जनप्रतिनिधियों व जिम्मेदार विभाग की अनदेखी से आमजन परेशान
शैलेश माथुर की रिपोर्ट
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सांभरझील (जयपुर)। सांभर में अनेक जगहों पर करीब साल डेढ साल से भी अधिक समय से सड़कें टूटी फूटी पड़ी है, उबड़ खाबड़ सड़कों पर वाहन हिचकोले खा रहे है, लेकिन जिम्मेदार विभाग इन सड़कों की मरम्मत या जिन जगहों पर नवीन सड़क बनाना जरूरी है उस तरफ पूरी तरह से लापरवाही ही बरत रहा है। यहां के जनप्रतिनिधि अपनी भूिमका निभाने में पूरी तरह से निष्क्रिय बने हुये है। विकास का दंभ भरने वाले नेता महज चुनाव के वक्त जरूर नजर आते है, लेकिन इसके बाद आमजन की समस्याओं से पूरी तरह से किनारा कर लेते हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार पालिका प्रशासन की ओर से निवर्तमान बोर्ड के कार्यकाल के दौरान उन सड़कों को तोड़कर दोबारा बनाने का काम किया जिसकी जरूरत ही नहीं थी।
आम जनता में भी इस बात को लेकर उस वक्त जबरदस्त चर्चा का माहौल रहा, लेकिन मजे की बात यह है कि उस वक्त विपक्ष में बैठी कांग्रेस के कुछ तथाकथित नेताओं ने ऑब्जेक्शन भी उठाया लेकिन उनकी नहीं चली, आज भाजपा विपक्ष में है लेकिन यहां के नेता प्रतिपक्ष की ओर से जिस प्रकार से खुद की भूमिका अदा कर रहे हैं, बताया जा रहा है कि उसमें कोई खास दम नहीं है। यहां के पृथ्वीराज चौहान सर्किल से पांच बत्ती चौराहा तक आने वाला मार्ग जिसमें सांभर साल्ट के फाटक से पहले की सड़क की स्थिति पूरी तरह से खराब हो चली है, फाटक के आगे न्यू मार्केट में प्रवेश करने के दौरान जगह जगह से सड़क की मोटी परत उखड़ चुकी है। सिंधी बाजार यहां का प्रमुख कपड़ा मार्केट है, यहां की सड़क कई वर्षों से नई क्यों नहीं बनायी जा रही है, जबकि इसी मार्ग से होकर प्रमुख व्यवसायिक स्थल गोला बाजार की ओर लोग रोजमर्रा का सामान खरीदने के लिये आते है, गोला बाजार की रोड भी संतोषजनक स्थिति में नहीं है।
नकाशा चौक तक जाने वाला रास्ता भी अनेक जगहों से उबड़ खाबड तो है ही कई जगह गढ्ढे भी होने से रात के वक्त लोगों को अपने वाहन से जाना मुश्किल भरा ही साबित हो रहा है। सांभर-जयपुर वाया फुलेरा मार्ग कोरोना काल से भी पहले कई जगह से खराब स्थिति में पहुंच चुका है, गढ्ढे इतने गहरे हो गये हैं कि बारिश के समय छोटे तालाब का रूप ले लेते है, सार्वजनिक निर्माण विभाग के अभियन्ता इसे ठीक कराने का आश्वासन कई दफा दे चुके है, लेकिन राजनेताओं की तरह ये भी लोगों को गुमराह कर रहे है। आमजन की सुरक्षा का ख्याल न तो प्रशासन काे है और न ही यहां के उन राजनेताओं को जो व्हाट्स लीडर बनकर एक दूसरे पर छींटाकशी तो कर लेते है, लेकिन आमजन की पीड़ा को उठाने का उनमें माद्दा ही नहीं है।