गंगा शरणम गच्छामि : रमेश जोशी

लेखक : रमेश जोशी 

सीकर (राजस्थान) 

मो. 9460155700 

प्रधान सम्पादक, 'विश्वा', अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति, यू.एस.ए.

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आज तोताराम बहुत चिंतित था, बोला- मास्टर, लोग मोदी जी के मरने की कामना कर रहे हैं। 

हमने कहा- यह कोई नई बात नहीं है। अवतारी पुरुषों का जीवन कभी सुरक्षित नहीं रहा. राम, कृष्ण, बुद्ध,सुकरात, ईसा, गाँधी आदि सभी ने जीवन भर कष्ट ही उठाये हैं। बेचारे गाँधी को तो एक खांटी हिन्दू ने ही निबटा दिया। अब तक लोग उनके पुतले को गोली मारकर अपनी राष्ट्रभक्ति का सबूत दे रहे हैं। बहुत से प्रज्ञावान तो गाँधी की देशभक्ति पर ही प्रश्न उठा रहे हैं।   

शगुन शास्त्र में तो यह कहा जाता है कि जिसके मरने की खबर उड़ा दी जाती है या स्वप्न में जिसकी मौत देखो वह और दीर्घायु हो जाता है। 

वैसे कौन है वह दुरात्मा, विकास-विरोधी, देशद्रोही जो मोदी जी के मरने की कामना कर रहा है ? तुझे यह गुप्त और सनसनीखेज खबर कहाँ से मिली ?

बोला- 27 फरवरी को बनारस में कार्यकर्ताओं के एक सम्मेलन में मोदी जी ने खुद ही बताया कि 13 दिसंबर 2021 को जब मैं काशी विश्वनाथ कोरिडोर का उदघाटन करने आया था तब अखिलेश के एक संवाददाता सम्मेलन में कहा था- "यह अच्छी बात है। मोदी जी को सिर्फ एक महीना ही क्यों, दो या तीन महीने वहीं रुकना चाहिए। वह रुकने के लिए अच्छी जगह है। अंत समय में लोग बनारस में ही रहना पसंद करते हैं।

अब बता यह मोदी जी के मरने की कामना नहीं तो और क्या है ? अभी क्या वे इतने बूढ़े हो गए जो गंगा के किनारे बैठकर मौत का इंतज़ार करें। अभी तो भारत को विश्वगुरु, विकसित, आत्मनिर्भर, सोने की चिड़िया और कांग्रेस मुक्त बनाना है। यह कोई निर्देशक मंडल में शामिल होकर गंगा किनारे बैठने का समय थोड़े हैं। अब यह बात और है कि उनके बिना गंगा मैय्या का मन नहीं लगता तो बार बार बुला लेती हैं। 

हमने कहा- तोताराम, चिंता की कोई बात नहीं है. कहावत भी है-

मुद्दई लाख बुरा चाहे तो क्या होता है

वही होता है जो मंजूरे खुदा होता है। 

ग़ालिब भी कहता है-

मौत का एक दिन मुअय्यन है 

नींद क्यों रात भर नहीं आती।  

मोदी जी को टेंशन नहीं लेना चाहिए। अपने राजस्थान में भी तो कहावत है- गीदड़ों की हाय से कभी ऊंट नहीं मरते। 

बोला- मोदी जी चिंतित नहीं है। वे तो आज भी गाँधी जी की तरह पांच ही मिनट में गहरी नींद में चले जाते हैं। 

हमने कहा- तोताराम, मोदी जी ने कहा है, अगर काशी की सेवा करते करते मेरी मृत्यु लिखी होगी तो इससे बड़ा सौभाग्य क्या होगा। 

बोला- यह बात तो है। कहते हैं काशी में मौत सौभाग्यशाली को ही मिलती है। गुजरात में तो कहावत ही है- 

सूरत नो जमण अने काशी नो मरण।  मोदी जी वास्तव में भाग्यशाली हैं जिन्हें माँ गंगा ने खुद बुलाया। पहले बहुत से राजा और सेठ लोग अंतिम समय निकट जानकर गंगा के तट पर काशीवास करने लग जाते थे जिससे वहाँ देह त्याग कर सुनिश्चित स्वर्गारोहण कर सकें। आज भी वहाँ उनके घाट, आवास और धर्मशालाएं हैं। 

क्या ख्याल है, मिल जाए तो प्रधानमंत्री आवास योजना में बनारस में कोई वन-रूम फ्लेट ले लें और गंगा किनारे देहत्याग करके स्वर्ग में पहुंचकर ऐश करें।  

हमने कहा- जिसे यहाँ स्वर्ग हैं उसे वहाँ भी स्वर्ग है। गरीब को तो स्वर्ग में भी कोई न कोई देवता बेगार के लिए पकड़ लेगा। सभी धर्म आदमी को यहाँ तो शांति से जीने नहीं देते लेकिन आश्चर्यजनक रूप से सभी ऊपर सातवें आसमान में कहीं स्थित स्वर्ग का सपना ज़रूर दिखाते हैं। 

तभी मैथिलीशरण गुप्त के राम कहते हैं- 

मैं  यहाँ संदेशा नहीं स्वर्ग का लाया 

इस भूतल को ही स्वर्ग बनाने आया 

शैलेन्द्र भी कहता है- 

तू ज़िन्दा है तो ज़िन्दगी की जीत पर यकीन कर

अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर 

बोला- जिनकी किस्मत में गंगा तट पर देहत्याग नहीं लिखा होता वे ऐसी नास्तिक बातें करते हैं। कबीर का जन्म हुआ गंगा किनारे बनारस में लेकिन मौत लिखी थी मगहर में सो चेलों के मना करने पर भी अंतिम दिनों में चला गया मगहर जहां मरने पर किसी को भी मोक्ष नहीं मिलती।  

हमने कहा- ऐसा नहीं है, तोताराम। कर्म की बजाय कर्मकांडों में स्वर्ग खोजने वाले पाखंडियों के लिए कबीर का जानबूझकर काशी को छोड़कर मगहर चले जाना एक बहुत बड़ा चेलेंज है. क्या कोई कबीर जैसा साहस कर सकता है ?सुन कबीर को, क्या कहता है-

जो कासी तन तजै कबीरा, रामहि कौन निहोरा। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपनी व्यंग्यात्मक शैली है)