का संचालन अहिंसा भवन श्रीसंघ के मंत्री सुशीलकुमार चपलोत ने किया।
धर्मसभा में चित्तौड़गढ़ सहित विभिन्न्न स्थानों से पधारे श्रावक-श्राविकाएं भी मौजूद थे। पूज्य डॉ. समकितमुनिजी म.सा. आदि ठाणा-3 सोमवार सुबह अहिंसा भवन से मंगल विहार कर हरणी महादेव रोड स्थित श्याम विहार कॉलोनी पहुंचेेंगे। श्याम विहार में सुंदरम रिसोर्ट के सामने श्रावक सुशील कुमार चपलोत के आवास पर सुबह 9 से 10 बजे तक प्रवचन होंगे। शांति भवन श्रीसंघ के मंत्री राजेन्द्र सुराणा ने बताया कि डॉ. समकितमुनिजी का 5 जुलाई मंगलवार को कांचीपुरम स्थानक में प्रवचन होगा।