लेखक : डाॅ. सत्यनारायण सिंह
(लेखक रिटायर्ड आई.ए.एस. अधिकारी है)
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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट में इस बार सभी वर्गो के हित की चिन्ता की है। बजट भाषण में उन्होंने कहा कि प्रदेश एक अच्छा अन्न उत्पादक प्रान्त हो, कोई अन्न के लिए भूखा नहीं रहे, कोई अन्न के लिए आंसू नहीं बहाये। लोक लुभावन होने के साथ बजट में अर्थशास्त्र के मूल तत्वों पर ध्यान केन्द्रित किया है, विशुद्ध कारणों से आवंटन किया है। राज्य में पेयजल की समस्या को ध्यान में रखकर जल परियोजनाओं के लिए धनराशि आवंटित की है।
सेंटर फार साइन्स एवं एनवायरमेंट के अनुसार 48 प्रतिशत शहरी जलापूर्ति भूमिगत जल से की जाती है। प्रतिदिन प्रति व्यक्ति पानी की जरूरत 135 लीटर प्रति व्यक्ति है। 40 प्रतिशत पानी लीकेज या चोरी के भेंट चढ़ जाता है। कई स्थानों पर प्रतिदिन 55 लीटर पानी ही मिल रहा है। जल स्रोतों का उद्धार, बेहतर जल संचयन, भूमिगत जल के स्तर पर बढ़ोतरी, तालाब खोदकर नये जल स्रोत बनाना, वृक्षारोपण के तहत जल संचयन से भूजल संशोधन से जलापूर्ति उपयुक्त है। परम्परागत जल स्रोतों को नष्ट किया गया, मनमाने तरीके से भूगर्भीय जल का दोहन किया गया। जमीन की कोख से निकाले गये जल का अस्सी प्रतिशत हिस्सा सिंचाई के काम आता है।
राजस्थान के दक्षिण-पूर्वी क्षेत्र में चंबल नदी गुजरती है, 12 महिने बहने वाली अन्य कोई नदी नहीं है। देश के जल संसाधनों का केवल 1.04 प्रतिभाग राजस्थान में उपलब्ध है, जल स्रोत लगभग 10.18 मिलियन एकड फीट है। राज्य के 237 खण्डों में से 81 खण्ड डार्क जोन, 31 को ग्रे-जोन खण्डों के अन्तर्गत रखा गया है। राज्य में 17 क्षेत्रीय नदियां है, छोटी बड़ी 14 झीले है, 5 खारे पानी की है। राज्य के बड़े क्षेत्र व बड़े शहरों में पेयजल की गंभीर समस्या है।
जल जीवन मिशन में घर-घर जल पंहुचाने के लिए 60 हजार 600 करोड़ लागत की परियोजनायें मंजूर की है, 35 हजार 776 गांव लाभांवित होंगे। 86 लाख 21 हजार घरों में नल कनेक्शन दिये जायेंगे। जल जीवन मिशन में हर जल कनेक्शन में 35 परियोजनाओं की डीपीआर की घोषणाओं में 11 परियोजनाओं पर कार्य शुरू होगा तो 13 हजार 921 करोड़ की 24 वर्ष की परियोजनाओं का काम अगले साल होगा। राज्य के 5 हजार 833 गांवों के 12.34 लाख घरों को शुद्ध पेयजल मिलेगा। इनमें हाडौती संभाग की परवन पेयजल लागत 3523 करोड़, नर्मदा कनेाल आधारित सिलू जैसला बडकी परियोजना, सुरवानिया बांध से पेयजल परियोजना, बांसवाडा, नवनेरा बैराज पेयजल पेयजल परियोजना, पार्वती बांध, चम्बल, बाड़मेर लिफ्ट क्षेत्रीय योजना फलौदी, राजीव गांधी लिफ्ट कैनाल, क्षेत्रीय जल प्रदाय योजना मंडली, मलार जोड हिंडाल योजना, नर्बदा डी.आर.कलस्टर, कोलायत जल प्रदाय योजना, आपरणी एवं सरदार संवर्धन पेयजल परियोजना आदि प्रमुख है।
पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना के तहत नवरेना-जलवा-बीसलपुर-ईसरदा लिंक, महलपुर बैराज एवं रामरागढ़ बैराज निर्माण के लिए राजस्थान नहर परियोाजना निगम का गठन किया गया है। इससे 13 जिलों में सिंचाई व पेयजल सुविधा मिलेगी। वर्षा जल के संग्रहण एवं उसके समुचित उपयोग से गिरते भूजल स्तर को रोकने के लिए राजीव गांधी जल संग्रहण योजना 20 लाख हेक्टर भूमि में 2 लाख जल संग्रहण व संरक्षण, इंदिरा गांधी नहर परियोजना में तथा चम्बल कमाण्ड क्षेत्र में ड्रेनेज सिस्टम का जीर्णोद्वार, लाईनिंग, कृषकों को प्रोत्साहन देकर माईको इरीगेशन से जोड़ा जायेगा। उदयपुर में बुजा व चक सांडमारिया बांध, माउंट आबू सिरोही में सालगांव बांध निर्माण तथा पानी की मांग और आपूर्ति में गहराते अंतर को काम करने के लिए पानी की उपलब्धता पर फोकस किया गया है।
बजट में बिली उत्पादन में सोलर पावर पर जोर दिया गया है। एक ओर जहां सोलर से बिजली उत्पादन में अनुदान दिया जायेगा, 100 यूनिट तक हर माह बितली उपभोग करने वालों को 50 यूनिट फ्री, 150 यूनिट तक 3 रूपया प्रति यूनिट अनुदान तथा 150 से 300 यूनिट तक के उपयोग पर 2 रूपया प्रति यूनिट का अनुदान दिया जायेगा। प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में सड़क निर्माण के लिए अब दस करोड खर्च होंगे। शहर गांव सड़क मार्ग से जुड़ेंगे। प्रत्येक जिले की तीन महत्वपूर्ण सड़कों को तीन हजार 133 करोड़ की लागत से मेजर रिपेयर एवं उन्नयन कार्य होंगे। आवश्यकतानुसार नदियों पर पुल बनेगे। बांसवाडा व बांरा में 2 करोड़ की लागत से अनास नदी एवं पार्वती नदी पर पुल बंगे। उदयपुर, कोटा में विकास प्राधिकरण का गठन होगा। शहरी सड़क व सौन्दर्यकरण पर 525 करोड़ खर्च होंगे। जयपुर मैट्रो का विस्तार होगा। 21 जिलों में सड़क निर्माण, दुरूस्तीकरण, सिंगल सड़क रोड़ का कार्य होगा। सड़क दुर्घटनायें रोकने के लिए आवश्यक निर्माण व विकास कार्य होंगे। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार हैं)