हिजाब पर बढ़ता विवाद!

लेखक : लोकपाल सेठी

(लेखक, वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)

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मुस्लिम महिलायों द्वारा सार्वजानिक स्थलों हिजाब पहनकर जाने का विवाद पुराना है।इसके पक्ष और विपक्ष में  तर्क दिए जाते रहे हैं। लेकिन  हाल ही में दक्षिण के कर्नाटक राज्य के आधा दर्ज़न तटीय जिलों के  कॉलेजों की मुस्लिम छात्राओं जब इसे अपना अधिकार बताया तो इस विवाद ने इतना तूल पकड़ लिया कि मामला अदालत तक जा पहुंचा। 

कुछ सप्ताह पूर उड्डीपी के एक निजी  कॉलेज के प्रिंसिपल ने जब यह आदेश जारी कर दिया कि हिजाब पहने किसी मुस्लिम छात्रा को क्लास में प्रवेश नहीं करने दिया जायेगा। इस आदेश की पालना करने वालों को उन्होंने यह विकल्प दिया कि वे अपने घर बैठ कर ओन लाइन क्लासों के जरिये अपनी पढ़ाई जारी रख सकती है। 

कॉलेज प्रबंधन का कहना था कि 1985 से इस कॉलेज में मुस्लिम  छात्राएं  घर से हिजाब पहन कर आती थी, लेकिन क्लास रूम में प्रवेश से पहले इसी बाहर  छोड़ कर अंदर आती थी. लेकिन अचानक इन छात्रायों ने इस बात पर जोर दिया कि वे क्लास रूम के भीतर भी हिजाब पहनेगी। ऐसे छात्राओं की संख्या  लगभग आधा दर्ज़न थी जब की कॉलेज इस समुदाय की लगभग 75 छात्राएं पढने आती है। कॉलेज प्रबंधन ने यह आदेश किया कि राज्य सरकार के निर्देश अनुसार छात्रों को निर्धारित यूनिफार्म में ही क्लास में आना होगा। जब यह विवाद चल रहा था एक दिन लगभग 50 छात्रों ने गले में भगवा गमछे पहन क्लास  में आने की कोशिश की। लेकिन प्रबंधन ने उन छात्रों को भी क्लास में प्रवेश नहीं करने दिया। इसी बीच हिन्दू छात्रों और मुस्लिम छात्राओं में कहा सुनी हो गयी। मुस्लिम छात्रायों ने कहा कि वे हिजाब पहनकर ही क्लास में आयेंगी। शुरू में यह सारा विवाद एक या दो कॉलेज में था पर धीरे यह सारे जिले तथा बाद में सभी तटीय जिलों में फैल गया। 

केंद्रीय ख़ुफ़िया एजेंसियों का कहना कि  दो मुस्लिम चरम पंथी संगठन एसडीपीआई और पोपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया इस विवाद को उकसाने में लगे हैं। वे अपने चरमपंथी विचार धारा से युवा मुसलमानों को प्रभावित कर अपने साथ जोड़ने के कोशिश कर रहे है।

शुरू में राज्य के सभी बड़े कांग्रेस नेताओं ने मुस्लिम छात्राओं का साथ दिया लेकिन ये नए तथ्य सामने आने के बाद वे पीछे हट गए। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री  सिद्धारामिया ने सबसे पहले मुस्लिम छात्राओं के समर्थन में आये। उनके देखा देखी अन्य कांग्रेस नेताओं ने भी उनके पक्ष में बयांन शुरू कर दिया। कुछ दिनों बाद  कांग्रेस पार्टी के प्रदेशाधय्क्ष डी.के. शिव कुमार को जब यह पता चला कि कुछ चरम पंथी मुस्लिम संगठन मुस्लिम युवको और युवतियों को उकसा रहा रहे है तो उन्होंने निर्देश जारी किया कि जब तक अदालत फैसला नहीं करेगी तब तक किसी प्रकार की बयान बाजी से दूर रहा जाये।

 राज्य की पूर्ववर्ती सरकारें स्कूलों और कॉलेजों को सलाह देती आ रही है। उनके उनके यहाँ एक जैसा ड्रेस कोड हो। 2018 जब राज्य सिद्धारामिया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार थी, उस समय शिक्षा विभाग ने एक पत्र जारी कर जिला अधिकारियों और कॉलेज प्रबंधन को कहा गया था कि उनके यहाँ कोई छात्र  ऐसे ड्रेस पहनकर नहीं आयेगा जिसके धार्मिक उन्मांद को किसी प्रकार से बल मिलता हो। जब राज्य में  वर्तमान में बीजेपी के नेताओं ने इस तथ्य को उजागर किया तो कांग्रेस नेता बगलें झाँकने लगे। उधर स्थिति को साफ करने के लिए कुछ लोगों ने कर्नाटक हाई कोर्ट में याचिकाएं पेश कर दी। 

इस सारे विवाद की बीचों बीच राज्य के शिक्षा मंत्री बी.सी. नागेश ने एक नया आदेश जारी कर दिया कि सभी छात्रों के लिए एकसी यूनिफार्म में आना पूरी तरह से अनिवार्य कर दिया जाये। यूनिफार्म कैसी हो  इसके बारे में वे अपने स्तर पर निर्णय कर सकते है। मुस्लिम संगठनों के नेताओं का कहना है कि  मुस्लिम धर्म में हिजाब अनिवार्य है। मुस्लिम लड़कियां बरसों से स्कूलों में हिजाब पहन कर आती रही हैं संविधान भी हर नागरिक को अपने धर्मं की पालना का अधिकार देता है। 

उधर राम सेने जैसे हिन्दू संगठनों का कहना है कि अगर धर्म की पालना के अधिकार के नाम पर शिक्षा परिसरों में मस्जिद बना नमाज़ पढने की इजाजत दिए जाने की मांग करता है तो क्या शिक्षा संस्थानों के प्रबंधक ऐसा करने देंगे। उधर जब आंदोलन फैलने लगा और हिन्दू और मुस्लिम  छात्रायों की बीच झडपें होने की ख़बरें आने लगी तो राज्य सरकार ने तीन दिन के लिए कॉलेज बंद करने की घोषणा कर दी। इसी बीच कर्नाटक हाई कोर्ट ने, जहाँ याचिकाएं पेश की थी, ने सुनवाई के दूसरे दिन मामला बड़ी बेंच को सुनवाई के लिए भेज दिया।  (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार है)