गाज़ियाबाद। विश्व पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर दिल्ली के आईटीओ स्थित लोकनायक सेतु के समीप छठ घाट पर देश के भूले-विसरे नायकों और आजादी के आंदोलन के महानायकों की स्मृति में वृहद स्तर पर वृक्षारोपण किया जायेगा। इस अवसर पर देश के नामी-गिरामी पर्यावरणविद, जल विशेषज्ञ, नदी विशेषज्ञ, यमुना मिशन आदि पर्यावरण व जल संरक्षण में लगे संगठन, साधु-संत और वृक्षारोपण व पर्यावरण संरक्षण अभियान में लगे व सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ता भाग लेंगे। उक्त जानकारी लोकनायक जयप्रकाश अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन विकास केन्द्र के महासचिव व यमुना बचाओ अभियान के प्रमुख और यमुना मिशन के प्रमुख स्तम्भ भाई अशोक उपाध्याय ने आज सांय छठ घाट पर उपस्थित पर्यावरण कार्यकर्ताओं के बीच दी। इस अवसर पर प्रख्यात पर्यावरणविद ज्ञानेन्द्र रावत, पटना से आई गो ग्रीन अभियान की अध्यक्ष श्रीमती रागिनी रंजन, वरिष्ठ पत्रकार, चिंतक एवं सामाजिक कार्यकर्ता कौशल किशोर, जाने-माने समाज सेवी व पर्यावरण मित्र सरदार सुखविंदर सिंह, वरिष्ठ पत्रकार विनय खरे, सामाजिक कार्यकर्ता विनोद कुमार, पर्यावरण प्रेमी कृपाशंकर व शाकिर अली आदि की उपस्थिति विशेष रूप से उल्लेखनीय थी।
इस अवसर पर अभय सिन्हा ने कहा कि यमुना किनारे भाई अशोक उपाध्याय जी द्वारा लगाये गये असंख्य पेडो़ं को देखकर मैं बहुत ही प्रसन्न हूं, हर्षित हूं और गौरवान्वित अनुभव कर रहा हूं। भाई अशोक जी द्वारा मां यमुना और पेडो़ं की सेवा और यमुना में प्रदूषित सामग्री-प्लास्टिक आदि गंदगी को स्वयं निकालने का दुरूह और जटिल कार्य न केवल प्रशंसनीय है, प्रेरणादायक है बल्कि अनुकरणीय भी है। हमारा प्रयास रहेगा कि अशोक जी द्वारा शुरू किये गये वृक्षारोपण अभियान को हम सब मिलकर और आगे बढा़यें और इस यमुना तट को हरा-भरा बनाने में कोई कोर कसर न रखें। इसलिए हम विश्व पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर यानी आगामी 4 जून को सायं साडे़ चार बजे इसी छठ घाट पर अपने महापुरुषों,आजादी के महानायकों और भूले-बिसरे नायकों की स्मृति में वृक्षारोपण कर इस अभियान को विस्तार देने का प्रयास करेंगे।
गो ग्रीन की अध्यक्ष श्रीमती रागिनी रंजन ने कहा कि वृक्ष हमें प्राण वायु प्रदान करते है। प्राण वायु रूपी आक्सीजन का मूल्य हम सबने कोरोना काल में बखूबी समझा है लेकिन दुखदायी यह है कि हम इसके बावजूद उसका मोल समझ नहीं पा रहे हैं और इसके मूलाधार पेडो़ं को बडी़ बेदर्दी से अपने स्वार्थ और अनियोजित विकास की समिधा बनाने पर तुले हैं। जरूरत है हम पेडो़ं का मोल पहचानें और उनकी रक्षा का हर कीमत पर प्रयास करें। क्योंकि यह समझ लेना चाहिए कि पेड़ हैं तो हम हैं। यदि पेड़ नहीं रहे तो मानव जीवन की कल्पना ही बेमानी होगी।
इस अवसर पर पर्यावरणविद ज्ञानेन्द्र रावत ने कहा कि समय की मांग है कि हम सब आज से करीब तीन सौ बरस पहले विश्नोई समाज के स्त्री-पुरुषों के बलिदान से सबक लें जिन्होंने खेजडी़ के पेडो़ं की रक्षार्थ अपने प्राणों का त्याग कर दिया था। उनका प्राणों का त्याग पेडो़ं की रक्षा के लिए किए जाने वाला बलिदान इतिहास की अविस्मरणीय घटना है। लेकिन दुख है हमने आज भी उससे कुछ नहीं सीखा है और निर्बाध गति से विकास के नाम पर पेडो़ं को काटते चले जा रहे हैं। देवभूमि उत्तराखंड में देवदार के लाखों पेडो़ं की बलि इस अनियोजित विकास का ही नतीजा है। इसलिए अब भी समय है, चेत जाओ, पेडो़ं की रक्षा करो, पेड़ लगाओ और ऐसे विकास का पुरजोर विरोध करो जो राष्ट्र, प्रकृति और मानव विरोधी है। हमारे सामने भाई अशोक इस दिशा में न केवल आदर्श हैं बल्कि हमारे मार्गदर्शक भी हैं। हमें उनके हरित संपदा की रक्षा और उसे अक्षुण्ण बनाये रखने हेतु किये गये इस पुनीत और पावन प्रयास को और आगे बढा़ना होगा, तभी इस यज्ञ में हम अपना अंशमात्र योगदान दें, यही बडी़ उपलब्धि होगी और सही मायने में पर्यावरण दिवस पर सिल्यारा के संत परमादरणीय सुंदरलाल बहुगुणा को यही सच्ची श्रृद्धांजलि होगी।
अंत में नदी पुत्र और नदी रत्न सम्मान से सम्मानित भाई अशोक उपाध्याय ने कहा कि यह हमारे लिए गर्व की बात है कि विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर अभय सिन्हा जी, बहिन रागिनी और हमारे अग्रज भाई ज्ञानेन्द्र रावत जी ने महापुरुषों के नाम पर यमुना किनारे के इस छठ घाट को वृक्षारोपण के लिए चुना है। भाई विनय खरे जी, कौशल जी व सरदार सुखविंदर जी ने भी इस पुनीत कार्य में हरसंभव सहयोग देने का वचन दिया है। मैं उपरोक्त सभी का हृदय से आभारी हूं और इस कार्य को सफल बनाने में हम सभी और सहयोगी संगठन कोई कोर कसर नहीं रखेंगे।
इस अवसर की खासियत यह रही कि यमुना किनारे अभय सिन्हा, श्रीमती रागिनी, ज्ञानेन्द्र रावत, कौशल व सरदार सुखविंदर सिंह ने बरगद, पीपल और पिलखन के कई पेड़ लगाये और यमुना किनारे पेडो़ं के बीच घंटों बैठकर इसके विकास के सम्बंध में विचार-विमर्श करते रहे।