अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व संध्या पर गोपाल किरन समाजसेवी संस्था द्वारा महिला गौरव सम्मान, कोरोना वॉरियर्स व पुस्तक का विमोचन अशोक नगर कलेक्टर श्रीमती आर. उमा महेश्वरी ने किया
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ग्वालियर। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व संध्या पर गोपाल किरन समाजसेवी संस्था द्वारा आयोजित महिला गौरव सम्मान व कोरोना पुस्तक का विमोचन अशोक नगर कलेक्टर आर. उमा महेश्वरी ने सलूजा भवन बस स्टैंड पर बोलते हुए कहा कि महिलाओं ने हर क्षेत्र में अपने पहचान बनाई है उनका हर दिन एक अनुभव भरा है। रुढिवादी मान्यताओं को चुनौती दे रही नारी, हर क्षेत्र मे अपने हुनर को आजमा रही है। नारी घर से लेकर समाज तक, इतिहास गढ रही है।
इस अवसर पर संस्था के अध्यक्ष श्रीप्रकाश सिंह निमराजे ने संस्था का परिचय व कार्यक्रम की रूप रेखा को प्रस्तुत करते हुए कहा कि स्मरणीय है कि आठ मार्च 1975 के दिन यूएनओ ने महिलाओं के साथ भेदभाव ख़त्म करने के उद्देश्य से अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की घोषणा किया था। तबसे महिला को समानता, स्वतंत्रता, सुरक्षा के लिए यह दिन याद किया जाता रहा है।
महिलाओं के जो अधिकार प्राप्त है, उसमें भारतीय भारतीय सविंधान की बहुत भूमिका है। जरूरत है उनके बीच काम करने की जरूरत है। विशिष्ट अतिथि के रुप में श्रीमती बाईसहाब राव देशराज यादव, डॉ. नेहा गुप्ता,(SDM), हेमलता सेन (संचालक, लक्ष्य अकादमी), डॉ. रजनी शुक्ला, प्राचार्य, एक्सीलेंस महाविद्यालय, अशोक नगर, एडवोकेट अनीता छावई आदि ने किया। प्रारंभ मैं अतिथियों ने सावित्रीबाई बाई के चित्र पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम का आरंभ किया। प्रियंका सिंह ने अपनी लिखित पुस्तक के बारे में बताने के बाद उसको विमोचित किया।
उत्कृष्ट कार्य करने पर शासकीय अधिकारी, कर्मचारी विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाली 71 महिला अधिकारियों एवं कर्मचारियों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। जिनमें वर्षा मौर्य ईसागढ़ (पत्रकार), जहांआरा (सामुदायिक मीडिया शोधार्थी महिला विषय के लिए) अनीता सिह, भोपाल, एडवोकेट, बाईसहाब यादव, डॉ. नेहा जैन, (एस.डी.एम), डॉ. रजनी शुक्ला प्राचार्य एक्सीलेंस महा विद्यालय, डॉ. अमिता सेठी, संस्थापक जिला लाइब्रेरी एसोशिएशन, हेमलता सेन आदि के साथ कलेक्टर आर. उमा महेश्वरी को शील्ड, शॉल, प्रमाण पत्र, श्रीप्रकाश सिंह निमराजे ने प्रदान करने के साथ ही स्मृति चिन्ह प्रदान किया।
कोरोना योद्धा, 31 कोरोना वॉरियर्स जिसमे सफाई कर्मी को सील्ड सर्टिफिकेट, देकर सम्मानित किया। उपस्थित महिलाओं ने अपने परिचय तथा राजनीति, शिक्षा, स्वास्थ्य और न्याय से जुड़ी महिलाओं ने संघर्ष की कहानी तथा अनुभव को शेयर किया। परिचर्चा मैं उभकर आया जब तक भारत जातिविहीन नहीं हो जाता, महिला सशक्त नही हो सकती। भारत में जाति को बनाये रखने के लिए लिंगभेद, बाल विवाह, दहेज प्रथा,रिश्तों को अति सम्मान और अति अपमान से जोड़ना, घूंघट, अंधविश्वास सती, चरण स्पर्श, छूआछूत को विकसित किया गया, गरीबी को थोपा गया। सशक्त महिलाऐं जो तथाकथित जाति श्रेष्ठता के अहसास में रहती हैं, वे भी जाति से उपजे भेदभाव का आनन्द उठाती हैं।