अब कर्नाटक के मंदिरों में भजन बनाम मस्जिदों में अजान

लेखक : लोकपाल सेठी

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)

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महाराष्ट्र में जिस प्रकार महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के नेता  राज ठाकरे ने राज्य में मस्जिदों पर अजान के लिए लगाये गए लाउडस्पीकरों को हटाने की मुहीम  चला रखी है, कर्नाटक में कुछ कट्टरपंथी हिन्दू संगठनों ने, जिसमें श्री राम सेने प्रमुख है,  मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाये जाने को लेकर अलग ही किस्म का आन्दोलन चला रखा है। उनके इस आन्दोलन को  मंदिरों और मठों से जुड़े संतों, महंतों का पूरा समर्थन मिल रहा है। 

महाराष्ट्र में जहाँ शिव सेना, नेशनलिस्ट कांग्रेस और कांग्रेस पार्टी की मिली जुली सरकार है वहां कर्नाटक में बीजेपी की सरकार है। दक्षिण के इस राज्य में  लगभग एक साल बाद विधान सभा के चुनाव होने है। इसलिए यह माना जा रहा है कि इस राज्य में सत्तारूढ़ दल फिर सरकार बनाने के लिए विकास के मुद्दे से कहीं अधिक हिन्दू कार्ड को भुनाने से गुरेज नहीं कर रहा है। इसलिए वह उन सभी मुद्दों का समर्थन कर रहां है जिससे उसका हिन्दू वोट आधार और अधिक  मजबूत होता हो।

श्री राम सेने का बीजेपी अथवा राष्ट्रीय सवयंसेवक संघ से सीधा कोई संबध नहीं है लेकिन इसके संस्थापक प्रमोद मुतालिक के इन दोनों संगठनों के नेताओं से बड़े नज़दीकी संबंध है। उनको परोक्ष रूप से इन दोनों संगठनों का समर्थन मिल रहा है। हालाँकि इस संगठन का सारे राज्य में प्रभाव है लेकिन दक्षिण का हिस्सा इसका गढ़ माना जाता है जहाँ इसका संगठन कहीं अधिक मजबूत है। कुछ वर्ष पूर्व इस संगठन के लोगों पर यह आरोप लगाया गया था कि वहां चर्चों पर हुए हमलों और तोड़फोड़ के पीछे इसी संगठन के लोग थे। उनके खिलाफ पुलिस में मामले भी दर्ज किये गए थे। तब मुतालिक ने आरोप लगाया था की इन चर्चों के पादरी हिन्दुओं का धर्म परिवर्तन करने में लिप्त थे। 

कर्नाटक में पिछले चार पांच महीनों से राज्य के मुस्लिम समुदाय के खिलाफ के प्रकार की मुहीम सी चल रही है। राज्य की बीजेपी सरकार और पार्टी के  नेता  प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से इसको हवा दे रहे हैं। हालाँकि मुस्लिम समुदाय के नेता यह दावा कर रहे है कि राज्य में मुस्लिम आबादी लगभग 13 प्रतिशत है  लेकिन राज्य में पिछली कांग्रेस सरकार द्वारा 2018 में करवाई जन गणना का अनुसार उनकी आबादी लगभग 9 प्रतिशत है। आम तौर राज्य के मुस्लिम  मतदाता कांग्रेस अथवा जनता दल (स)  का साथ देते रहे है। कभी राज्य में जनता दल (स) और बीजेपी की मिलीजुली सरकार थी। चार वर्ष पूर्व जनता दल (स) ने कांग्रेस के साथ मिलकर भी सरकार बनाई थी जो एक साल से अधिक नहीं चली। अब अगले चुनाव त्रिकोणीय होने की संभावना है। 

ऐसी स्थिति में श्री राम सेने बीजेपी का हिन्दू अजेंडा आगे बढाने में लगी है। इसलिए इस संगठन ने मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने को लेकर बड़ा आन्दोलन शुरू किया। पिछले हफ्ते इससे जुड़े लोंगों ने प्रदेश के एक हज़ार मंदिरों और मठों में बैठकर हनुमान चालीसा का पाठ किया तथा भजन गाने का आयोजन किया। इसका समय सवेरे 5 से 6 बजे तक था जब की अजान का समय 5.30 बजे का होता है।

हालाँकि राज्य सरकार ने एक आदेश जारी कर निर्देश दिया था कि मस्जिदों पर लगाये गए लाउड स्पीकर या तो हटा दिए जाएँ या फिर उनकी आवाज तय सीमा के भीतर हो। फिर भी श्रीराम सेने ने हिन्दू जागरण के नाम पर यह आन्दोलन शुरू किया। उधर राज्यों की मस्जिदों की इंतजामिया समितियों ने कहा कि वे इसका पूरी तरह से पालन कर रहे हैं इसलिए श्री राम सेने की मुहीम का कोई औचित्य नहीं है। उनका आरोप है ऐसे संगठन राज्य में साम्प्रदायिक माहौल बिगाड़ने में लगे है ताकि आने वाले चुनावो में बीजेपी को इसका लाभ मिल सके।

अभी तक राज्यों के मंदिरों और मठों में होने वाले मेलों के दौरान लगने वाले स्टालों को आवंटित करने में कोई भेदभाव नहीं होता था। वास्तव में बड़ी संख्या में  मुस्लिमों को भी स्टाल आवंटित किये जाते थे। लेकिन कुछ समय यह निर्णय हुआ है कि भविष्य में की इन हिन्दू मेलों में मुसलमानों को कोई स्टाल  नहीं दी जाये। यह किसी से छिपा नहीं कि राज्य के बहुत मंदिरों और मठों का प्रबन्धन सरकार के धर्म स्थल विभाग के पास है इसलिए यह माना जा रहा है इन सस्थाओं की प्रबन्ध समितियों ने ऐसा निर्णय सरकार के इशारे पर ही किया होगा। 

देश में कर्नाटक एक ऐसा राज्य है जहाँ स्कूलों और अन्य शिक्षण संस्थानों में मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहन कर आने पर पांबदी वर्तमान बीजेपी सरकार इन आज के कुछ महीने पहले लगाई थी इसका लेकर राज्य के मुसलमान ने बड़ा आन्दोलन किया था। यह अलग बात है कर्नाटक हाईकोर्ट ने द्वारा इसे सही बताने के बाद यह आन्दोलन कुछ हद तक थम सा गया। (लेखक का अपना अध्ययन एवं उनके निजी विचार है)